बिना स्मार्टफोन के छात्रों को अपनी पढ़ाई जारी रखने में मदद करने वाले नासिक के सामुदायिक रेडियो स्टेशन ने राष्ट्रीय पुरस्कार जीता

बिना स्मार्टफोन के छात्रों को अपनी पढ़ाई जारी रखने में मदद करने वाले नासिक के सामुदायिक रेडियो स्टेशन ने राष्ट्रीय पुरस्कार जीता

रेडियो विश्वास के ‘शिक्षण सर्वांसाठी’ कार्यक्रम ने कोविड-19 महामारी के दौरान शिक्षा की खाई को पाटने में मदद की

महाराष्ट्र में 50,000 से अधिक गरीब छात्र नि:शुल्क व्याख्यान से लाभान्वित हुए

 

सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा स्थापित राष्ट्रीय सामुदायिक रेडियो पुरस्कारों के 8वें संस्करण में नासिक, महाराष्ट्र के एक सामुदायिक रेडियो स्टेशन ‘रेडियो विश्वास’ ने दो पुरस्कार हासिल किए हैं।

रेडियो विश्वास 90.8 एफएम ने “सस्टेनेबिलिटी मॉडल अवार्ड्स” श्रेणी में पहला पुरस्कार और “थीमैटिक अवार्ड्स” श्रेणी में अपने कार्यक्रम कोविड-19 के काल में ‘एजुकेशन फॉर ऑल’ के लिए दूसरा पुरस्कार जीता है।

रेडियो विश्वास, विश्वास ध्यान प्रबोधिनी और अनुसंधान संस्थान, नासिक, महाराष्ट्र द्वारा चलाया जाता है। इस संस्थान की शुरुआत से ही इस रेडियो स्टेशन से प्रसारण किया जा रहा है। स्टेशन प्रतिदिन 14 घंटे का प्रसारण करता है।

‘शिक्षा श्रवणसाथी’ (सभी के लिए शिक्षा)

थीमैटिक अवार्ड्स श्रेणी के तहत ‘शिक्षण सर्वांसाठी‘ (सभी के लिए शिक्षा) के लिए पुरस्कार जीतने वाला यह सामुदायिक रेडियो स्टेशन जून 2020 में कोविड-19 के कठिन समय के दौरान तीसरी से 10 वीं कक्षा के छात्रों को मुफ्त शिक्षा प्रदान करने के लिए शुरू किया गया था।

इस रेडियो स्टेशन से जिला परिषद और नासिक नगरपालिका स्कूलों में पढ़ने वाले सभी छात्रों के लिए ऑडियो व्याख्यान प्रसारित किए गए। कार्यक्रम का प्रसारण विभिन्न भाषाओं अर्थात हिंदी, अंग्रेजी, मराठी, संस्कृत में किया गया।

सामुदायिक रेडियो स्टेशन के कामकाज और दृष्टिकोण के बारे में पत्र सूचना कार्यालय से बात करते हुए इसके स्टेशन निदेशक, डॉ हरि विनायक कुलकर्णी ने कहा कि कार्यक्रम को बहुत सकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिली है। “ये वे गरीब छात्र हैं जो डिजिटल शिक्षा के लिए स्मार्ट फोन नहीं खरीद सकते थे।

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‘शिक्षण सर्वांसाठी‘ कार्यक्रम 150 शिक्षकों की मदद से लागू किया गया जिसके तहत उन्होंने हमारे स्टूडियो में व्याख्यान रिकॉर्ड किए। बाद में व्याख्यान प्रत्येक विषय के लिए आवंटित स्लॉट के अनुसार प्रसारित किए गए। कार्यक्रम को लक्षित समुदाय से जबर्दस्त सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली और इससे नगर निगम और जिला परिषद विद्यालयों के पचास – साठ हजार विद्यार्थी लाभान्वित हुए।”

