भारत 2030 तक 450 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा की स्थापित क्षमता प्राप्त करने के लिए तैयार है: नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई)

फिक्की के साथ साझेदारी में नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने दुबई में आयोजित एक्सपो 2020 में जलवायु और जैव विविधता सप्ताह के दौरान 6 से 8 अक्टूबर, 2021 तक कई कार्यक्रमों का आयोजन किया।इन कार्यक्रमों में भारत की नवीकरणीय ऊर्जा उपलब्धियों व महत्वाकांक्षाओं, उभरते क्षेत्रों और भारत में नवीकरणीय ऊर्जा के अवसरों से संबंधित विषय शामिल थे। इसके साथ ही सोलर एनर्जी कारपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसईसीआई) और भारतीय अक्ष्य ऊर्जा विकास संस्था लिमिटेड (इरेडा) के कार्यक्रमों पर भी ध्यान केंद्रित किया गया।अंतर्राष्‍ट्रीय सौर गठबंधन द्वारा एक सूर्यएक विश्वएक ग्रिड (ओएसओडब्ल्यूओजी) के विषय पर भी एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जो सौर ऊर्जा का लगातारदोहन करने के लिए देशों की सीमाओं के पार आपसी संपर्क को बढ़ावा देता है।

आज एमएनआरई-फिक्की-एसईसीआई कार्यक्रम में विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री आर के सिंह ने जोर देकर कहा कि विश्व परिवर्तन के मुहानेपर हैऔर जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए तत्काल सुधारात्मक कदमों की आवश्यकता है। उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि ऊर्जा बदलाव इस दिशा में पहला कदम होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि हमने अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) में जो वादा किया था, उसमेंभारत पहले से ही आगे है। उन्‍होंने कहा, ‘हमारी स्थापित क्षमता का 39 फीसदी हिस्सापहले से ही गैर-जीवाश्म आधारित स्रोतों से आता है। 2022 तक हम अपने 40फीसदीके लक्ष्य तक पहुंच जाएंगे।”

उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि ट्रांसमिशन (पारेषण) एक चुनौती है और इसे स्थापित करने पर काम चल रहा है। श्री आर के सिंह ने कहा, “हम हरित गलियाराचरण 2 शुरू कर रहे हैं और आमतौर पर उन जगहों से नवीकरणीय ऊर्जा निकासी के लिए प्रणाली लगाने के लिए ट्रांसमिशन का विस्तार कर रहे हैं, जहां प्रकाशकीकिरण अधिक है, या हवा की गति अधिक है।”

श्री सिंह ने यह भी कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा का निरंतर न होना पूरे विश्व के लिए एक और चुनौती है, जो इस बात को रेखांकित करता है कि वर्तमान में प्रति यूनिट बैटरी भंडारण अधिक है और इसे कम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सरकार बैटरी स्टोरेज के लिए निविदाएंला रही हैं।

श्री सिंह ने आगे कहा कि बैटरी भंडारण के लिए उत्पादन संबंधित प्रोत्साहन पहले से ही उपलब्ध है और भंडारण की कीमतों को कम करने के लिए मांग को बढ़ावा देने की जरूरत है।

भारत में हरित हाइड्रोजन के अवसरों पर श्री सिंह ने कहा,”एमएनआरई इलेक्ट्रोलाइजरों के लिए निविदाएंआमंत्रित करेगा और परिशोधन, उर्वरक, पाइपयुक्त प्राकृतिक गैस में हरित हाइड्रोजन खपत के लिए यह अनिवार्य है।”

श्री सिंह ने यह भी कहा कि एसईसीआई ने उम्मीद पैदा करने वाला विकास किया है और इस गति के जारी रहने की आशा है, क्योंकि स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में नए व उभरते क्षेत्रों में तेजी आने वाली है। इसके अलावा उन्होंने एसईसीआई को नए विश्व का ऊर्जा समूह बनने को लेकर अपनी सोच भी को भी व्यक्त किया। भारत ने एक रोमांचक यात्रा शुरू की है और आगे बढ़ रहा है जहां पहले किसी ने काम नहीं किया हैऔर एसईसीआई 2030 तक 450 गीगावाटकी महत्वाकांक्षा को पूरा करने की दिशा में काम करना जारी रखेगा।

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भारत सरकार में नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा और रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री श्री भगवंत खुबा ने इस आयोजन के पहले दिन कहा कि ऊर्जा क्षेत्र पूरे विश्व में तीव्र परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है और भविष्य नवीकरणीय ऊर्जा का है। उन्होंने आगे कहा, ‘यह एक सामूहिक प्रयास के रूप में होने जा रहा है और हमारा ऊर्जा परिवर्तन समावेशी और न्यायसंगत होगा,जिससे कोई भी पीछे न रहे। हम अपने सभी भागीदारों का भारत में आने व निवेश करने और इस अविश्वसनीय यात्रा में शामिल होने के लिए स्वागत करते हैं।”

