न्यायालय का आदेश और प्रशासन की लापरवाही
पिछले साल 14 अगस्त 2023 को उच्च न्यायालय ने जिला कलक्टर को आदेश दिया था कि एक टीम गठित की जाए जिसमें कम से कम एक अधिकारी अतिरिक्त जिला कलेक्टर के पद से नीचे न हो। इस टीम को मंदिर माफी जमीन पर अतिक्रमण की जांच करनी थी और अतिक्रमण को हटाने के आदेश दिए गए थे। इसके बावजूद, प्रशासन द्वारा इस आदेश का पालन नहीं किया गया।
सामाजिक कार्यकर्ता का संघर्ष
सामाजिक कार्यकर्ता योगेन्द्र सिंह ने बताया कि मंदिर माफी जमीनों पर भू माफियाओं द्वारा अवैध निर्माण अब भी जारी है। उन्होंने कहा कि खसरा नंबर 5825, 5826, 5823, और 5824 पर अवैध भवन निर्माण और प्लॉटिंग का कार्य प्रशासन की मिलीभगत से बिना किसी डर और भय के दिन-रात चालू है।
न्यायालय की अवमानना का नोटिस
सामाजिक कार्यकर्ता के वकील ने 3 अप्रैल 2024 को जिला कलक्टर और अन्य संबंधित अधिकारियों को न्यायालय की अवमानना का नोटिस भेजा। इस नोटिस में स्पष्ट रूप से कहा गया कि न्यायालय के आदेश के पालन में विफलता के कारण संबंधित अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार ठहराया जाएगा और उनके खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
नोटिस का अंश
“आपको इस नोटिस के माध्यम से न्यायालय के आदेश का पालन करने के लिए सात दिनों का समय दिया जाता है। यदि आप इस अवधि के भीतर आदेश का पालन नहीं करते हैं, तो मेरे मुवक्किल को आपके खिलाफ उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दायर करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा,” नोटिस में लिखा गया है।
सामाजिक कार्यकर्ता का बयान
योगेन्द्र सिंह ने कहा, “हम मंदिर माफी जमीनों पर अवैध निर्माण को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे। हम प्रशासन से अनुरोध करते हैं कि जल्द से जल्द इस मुद्दे का समाधान किया जाए और भू माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।”