डॉ. कुलकर्णी ने यह भी बताया कि व्याख्यानों को महाराष्ट्र के छह अन्य सामुदायिक रेडियो के साथ भी साझा किया गया, ताकि वे भी अपने रेडियो चैनलों के माध्यम से उन्हें प्रसारित कर सकें। “हमें खुशी है कि हम पूरे महाराष्ट्र के छात्रों की मदद कर सके क्योंकि छह सामुदायिक रेडियो स्टेशनों ने इस सामग्री को अपने-अपने शहरों में प्रसारित करने के लिए हमसे संपर्क किया है”।

डॉ. कुलकर्णी ने छात्रों को एफएम उपकरण वितरित करने में शिक्षकों द्वारा की जा रही पहलों के बारे में भी बताया। “नासिक के इगतपुरी तालुका में शिक्षकों के एक समूह ने छात्रों को 451 एफएम डिवाइस (हाई-एंड स्पीकर सहित यूएसबी, ब्लूटूथ,) वितरित किए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वर्तमान पाठ्यक्रम उनसे छूट न जाये। शिक्षक इसे यूट्यूब पर अपलोड करने की भी योजना बना रहे हैं, जिसका उपयोग सामान्य स्कूली शिक्षा शुरू होने के बाद भी किया जा सकता है।

“कार्यक्रम हमेशा लोगों के साथ रहेंगे”

डॉ. कुलकर्णी ने बताया कि कैसे सामुदायिक रेडियो स्टेशन ने अभिनव मॉडल अपनाते हुए चार प्रमुख क्षेत्रों – वित्तीय, मानव, तकनीकी और सामग्री उपलब्धता – में खुद को बनाए रखने में सक्षम बनाया है।

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यह बताते हुए कि कोई 10 वर्षों की अवधि में यह स्टेशन लगभग 3 लाख लोगों के श्रोताओं के आधार को विकसित करने में सक्षम रहा है, उन्होंने कहा, “हमें पूरा विश्वास है कि हमारे कार्यक्रमों के माध्यम से उठाए गए मुद्दों के कारण परिवर्तन आएगा और सकारात्मक कदम उठाए जाएंगे।”

सामुदायिक रेडियो स्टेशन के माध्यम से प्रसारित किए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि कैसे ‘शहरी परसबाग’ (रसोई उद्यान) कार्यक्रम से पर्यावरण संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाने में मदद मिली। उन्होंने कहा, “इस कार्यक्रम में हमारे श्रोताओं को बीज की उपलब्धता से लेकर पौधे रोपने तक की प्रक्रिया की पूरी जानकारी प्रदान की जाती है।” ‘माला अवदलेला पुस्तक’ (पढ़ने के लिए पसंदीदा पुस्तकों के बारे में) और ‘जानीव समाजकची’ (वरिष्ठ नागरिकों के सामने आने वाली कठिनाइयों पर केंद्रित) ऐसे कार्यक्रम हैं जो दर्शकों की एक विस्तृत श्रृंखला को कवर करने के लिए लक्षित हैं।

सामुदायिक रेडियो स्टेशन आमतौर पर 10-15 किलोमीटर के दायरे में स्थानीय समुदाय के लाभ के लिए स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हैं। ये स्टेशन ज्यादातर स्थानीय लोगों द्वारा संचालित किए जाते हैं जो ‘टॉक शो’ होस्ट करते हैं, स्थानीय संगीत बजाते हैं और स्थानीय गाने गाते हैं।

सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने सामुदायिक रेडियो स्टेशनों के बीच नवाचार और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करने के लिए वर्ष 2011-12 में राष्ट्रीय सामुदायिक रेडियो पुरस्कारों की स्थापना की थी। इन सामुदायिक रेडियो स्टेशनों ने कोविड-19 महामारी के दौरान संचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आज की तारीख में, भारत में विभिन्न राज्यों में 327 सामुदायिक रेडियो स्टेशन चल रहे हैं।