केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन, परमाणु ऊर्जा एवं अंतरिक्ष राज्यमंत्री, डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज सीएसआईआर जिज्ञासा कार्यक्रम के अंतर्गत बच्चों के लिए भारत की पहली वर्चुअल विज्ञान प्रयोगशाला का शुभारंभ किया, जो छात्रों को पूरे देश के वैज्ञानिकों के साथ भी जोड़ेगी।
वर्चुअल प्रयोगशाला को एक बहुत वृहद नई शुरुआत बताते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि इससे न केवल देश के प्रत्येक कोने में सभी वर्गों के छात्रों तक विज्ञान को लेकर जाया जाएगा, बल्कि यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के अनुरूप भी है, जहां पर छात्रों को किसी भी विषय का चुनाव करने की अनुमति प्राप्त है और स्ट्रीम की अवधारणा को समाप्त कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि इस नई सुविधा से केंद्रीय विद्यालयों, नवोदय विद्यालयों और सरकारी स्कूलों के छात्रों को बहुत लाभ प्राप्त होगा और उन्हें युवा बनाए रखने में मदद मिलेगी।
मंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले वर्ष सीएसआईआर सोसायटी की बैठक में वैज्ञानिक-छात्र संपर्क कार्यक्रम “जिज्ञासा” की सराहना की थी और वर्चुअल प्रयोगशालाओं को विकसित करने के महत्व पर बल दिया था। तदनुसार, सीएसआईआर ने सीएसआईआर जिज्ञासा कार्यक्रम के अंतर्गत एक वर्चुअल प्रयोगशाला प्लेटफॉर्म विकसित करने के लिए आईआईटी बॉम्बे के साथ साझेदारी की है, जो स्कूली छात्रों के लिए प्रयोगशाला अनुसंधान के साथ कक्षा में सीखने की सुविधा प्रदान करता है। उन्होंने कहा, वर्चुअल प्रयोगशाला प्लेटफॉर्म के लिए लक्षित समूह कक्षा VI से लेकरXII (11-18 वर्ष) के छात्र हैं, जो विज्ञान, गणित, जीव विज्ञान और आईटी विषयों पर विभिन्न गतिविधियों, अनुभवी शोधकर्ताओं और संकायों का उपयोग करके विज्ञान की खोज करना चाहते हैं। .
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि वर्चुअल प्रयोगशाला का मुख्य उद्देश्य स्कूली छात्रों को कृत्रिम प्रयोगों, अध्यापन आधारित सामग्री, वीडियो, चैट फोरम, एनिमेशन, गेमिंग, क्विज, फैसिलिटी शेयरिंग, वेबिनार आदि के साथ ऑनलाइन इंटरैक्टिव माध्यम पर आधारित उनकी वैज्ञानिक जिज्ञासा को बढ़ाने के लिए गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान प्रदर्शन और अभिनव अध्यापन-कला प्रदान करना है।उन्होंने कहा कि शुरूआत में यह सामग्री अंग्रेजी में उपलब्ध होगी, लेकिन बाद में इसे हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध कराने की योजना बनाई गई है। मंत्री ने कहा कि इसलिए सीएसआईआर वर्चुअल प्रयोगशाला जिज्ञासा आधारित अनुसंधान अवधारणाओं को सक्षम बनाएगी, उच्च क्रम वाले सोच कौशल को प्रोत्साहित करेगी, उद्यमिता को बढ़ावा देगी और विज्ञान के प्रतिउत्साह विकसित करेगी।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि वर्चुअल प्रयोगशाला, सीएसआईआर प्रयोगशालाओं को एक वर्चुअल यात्रा प्रदान करेगी और छात्रों को अनुसंधान अवसंरचना के संदर्भ में बताएगी, क्योंकि सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखते हुए कुछ प्रयोगशालाओं में शारीरिक रूप से जाना मुश्किल होगा। उन्होंने बताया कि इस प्लेटफॉर्म के पास वैज्ञानिकों से बातचीत करने और उनसे जानकारी प्राप्त करने या छात्रों की शंकाओं को दूर करने का विकल्प भी उपलब्ध होगा। उन्होंने कहा कि सीएसआईआर जिज्ञासा का वर्चुअल प्रयोगशाला एक प्रेरणादायक विज्ञान प्रयोगशाला होगा जहां छात्र पढ़ेंगे, मस्ती करेंगे और उन प्रयोगों और सामग्रियों को पूरा करेंगे जो सीएसआईआर के वैज्ञानिकों और अन्य हितधारकों द्वारा प्रस्तुत किए जाते हैं।
डॉ जितेंद्र सिंह ने याद किया कि 2017 में शुरू होने के बाद से लेकर अबतक “जिज्ञासा” ने लगभग 3,00,000 छात्रों और 5,000 से ज्यादा शिक्षकों को सीएसआईआर के साथ जोड़ने में सफल रहा है और उन्हें सीएसआईआर प्रयोगशालाओं का दौरा करने से सीधे लाभ प्राप्त हुआ है।उन्होंने कहा कि सीएसआईआर की अधिकांश प्रयोगशालाएं इस कार्यक्रम में शामिल हो रही हैं और जवाहर नवोदय विद्यालयों और नीति आयोग की अटल थिंकरिंग लैब्स के साथ भी एमओयू पर हस्ताक्षर भी किए गए हैं। मंत्री ने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान भी 2 लाख से ज्यादा संचयी विचारों के साथ स्कूली छात्रों के लिए कई विषयों पर ऑनलाइन इंटरैक्शन और वेबिनार आयोजित किए गए।
इस कार्यक्रम के प्रमुख हितधारक अकादमिक आधारित समुदाय हैं जिनमें एमएचआरडी, सीएसआईआर वैज्ञानिक संकाय, पीएचडी अनुसंधान छात्र, स्कूल और जूनियर कॉलेज के छात्र, संस्था, गैर सरकारी संगठन, केंद्रीयविद्यालय संघ, नवोदय विद्यालय समिति हैं, राज्य सरकार के के विद्यालय, स्कूल और जूनियर कॉलेज के छात्रों के लिए सफल आउटरीच गतिविधियां करने वाले स्वतंत्र आउटरीच संकाय और संस्थान इसके संभावित हितधारक हैं और लाभार्थी भी हैं।
वर्चुअल लैब के प्रमुख मुख्य आकर्षण हैं:ओपन सोर्स प्लेटफॉर्म; क्षेत्रीय भाषाओं में सामग्री का उपयोग; वैज्ञानिक/शोधकर्ताओं का सहयोग; शिक्षकों और छात्रों के लिए ज्ञान का विकास; परियोजना आधारित समर्थन; मौज-मस्ती आधारित खेल; आवश्यकता के अनुसार वीडियो और एनीमेशन; सिमुलेशन प्रयोग; वैज्ञानिक प्रवृति को बढ़ावा; विज्ञान आधारित वेबिनार; छात्र उद्यमिता; छात्र-विशेषज्ञ मंच; छात्र से छात्र फोरम; सरलीकृत सामग्री; तकनीकी सहायता की उपलब्धता; आत्मविश्वास और प्रेरणा निर्माण इत्यादि।
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