राजस्थान लोकसेवा आयोग की सदस्य राजकुमारी गुर्जर भी एसीबी के शिकंजे में फंसी

जयपुर ग्रेटर मेयर सौम्या गुर्जर का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि भाजपा नेता रहीं और अभी राजस्थान लोकसेवा आयोग की सदस्य राजकुमारी गुर्जर भी एसीबी के शिकंजे में फंसी। भाजपा के पार्षद तो खुद ही एसीबी के जाल में फंस रहे हैं।
अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भाजपा पर हमला करने का एक और मौका मिला।
गुर्जर नेता विजय बैंसला ने संदेह के घेरे में आए अधिकारियों को आयोग से तत्काल हटाने की मांग की। एसीबी के डीजी और एडीजी का आभार जताया।
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9 जुलाई को एसीबी ने अजमेर में एक बड़ी कार्यवाही करते हुए राजस्थान लोक सेवा आयोग की सदस्य राजकुमारी गुर्जर के नाम पर 23 लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए आयोग के जूनियर एकाउंटेंट सज्जन सिंह गुर्जर को गिरफ्तार कर लिया है। एसीबी ने इसी प्रकरण में 10 जुलाई को श्रीमती गुर्जर के संपर्क में रहे नरेंद्र पोसवाल नाम के एक और व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। श्रीमती गुर्जर की आयोग में नियुक्ति पिछले भाजपा शासन में मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे ने की थी। आयोग में यह कार्यवाही तब हुई है,जब जयपुर ग्रेटर की निलंबित मेयर सौम्या गुर्जर का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ है। एक वीडियो के आधार पर एसीबी ने सौम्या गुर्जर को लेकर रिश्वतखोरी का जो मुकदमा दर्ज किया, उसमें सौम्या गुर्जर के पति और भाजपा नेता राजाराम गुर्जर को गिरफ्तार किया जा चुका है। इसी मामले में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक निंबाराम पर भी गिरफ्तारी की तलवार लटकी हुई है। प्रदेश में कांग्रेस सरकार के नेतृत्व कर रहे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत माने या नहीं लेकिन उनके अधीन काम करने वाली एसीबी के निशाने पर भाजपा के नेता हैं।
पिछले दिनों जब जयपुर ग्रेटर की भाजपाई मेयर सौम्या गुर्जर के विरुद्ध कार्यवाही की गई तो कांग्रेस ने इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठाया। कांग्रेस की ओर से यह दर्शाने की कोशिश की गई कि भाजपा और संघ के लोग रिश्वतखोरी के काम सक्रिय हैं। अब एसीबी की ताजा कार्यवाही में आयोग की सदस्य श्रीमती गुर्जर उलझ गई है। एसीबी ने जिस जूनियर एकाउंटेंट सज्जन गुर्जर को 23 लाख रुपए की रिश्वत लेते पकड़ा है, उसमें एसीबी के पास वो ऑडियो हैं, जिसमें सज्जन गुर्जर राजकुमारी गुर्जर और उनके पति भैरो सिंह गुर्जर के नाम पर रिश्वत मांग रहा है। 23 लाख रुपए की रिश्वत आरएएस के इंटरव्यू में अच्छे अंक दिलवाने के लिए ली गई थी। चूंकि आरएएस के इंटरव्यू की प्रक्रिया में श्रीमती गुर्जर भी भाग ले रही हैं, इसलिए उनका महत्व ज्यादा है। अब यह देखना होगा कि 12 और 13 जुलाई को होने वाले आरएएस के इंटरव्यू में श्रीमती गुर्जर भाग लेती हैं या नहीं। हालांकि इस संबंध में आयोग के अध्यक्ष भूपेन्द्र यादव का कहना है कि जिस सज्जन गुर्जर को एसीबी ने गिरफ्तार किया है उसका आरएएस के इंटरव्यू से कोई सरोकार नहीं है। यादव ही आयोग के अध्यक्ष की हैसियत से इंटरव्यू के लिए बोर्ड