नरेंद्र मोदी के खिलाफ सोनिया गांधी और ममता बनर्जी की व्यक्तिगत जंग। संसद में मार कुटाई दुर्भाग्यपूर्ण।

मोदी के खिलाफ व्यक्तिगत जंग:
कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जो रणनीति बनाई उसी का परिणाम रहा कि इस बार संसद का मानसून सत्र विफल हो गया। 19 जुलाई से लेकर 11 अगस्त तक दोनों सदनों में सिर्फ हंगामा हुआ। विपक्ष चाहे कुछ भी कारण बताएं, लेकिन यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ सोनिया गांधी और ममता बनर्जी की व्यक्तिगत जंग रही है। मानसून सत्र के शुभारंभ पर ममता बनर्जी पांच दिनों तक दिल्ली में ही रहीं। तब उनकी मुलाकात सोनिया गांधी से भी हुई। इस मुलाकात में ही मानसूत्र सत्र को विफल करने की रणनीति बनी। पूरा देश जानता है कि सोनिया और ममता की मोदी से व्यक्तिगत नाराजगी है। इस नाराजगी को दर्शाने के लिए इस बार संसद का इस्तेमाल किया गया है। संसद में हंगामा करने वाले कांग्रेस और ममता की टीएमसी के सांसदों के नाम पढ़े जाएं तो हंगामे की मानसिकता को समझा जा सकता है। ये ऐसे सांसद हैं जो मार्शल की पिटाई करने और गला दबाने से भी नहीं चूकते हैं। जिस तरह एक महिला मार्शल को हाथ पकड़ कर इधर उधर घसीटा गया, यह एक तरह से आपराधिक घटना हळै। मार कुटाई करने मेज पर चढ़ कर बिल फाड़ने, संसद के नियमों की किताब फेंकने आदि की घटनाओं के बाद भी सरकार को दोषी ठहराया जा रहा है। लोकतंत्र का यह मखौल तब उड़ाया जा रहा है, जब सत्तारूढ़ भाजपा और उनके सहयोगी दलों के पास 545 में से 350 सांसदों का बहुमत है। इतना बहुमत होने के बाद भी संसद का नहीं चलना दुर्भाग्यपूर्ण है।