इस साल नहीं छपेंगे 2000 रुपये के नोट
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने स्पष्ट कर दिया है कि मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान 2000 रुपये के नए नोट नहीं छापे जाएंगे। बैंक की रिपोर्ट में बताया गया है कि 2020-21 के दौरान देश में उपलब्ध कुल पेपर कैश (अलग अलग कीमत के नोट) की संख्या में भी करीब 0.3 फीसदी की कमी आई है। वित्त वर्ष 2020-21 के आखिरी दिन यानी 31 मार्च को देश में अलग अलग कीमत के कुल 2,23,301 लाख नोट सर्कुलेशन में थे।
रिजर्व बैंक की ओर से स्पष्ट किया गया है कि 2000 रुपये के नोट पर किसी भी तरह का प्रतिबंध नहीं लगा है। इस नोट को बंद करने की बात भी सिर्फ अफवाह है और इसमें कोई सच्चाई नहीं है। इसी तरह 2000 रुपये के नोट की छपाई को रोकने का भी कोई फैसला नहीं किया गया है। अलग-अलग मूल्य के नोटों की जरूरत के लिहाज से अभी देश में 2000 रुपये के नोट की अतिरिक्त जरूरत नहीं है। इसलिए इस वित्त वर्ष के दौरान 2000 रुपये के नए नोट को नहीं छापा जा रहा है। इसके पहले पिछले वित्त वर्ष के दौरान भी 2000 रुपये के नए नोटों की छपाई नहीं की गई थी। केंद्रीय बैंक ने स्पष्ट किया है कि आने वाले समय में आवश्यकता के हिसाब से 2000 रुपये के नए नोटों की छपाई की जा सकती है।
आरबीआई की सालाना रिपोर्ट में देश में चलाए जा रहे अलग अलग मूल्य के सिक्कों के संबंध में स्पष्टीकरण दिया गया है। बैंक के मुताबिक सालों पहले प्रायोगिक तौर पर बाजार में चलन से बाहर हो चुका 50 पैसे का सिक्का अभी भी बंद नहीं किया गया है। कानूनी तौर पर इस सिक्के को लेने से कोई भी इनकार नहीं कर सकता है। केंद्रीय बैंक के मुताबिक आधिकारिक तौर पर अभी बाजार में 50 पैसे, 1 रुपये, 2 रुपये, 5 रुपये, 10 रुपये और 20 रुपये के सिक्के चलन में है। इस रिपोर्ट से साफ है कि 1 पैसे से लेकर 25 पैसे तक के 50 पैसे से कम कीमत वाले सभी सिक्कों को अब पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। आधिकारिक तौर पर 50 पैसे का सिक्का अभी भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
रिजर्व बैंक की रिपोर्ट मुताबिक अभी देश में जितने भी करेंसी नोटों का इस्तेमाल किया जा रहा है, उसमें उनकी कीमत के लिहाज से 2000 और 500 रुपये के नोट की हिस्सेदारी 85.7 फीसदी है। पिछले वित्त वर्ष के दौरान इन दोनों नोटों की हिस्सेदारी 83.4 फीसदी की थी। अगर नोटों के वॉल्यूम (कुल संख्या) की बात की जाए, तो सबसे अधिक संख्या में 500 रुपये का नोट चलन में है। बाजार में सर्कुलेट हो रहे नोटों में 31.1 फीसदी नोट 500 रुपये के हैं। दूसरे स्थान पर 10 रुपये का नोट सबसे ज्यादा सर्कुलेशन में है। इसका कुल वॉल्यूम 23.6 फीसदी है।
आरबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक 1 जुलाई, 2020 से लेकर 31 मार्च, 2021 तक सिक्योरिटी प्रिंटिंग (नोटों और स्टैंप पेपर की छपाई) पर कुल 4,012.1 करोड़ रुपये का खर्च किया गया। इसके पहले जुलाई 2019 से जून 2020 तक सिक्योरिटी प्रिंटिंग पर 4,377.8 करोड़ रुपये का खर्च किया गया था। रिपोर्ट में तीन सालों के दौरान पकड़े गए जाली नोटों की संख्या की भी जानकारी दी गई है। 2020-21 के दौरान देशभर में कुल 2,08,625 जाली नोट पकड़े गए। 2019-20 में पकड़े गए जाली नोटों की संख्या 2,96,695 थी जबकि उसके पहले के साल यानी 2018-19 में कुल 3,17,384 जाली नोट देशभर में पकड़े गए थे।