SC का बड़ा बयान- आपराधिक छवि वाले नेताओं को कानून बनाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए
आपराधिक छवि वाले नेताओं के रिकॉर्ड का चुनाव में खुलासा करने के अपने आदेश की अवमानना पर सुप्रीम कोर्ट ने तीखी टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा, राजनीतिक व्यवस्था के अपराधीकरण का खतरा बढ़ता जा रहा है. इसकी शुद्धता के लिए आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों को कानून निर्माता बनने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. मगर हमारे हाथ बंधे हैं. हम सरकार के आरक्षित क्षेत्र में अतिक्रमण नहीं कर सकते. हम केवल कानून बनाने वालों की अंतरात्मा से अपील कर सकते हैं.
चुनावी कैंडिडेट का आपराधिक रिकॉर्ड सार्वजनिक न करने पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाई है. इस मामले में कोर्ट ने भाजपा और कांग्रेस समेत 8 दलों पर जुर्माना लगाया. इन सभी 8 पार्टियों ने बिहार चुनाव के समय तय किए गए उम्मीदवारों के क्रिमिनल रिकॉर्ड सार्वजनिक करने के आदेश का पालन नहीं किया था.
राजनीतिक दलों पर जुर्माना लगाने के साथ ही कोर्ट ने कहा कि सभी राजनीतिक दलों को अपने उम्मीदवारों का चयन करने के 48 घंटे के अंदर उनका क्रिमिनल रिकॉर्ड पब्लिश करना होगा. सभी पार्टियों को अपने सभी उम्मीदवारों की जानकारी अपनी वेबसाइट पर देनी होगी और 2 अखबारों में भी पब्लिश करानी होगी. उम्मीदवार के चयन के 72 घंटे के अंदर इसकी रिपोर्ट चुनाव आयोग को भी सौंपनी होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अवमानना की कार्रवाई से बचने के लिए पार्टियों ने आपराधिक छवि वाले प्रत्याशियों के रिकॉर्ड की जानकारी ऐसे अखबारों में छपवाई, जिनकी प्रसार संख्या बहुत कम थी जबकि हमने आदेश दिया था कि जानकारी ज्यादा प्रसार वाले अखबारों में प्रकाशित कराई जाए. इतना ही नहीं, इलेक्ट्रोनिक मीडिया में भी यह जानकारी प्रसारित की जाए. भविष्य में राजनीतिक दल ऐसी गलती न दोहराएं और आदेश का सही तरह से पालन किया जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा, कांग्रेस, जेडीयू, आरजेडी, एलजेपी और CPI पर एक-एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया. वहीं, NCP और CPM पर पांच-पांच लाख रुपए का जुर्माना किया गया है. कोर्ट ने आदेश देने से पहले कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि बार-बार अपील करने के बावजूद राजनीतिक दलों ने नींद तोड़ने में रुचि नहीं दिखाई.