रेल कर्मचारी संगठनों ने साधी चुप्पी, वेतन से पैसे काटने का मामला
कोटा। कार्मिकों के वेतन से पैसे काटने के मामले में विभिन्न कर्मचारी संगठनों ने चुप्पी साध ली है। पिछले कई दिन से मामला लगातार सुर्खियों में रहने के बाद भी किसी कर्मचारी नेता का अब तक कोई अधिकृत बयान सामने नहीं आया है। कर्मचारियों द्वारा इसके अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं। कर्मचारियों का कहना है कि बात-बात में प्रशासन की ईंट से ईंट बजा देने की धमकी देने वाले नेताओं की यह चुप्पी आश्चर्यजनक है। इससे नेताओं की कथनी और करनी में अंतर आसानी से समझा जा सकता है। कर्मचारियों ने कहा कि रात दिन कार्मिकों के हित का दावा करने वाले संगठन अपने निजी स्वार्थों के चलते गलत बातों का भी विरोध करने से पीछे हटने लगे हैं। इससे नेताओं और अधिकारियों की मिलीभगत साफ नजर आ रही है। इसी का नतीजा है कि कर्मचारी आज अधिकारियों के हाथों लुटने को मजबूर हो रहे हैं। इसी दोगली नीति के चलते कर्मचारियों का विश्वास अब धीरे-धीरे इन संगठनों से उठता जा रहा है। यही कारण है की विभिन्न विभाग के कर्मचारी अब अपना खुद का संगठन बना रहे हैं।
यह है मामला
उल्लेखनीय है कि अधिकारियों ने पश्चिम-मध्य रेलवे महिला कल्याण संगठन (डब्लूडब्लूओ) के लिए जोन के करीब 50 हजार कर्मचारियों के वेतन से 50-50 रुपए काट लिए। मामले में खास बात यह है कि रेलवे में कर्मचारियों को इसकी सूचना देना या सहमति लेना तक जरूरी नहीं समझा। हालांकि रेलवे द्वारा इसका दिखावा जरूर किया गया था। लेकिन कर्मचारियों तक इसकी सूचना पहुंची ही नहीं। कर्मचारियों के साथ अधिकारियों के वेतन से भी 5000 और 2000 रुपए काटे गए हैं। विभागीय कार्रवाई होने के डर से अधिकारी और कमजोरी इसका खुलकर विरोध भी नहीं कर पा रहे हैं।