हाल में ही आयोजित एक विचार श्रुंखला में विशेषज्ञों ने यह बताया है कि कृत्रिम बुद्धिमता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-एआई) से ऐसे नए अवसरों का सृजन हो रहा है जिन्हें जिसे पारंपरिक तकनीकियों के माध्यम से प्राप्त नहीं किया जा सकता है और इसका उपयोग स्वास्थ्य देखभाल के साथ-साथ विभिन्न क्षेत्रों में कई अन्य वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों के लिए किया जा सकता है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार और विज्ञान प्रसार परिषद द्वारा आयोजित ऑनलाइन विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) आजादी का अमृत महोत्सव प्रवचन श्रृंखला न्यू इंडिया @ 75 में कहा कि “ कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) लोगों की जगह नहीं लेगी बल्कि यह विभिन्न क्षेत्रों में नए अवसर जुटाएगी । यह आंकड़ों के आधार पर काम करता है और अगर हम अपनी मशीनों को आदेशों का पालन करने के लिए प्रशिक्षित कर सकते हैं इससे यह स्वचालित प्रक्रियाओं द्वारा मिलीसेकंड में हमारे लिए चमत्कार भी हो सकते है। इसका उपयोग कोविड -19 सहित विभिन्न बीमारियों के नैदानिक उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है और यह दूरदराज के ऐसे क्षेत्रों में बहुत प्रभावी साबित हो सकती है जहां पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। उन्होंने आगे कहा कि विभिन्न समस्याओं के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का उपयोग करने में सफलता की कुंजी अधिकतम लोगों तक पहुंचना है ”।
उन्होंने इस बारे में आगे बताया कि पिछले वर्षों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने कैसे और प्रगति करने के साथ ही मूलभूत प्रौद्योगिकियों को आगे बढ़ाया है और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा नवाचार-आधारित समाधानों के साथ तेज गति से आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए कई योजनाएं भी शुरू की हैं। उन्होंने कहा “विघटनकारी और प्रभावशाली प्रौद्योगिकियों का सामने आना नई चुनौतियों के साथ-साथ अधिक अवसरों का भी सृजन करता है। उनका यह विभाग अर्थात डीएसटी देश की प्रगति और विकास के लिए युवा प्रतिभाओं की मदद करने, उनका पोषण करने और विकसित करने वाली एक पौधशाला ही है।”
इस अवसर पर नीति आयोग के वरिष्ठ सलाहकार सुश्री अन्ना रॉय ने कहा कि देश की विभिन्न चुनौतियों के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का प्रभावशील ढंग से उपयोग किया जा सकता है। “भारत के सामने कई चुनौतियाँ हैं लेकिन इसके बावजूद हमारे पास आंकड़ों से समृद्ध ऐसा देश होने का लाभ है जिसमें बहुत सारे सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) पेशेवर, शिक्षाविद और जनसांख्यिकीय लाभांश मौजूद हैं। सुश्री अन्ना ने आगे कहा कि “यदि हम इनका उपयोग देश की प्रगति और विकास के लिए कर सकें तो यह सब हमारे लिए वरदान साबित हो सकता है “।
उन्होंने देश की विभिन्न समस्याओं की पहचान करने और भारत के लिए भविष्य के परिदृश्य (रोडमैप) का सुझाव देने में नीति आयोग की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने जोर देकर कहा कि ” नीति आयोग सरकार और देश के लिए अग्रणी विचार केंद्र (थिंक टैंक) के रूप में विज्ञान और प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र का विस्तार करने और हर क्षेत्र में देश की प्रगति और विकास के लिए उद्योग एवं शिक्षा को साथ ले जाने के लिए आवश्यक नीतियां बना रहा है “।
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