नई शिक्षा प्रणाली में नियमों को उदार परंतु पुख्ता रूप दिया जाना चाहिए ताकि यह बदलते समय के अनुरूप हो। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की पृष्ठभूमि में तेज़ी से बदलती शिक्षा व्यवस्था पर आयोजित किए गए तकनीकि संवाद में विशेषज्ञों ने यह रेखांकित किया।
आजादी का अमृत महोत्सव मनाने के क्रम में प्रौद्योगिकी सूचना, पूर्वानुमान और आकलन परिषद (टीआईएफएसी) द्वारा आयोजित तकनीकि संवाद में एआईसीटीई के अध्यक्ष प्रोफेसर अनिल सहश्रबुद्धे ने कहा कि नई शिक्षा प्रणाली में शिक्षक की भूमिका एक सूत्रधार या नेविगेटर की तरह है,जो स्टार्टअप इंडिया, डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया जैसे विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों के साथ कदमताल करते हुए ऐसे मानव संसाधन के सृजन में मदद करे जो देश के विकास और प्रगति में अपना योगदान कर सके।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागू हो चुकी है और अर्थव्यवस्था तथा देश के विकास एवं प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान के लिए शिक्षा क्षेत्र में कई अहम बदलाव किए गए हैं। “प्रोफेसर सहश्रबुद्धे ने ‘पहुंच, कभी भी,कहीं भी-एक नया शिक्षा प्रतिमान’विषय पर संवाद में अपने सम्बोधन में रेखांकित किया कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को प्रोत्साहित करने और कठिनाइयों को दूर करने से छात्रों को अपने लिए बेहतर भविष्य के साथ-साथ देश की प्रगति और विकास के लिए अपनी क्षमता का भरपूर उपयोग करने में मदद मिल सकती है।
मानव संसाधन का सृजन शिक्षा जगत द्वारा किया जाता है। देश की अर्थव्यवस्था के विकास और प्रगति के साथ-साथ देश के नागरिकों के विकास और प्रगति के लिए सरकार द्वारा अनेकों सुधार किए गए और अनेक कार्यक्रम शुरू किए गए हैं।उन्होंने कहा कि शिक्षा क्षेत्र आवश्यक कौशल प्रदान करने के लिए महत्वपूर्ण है। यह एक राष्ट्रीय कार्यक्रमहै और इसके लिए सरकार और निजी क्षेत्र दोनों उत्तरदायी हैं।
टीआईएफ़एसी ने विज्ञान जगत और समाज की भलाई में विज्ञान और प्रद्योगिकी से जुड़े ज्ञान के प्रचार और प्रसार के लिए इस वर्ष तकनीकि संवाद कार्यक्रम की शुरुआत की है।
टीआईएफएसी के कार्यकारी निदेशकडॉ. प्रदीप श्रीवास्तवने शिक्षा क्षेत्र से संबन्धित कार्ययोजना पर अब तक टीआईएफएसी द्वारा किए गए कार्यों के बारे में विस्तार से बताया। टीआईएफएसी ने शिक्षा जगत के लिए प्रौद्योगिकी कार्ययोजना 2035 प्रस्तुत की है। उन्होंने कहा कि हमारी परिकल्पना कौशल विकास की है, ताकि भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रगति और विकास के लिए रोजगार प्रदाताओंकी संख्या बढ़े न कि रोजगार तलाशने वालों की।
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