केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), भारत और जीएआरडीपी फाउंडेशन ऑन एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस रिसर्च एंड इनोवेशन, स्विट्जरलैंड के बीच समझौता ज्ञापन को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल को भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), भारत और जीएआरडीपी फाउंडेशन ऑन एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस रिसर्च एंड इनोवेशन, स्विट्जरलैंड के बीच अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग तथा पारस्परिक हित के क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने के ढांचे के अंतर्गत एक समझौता ज्ञापन पर हुए हस्ताक्षर की जानकारी दी गई। इस समझौता ज्ञापन पर मार्च, 2021 में भारत द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे।

समझौता ज्ञापन से लाभ:

यह समझौता ज्ञापन आपसी हित के क्षेत्रों में अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग के ढांचे के भीतर भारत और स्विट्जरलैंड के बीच संबंधों को और मजबूत करेगा।

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वित्तीय संभावनाएं:

आईसीएमआर–जीएआरडीपी सहयोग में दोनों देशों के संयुक्त उद्देश्यों की सफलता सुनिश्चित करने के लिए दोनों पक्षों द्वारा वित्तीय और इसी तरह अन्तर्निहित योगदान के लिए एक रणनीति बनाना और इसके तौर-तरीकों की स्थापना करना शामिल होगा। इसके लिए सीधे दूसरे पक्ष को या परियोजनाओं में कार्यरत तीसरे पक्ष को वित्तपोषण किया जा सकता है। सभी वित्तीय और अन्तर्निहित के योगदान अलग से कानूनी रूप में बाध्यकारी समझौतों के अधीन होंगे।

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पृष्ठभूमि:

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) आतंरिक (इंट्राम्यूरल) एवं बाह्य (एक्स्ट्राम्यूरल) अनुसंधानों के माध्यम  से जरिए देश में जैवचिकित्सा शोध (बायोमेडिकल रिसर्च) को बढ़ावा देता है। जीएआरडीपी बिना किसी लाभ के लिए काम करने अनुसंधान और विकास संगठन है जो वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य आवश्यकताओं के लिए नए अथवा बेहतर एंटीबायोटिक उपचार विकसित करने और उन्हें सुलभ कराने के साथ ही उनकी दीर्घकालिक  उपलब्धता को भी सुनिश्चित करने का प्रयास करता है।

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