रेलवे अधिकारियों ने खेला एक हजार का खेल, चहेते ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने की मंशा, रेलवे को लाखों रुपए का चूना लगना तय
कोटा। इंजीनियरिंग विभाग के रेलवे अधिकारियों द्वारा एक हजार रुपए का खेल कर चहेते ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने का मामला सामने आया है। इस खेल से अधिकारियों की जेबे गर्म होने के साथ रेलवे को लाखों रुपए का चूना लगना तय माना जा रहा है। कई ठेकेदारों ने मामले की शिकायत उच्चाधिकारियों और विजिलेंस से भी की है।
ठेकेदारों ने बताया कि अधिकारियों ने पिछले दिनों कोटा मंडल के जोनल वर्क के टेंडर निकाले हैं। इसमें भरतपुर और गंगापुर के जोनल वर्क के टेंडर की अनुमानित लागत 50, 01000- 50, 0100 (50-50 लाख और एक-एक हजार) रुपए रखी गई है।
ठेकेदारों ने बताया कि नियमानुसार 50 लाख रुपए तक के टेंडर कोई भी ठेकेदार भर सकता है। इसमें कोई विशेष शर्ते नहीं रहतीं। जबकि 50 लाख रुपए से अधिक कीमत के टेंडर शर्ते पूरी करने वाले ठेकेदार ही भर सकते हैं।
इसी नियम का उठाया फायदा
अधिकारियों ने इसी नियम की आड़ में अपना खेल शुरू किया है। अधिकारियों ने भरतपुर और गंगापुर के टेंडर की कीमत जान बूझकर 50 लाख रुपए से अधिक रखी है, ताकि चुनिंदा और चहेते ठेकेदार को ही इसका लाभ उठाने का मौका मिल सके। इससे अधिकारियों को भी अपना विशेष फायदा हो सके।
ठेकेदारों ने बताया कि 50 लाख तक के काम में एक हजार रुपए कोई मायने नहीं रखते। अगर यह काम 50 लाख रुपए का भी होता तो काम की गुणवत्ता में कोई फर्क नहीं पड़ता। जबकि एक हजार रुपए कम होने से रेलवे को लाखों रुपए का फायदा होना तय है।
अनुमानित लागत में एक हजार रुपए कम होने से टेंडर को अधिक ठेकेदार भर सकते हैं। प्रतिस्पर्धा बढ़ने से टेंडर की दर कम आना निश्चित है। दरें कम आने से रेलवे को लाखों रुपए का फायदा होना भी निश्चित है।
इससे छोटे ठेकेदार भी भविष्य में बड़े ठेके लेने की स्थिति में आ जाते। इससे रेलवे की बड़े और चुनिंदा ठेकेदारों पर निर्भरता भी कम हो जाती। इसका फायदा भी रेलवे को मिलता।