उन्होंने आगे कहा कि माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 2015 में घोषित 2022 तक नवीकरणीय ऊर्जा की 175 गीगावाटस्थापित क्षमता पाने के लक्ष्य देखते हुए, भारत ने 2021 में 100 गीगावाटकी उपलब्धि (बड़ी जल विद्युत परियोजना को छोड़कर) को पार कर लिया है। उन्होंने आगे यह भी कहा कि अब तक भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा की विशाल क्षमता के एक हिस्से का ही दोहन किया है, इसलिएभारत ने 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा का लक्ष्य 450 गीगावाट तकस्थापित क्षमता का लक्ष्य बढ़ाया है।

इस आयोजन के दूसरे दिन वैश्विक हितधारकों को आमंत्रित करते हुएश्री खुबा ने भारत के नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में निवेश के लाभों को दोहराया और इस बात को रेखांकित किया कि व्यापार करने में सुगमता सुनिश्चित करना भारत की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है। उन्होंने जोर देकर कहा, “हमने घरेलू और विदेशी निवेशकों को संभालने और उनकी सुविधा के लिए सभी मंत्रालयों में समर्पित परियोजना विकास प्रकोष्ट (पीडीसी) और एफडीआई प्रकोष्ट की स्थापना की है।प्रत्यक्ष स्वचालित (ऑटोमैटिक) के रास्ते से भी 100 फीसदी एफडीआई की अनुमति है।”

भारत में नवीकरणीय ऊर्जा: उभरते क्षेत्र और अवसर विषयवस्तु पर श्री खुबा ने अपने प्रमुख भाषण में कहा कि भारत 70 गीगावाट से अधिक अपतटीय पवन क्षमता का दोहन करने के लिए तैयार है। उन्होंने आगे कहा, “भारत ने अब अपनी सौर मॉड्यूल विनिर्माण क्षमता को बढ़ाने का निर्णय किया है। हाल ही में भारत सरकार ने उच्च दक्षता वाले सौर पीवी मॉड्यूल के विनिर्माण के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना शुरू की है। हम अगले पांच वर्षों में 10 गीगावाट सौर पीवी विनिर्माण क्षमता को जोड़ने की उम्मीद करते हैं।”

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उन्होंने आगे कहा, “हरित हाइड्रोजन हमारी अर्थव्यवस्था, विशेषकर हार्ड-टू-डीकार्बोनाइज क्षेत्रों को डीकार्बोनाइज करनेमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहा है। भारत कई क्षेत्रों में हरित हाइड्रोजन उत्पादन और इसके उपयोग को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन विकसित कर रहा है।” उन्होंने कहा कि भारत ने शुरुआती तौर पर 2030 तक लगभग 10 लाख टन वार्षिक हरित हाइड्रोजन उत्पादन का लक्ष्य रखा है।

श्री खुबा ने कहा कि भारत का 450 गीगावाट का महत्वाकांक्षी लक्ष्य 2030 तक 221 बिलियन (अरब) अमेरिकी डॉलर के निवेश के अवसर को खोलता है। उन्होंने आगे कहा कि यह हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए सतत विकास में एक दीर्घावधि निवेश होगा। श्री खुबा ने कहा, “मैं विश्व के साझेदार देशों और व्यापार जगत के प्रमुख कारोबारियों को आमंत्रित करता हूं कि इस अभूतपूर्व यात्रा में शामिल हों और हमारे साथ आएं।”

भारत सरकार के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय में सचिव श्री इंदु शेखर चतुर्वेदी ने कहा कि भारत में वर्तमान अक्षय ऊर्जा की क्षमता में बढ़ोतरी काफी हद तक अनुकूल लोकनीति का परिणाम है और इसे प्राप्त करने में निजी क्षेत्र ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

भारत के आरई क्षेत्र में सामान्य निवेश माहौल व निवेशकों के लिए अवसरों के नए उभरते क्षेत्रों के विषय पर श्री चतुर्वेदी ने कहा कि मंत्रालय व्यापार सुधारों को आसान बनाने के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है और मुद्दों का समाधान लगातार किया जा रहा है।अन्य उपायों के साथ नवीकरणीय ऊर्जा की निविदा से संबंधित सुव्यवस्थित दिशा निर्देश और विवादों के समाधान करने की व्यवस्था शामिल है, जिसके कारण इस क्षेत्र ने पिछले सात वर्षों में लगभग 70 बिलियन अमेरिकी का निवेश आया है।

श्री चतुर्वेदी ने निवेशकों के लिए उभरते अवसरों के तीन नए क्षेत्रों- हरित हाइड्रोजन, अपतटीय पवनऔर सौर पीवी विनिर्माण को सूचीबद्ध किया। वहीं, अनिवार्य खरीद दायित्वों का उद्देश्य उर्वरक, पेट्रोलियम परिशोधन और शहरी गैस वितरण जैसे क्षेत्रों में हरित हाइड्रोजन के उपयोग को बढ़ाना है।

उन्होंने कहा कि अपतटीय पवन में अगले कुछ वर्षों तक घरेलू और विदेशी कारोबारियों से सरकार को समर्थन और निवेश की जरूरत होगी। श्री चतुर्वेदी ने यह भी कहा कि सौर मॉड्यूल विनिर्माण के लिए पीएलआई योजना के तहत लगभग 55 गीगावाट क्षमता की निविदा प्राप्त हुई हैं। इस निवेश की एक बड़ी रकम को पॉलीसिलिकॉन मॉड्यूल और वफर-इनगॉट्स के उत्पादन के लिए लगाया जाएगा।

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