उपराष्ट्रपति, श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज नए बाजार की मांगों के अनुरूप युवाओं को सक्षम बनाने और हमारे कार्यबल की उत्पादकता में सुधार करने के लिए कौशल अंतर को समाप्त करने की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा, ‘आने वाले वर्षों में भारत की अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए यह महत्वपूर्ण है।’
श्री नायडू ने इस संबंध में, उद्योग और सामाजिक क्षेत्र के नेतृत्व से प्रशिक्षण और कौशल विकास जैसे कौशल विकास योजना, उड़ान, आदि में सरकार के प्रयासों को पूरा समर्थन करने का आह्वान किया। उन्होंने उद्योग जगत से इसे एक ‘नेक सामाजिक मिशन’ के रूप में लेने का आग्रह किया। उन्होंने भारतीय कंपनियों के प्रयासों की सराहना की जो अपने कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व के माध्यम से इस तरह के व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं और कई गरीब लोगों के लिए स्थायी आजीविका पैदा कर रहे हैं। उन्होंने आर्थिक और सामाजिक रूप से महिलाओं के उत्थान और सशक्तिकरण में कौशल की महत्वपूर्ण भूमिका का भी उल्लेख किया।
हैदराबाद में जीएमआर वरलक्ष्मी फाउंडेशन के सेंटर फॉर एम्पावरमेंट एंड लाइवलीहुड का दौरा करते हुए, श्री नायडू ने केंद्र में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे कर्मचारियों और प्रतिभागियों के साथ बातचीत भी की। उन्होंने सुझाव दिया कि कौशल उन्नयन को भी रोजगार बाजार में प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए 21वीं सदी की उभरती मांगों के अनुरूप होना चाहिए। उन्होंने प्रशिक्षुओं को नवीनतम तकनीकी विकास से अवगत रहने की सलाह भी दी।
बाद में, उपराष्ट्रपति ने जीएमआर चिन्मया विद्यालय का भी दौरा किया और शिक्षकों और छात्रों के साथ बातचीत की। उपराष्ट्रपति के विद्यालय के दौरे के समय जीएमआर समूह के संस्थापक-अध्यक्ष ग्रैंडी मल्लिकार्जुन राव, जीएमआर वरलक्ष्मी फाउंडेशन के अधिकारी और कर्मचारी और अन्य लोग भी उपस्थित थे।
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