केंद्रीय मंत्री श्री प्रह्लाद जोशी ने राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण न्यास (एनएमईटी) को एक स्वायत्तशासी निकाय के रूप में पुनर्गठित करने का आह्वान किया

केंद्रीय कोयला, खान और संसदीय कार्य मंत्री श्री प्रह्लाद जोशी ने खान मंत्रालय के अधिकारियों से आग्रह किया है कि वे राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण न्यास (एनएमईटी) को एक स्वायत्तशासी  निकाय के रूप में पुनर्गठित करने के काम में और तेजी लाएं। मंत्री महोदय आज यहां नई दिल्ली में इस न्यास (ट्रस्ट) के प्रशासनिक निकाय की तीसरी बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत जैसे संसाधन संपन्न देश में खनिज अन्वेषण को और बढ़ावा देने के लिए सभी प्रयास किए जाने चाहिए ताकि इनके आयात में कटौती की जा सके। श्री जोशी ने कहा कि इस क्षेत्र में अधिक कम्पनियों को आकर्षित करने के लिए खनिज अन्वेषण के क्षेत्र में यदि किसी प्रकार की कड़ी शर्तें हैं तो उन्हें हटाने की आवश्यकता है।
 
प्रशासनिक निकाय की बैठक की अध्यक्षता करते हुए मंत्री महोदय ने भारत में खनिज अन्वेषण प्रयासों के अन्य क्षेत्रों के साथ-साथ सोने और दुर्लभ तत्वों की खोज पर ध्यान देने की आवश्यकता पर बल दिया। श्री प्रह्लाद जोशी ने अन्वेषण बढ़ाने के लिए राज्यों, विशेषकर खनिज संपन्न राज्यों को अन्वेषण में तेजी लाने के लिए राज्यों के बीच प्रतिस्पर्धा का माहौल बनाने की भी जरूरत है। मंत्री श्री जोशी ने कहा कि खनन अन्वेषण को प्रोत्साहित करने के लिए राज्यों के साथ निरंतर और अधिक बातचीत करने और उसके परिणामोन्मुखी होने की आवश्यकता है।
 
राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण न्यास (एनएमईटी) की आवधिक समीक्षा और नीति निर्देशों के लिए प्रशासनिक निकाय की बैठक का आयोजन किया गया था। मंत्री महोदय ने बैठक में बताया कि खनिज अन्वेषण एक एकीकृत प्रक्रिया है और इसके लिए बड़े कोष की आवश्यकता होती है तथा राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण न्यास (एनएमईटी) की निधि का प्रयोग देश में अन्वेषण गतिविधियों के लिए होता है। उन्होंने राज्य सरकार की एजेंसियों को खनिजों के क्षेत्रीय आधार पर अन्वेषण के लिए विस्तृत और ठोस योजना बनाने की सलाह दी।
 
 
राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण न्यास (एनएमईटी) की समय-समय पर समीक्षा और नीति निर्देशों के लिए आयोजित इस बैठक के दौरान खान मंत्रालय के सचिव श्री आलोक टंडन और संयुक्त सचिव श्री उपेंद्र सी जोशी ने शासी निकाय के सदस्यों को शुरू किए जा रहे सुधारों, परियोजनाओं की संख्या और हाल ही में देश में खनिज अन्वेषण के लिए स्वीकृत राशि के बारे में जानकारी दी।
 
2015 में खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 में हुए संशोधनों ने खनिज रियायतों के अनुदान के लिए अब पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी नीलामी प्रक्रिया की शुरुआत की है। इस संशोधन के द्वारा खनिज अन्वेषण गतिविधियों को गति देने के लिए राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण न्यास (एनएमईटी) की स्थापना का भी प्रावधान किया गया है। खनन पट्टा और पूर्वेक्षण लाइसेंस-सह-खनन पट्टा धारक अधिनियम की दूसरी अनुसूची के तहत खनिजों के लिए रॉयल्टी के भुगतान के साथ-साथ राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण न्यास (एनएमईटी) योगदान के रूप में रॉयल्टी के 2% के बराबर भुगतान करते भी हैं।
 
राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण न्यास (एनएमईटी) एक ऐसा निकाय है जो खनन गतिविधि के मामले में देश की खनिज क्षमता का दोहन करने के लिए काम कर रहा है और साथ ही राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के विकास में भी अपना योगदान देता है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए कई कदम उठाए गए हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को अपनी भूवैज्ञानिक संपदा से सही योगदान मिल सके। इस समय देश का खनन उद्योग सरकार के निवेशक अनुकूल और परिवर्तनकारी हस्तक्षेपों के माध्यम से शुरू किए गए सुधारों के दौर से गुजर रहा है।
 
राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण न्यास (एनएमईटी) निधि का उपयोग सामरिक और महत्वपूर्ण खनिजों पर विशेष जोर देने के साथ क्षेत्रीय और विस्तृत अन्वेषण; स्पष्ट भूवैज्ञानिक क्षमता (ओजीपी) और भारत के आसपास के क्षेत्रों का हवाई भू-भौतिकीय सर्वेक्षण; उन्नत वैज्ञानिक और तकनीकी प्रथाओं और खनिज निष्कर्षण धातु विज्ञान को अपनाने के साथ स्थायी खनन के लिए किया जा रहा है। यह अन्वेषण की गतिविधियों को इस तरह से भी सुविधाजनक बनाता है कि खोजे गए क्षेत्रों में अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार खनिज रियायतों के अनुदान के लिए काम किया जा  सकता है।
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