का गठन करते हैं। बोर्ड का चेयरमैन आयोग के सदस्य को ही बनाया जाता है। आरएएस के इंटरव्यू के लिए प्रतिदिन चार बोर्ड बनाए जा रहे हैं। ये चार बोर्ड प्रतिदिन 64 अभ्यर्थियों के इंटरव्यू लेते हैं। यह सही है कि आयोग का कौन सा सदस्य किस बोर्ड का चेयरमैन होगा, इसकी सूचना अध्यक्ष की ओर से इंटरव्यू के दिन ही दी जाती है। प्राप्त जानकारी के अनुसार जूनियर अकाउंटेंट सज्जन गुर्जर का आयोग की सदस्य श्रीमती गुर्जर के कक्ष में बेरोक टोक आना जाना था।
भाजपा के पार्षद तो खुद फंस रहे हैं:
स्थानीय निकायों में भाजपा के पार्षद तो एसीबी के शिकंजे में खुद ही फंस रहे हैं। तीन दिन पहले ही अजमेर नगर निगम में भाजपा की पार्षद नीतू शर्मा के पति रंजन शर्मा के दो दलालों को रिश्वत लेते हुए एसीबी ने गिरफ्तार किया। इसी प्रकार विगत दिनों ब्यावर नगर परिषद में भाजपा के तीन पार्षदों पर एसीबी ने शिकंजा कसा है। हालांकि स्थानीय निकायों में अधिकांश पार्षदों की भूमिका संदिग्ध मानी जाती है, लेकिन एसीबी के निशाने पर ज्यादातर भाजपा के पार्षद हैं। इसमें महिला पार्षद के मामलों में पति अथवा पिता की भूमिका सामने आ रही है।
राजनीतिक नियुक्तियों का परिणाम:
एसीबी ने आरएएस के इंटरव्यू में रिश्वतखोरी का जो मामला पकड़ा है, वह आयोग में राजनीतिक नियुक्तियों से जुड़ा है। प्रदेश में जिस दल की सरकार होती है, उस दल के नेता अथवा विचारधारा से जुड़े व्यक्ति को आयोग का सदस्य नियुक्ति किया जाता है। राजकुमारी गुर्जर भी वर्ष 2016 में आयोग का सदस्य नियुक्ति होने से पहले भाजपा की सक्रिय कार्यकर्ता रही। श्रीमती गुर्जर दौसा जिले में सक्रिय थी। वे करौली जिला परिषद की सदस्य भी रहीं। सूत्रों के अनुसार श्रीमती गुर्जर ने राजनीति में तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को जो सहयोग किया, उसी का ईनाम श्रीमती गुर्जर को आयोग का सदस्य बनाकर किया गया। मौजूदा कांग्रेस शासन में भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आयोग में राजनीतिक नजरिए से भी नियुक्तियां की है। सुप्रसिद्ध कवि कुमार विश्वास की पत्नी मंजू शर्मा तथा राज्य के मुख्य सचिव निरंजन आर्य की पत्नी श्रीमती संगीता आर्य तक को आयोग का सदस्य मनोनीत किया गया। इतना ही नहीं भूपेन्द्र यादव को पुलिस महानिदेशक के पद से हटा कर आयोग का अध्यक्ष बनाया गया। यानी हर सरकार अपने नजरिए से आयोग के कामकाज में दखल देती है।
संदेह वाले अधिकारियों को हटाया जाए:
राजस्थान के प्रमुख गुर्जर नेता और गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के प्रतिनिधि विजय बैंसला ने कहा कि आयोग के प्रकरण में उन सभी अधिकारियों और सदस्यों को तत्काल प्रभाव से हटाया जाना चाहिए जिनकी भूमिका संदेह के घेरे में हैं। जब तक जांच का काम पूरा न हो तब तक ऐसे सदस्यों और अधिकारियों को आयोग से बाहर करना चाहिए। इस मामले में सरकार को वोटों की राजनीति का गणित नहीं लगाना चाहिए। आयोग में इन दिनों जो कुछ भी हो रहा है, उससे प्रदेश के युवाओं में निराशा का माहौल है। शर्मा को आयोग की निष्पक्षता का ख्याल रखना चाहिए। बैंसला ने एसीबी के डीजी बीएल सोनी और एडीजी दिनेश एनएम का आभार जताया। बैंसला ने कहा कि एसीबी ने बहुत मेहनत कर यह कार्यवाही की है। इससे भ्रष्टाचारियों में भय व्याप्त होगा।