आवास एवं शहरी कार्य सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्र ने बढ़ती शहरी आबादी को समायोजित करने और माननीय प्रधानमंत्री के विजन इंडिया @2047 के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए किफायती, रहने योग्य और सभी बुनियादी सुविधाओं से लैस घरों वाले शहरों का विकास करने का आह्वान किया है। उन्होंने आज “समावेशी आवास” विषय पर एक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि अपने बेहतर भविष्य के लिए शहरों में आने वाले शहरी श्रमिकों, प्रवासी मजदूरों और अन्य गरीबों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए हमें उनके लिए सभी बुनियादी सुविधाओं से लैस घर बनाने चाहिए ताकि झुग्गी-झोपड़ियां खत्म हों और मौजूदा झुग्गी-झोपड़ियों के स्थान पर सर्व-समावेशी आवासों के विकास का मार्ग प्रशस्त हो। उन्होंने कहा कि हमें माननीय प्रधानमंत्री के विजन इंडिया@2047 के सपने को साकार करने और सिटी ब्यूटीफुल मूवमेंट, यानी पुनर्विकास के जरिए मलिन बस्तियों से मुक्त नए विकास और मलिनीकरण से मुक्ति (डी-स्लमिफिकेशन), की शुरुआत करने के लिए कमर कसने की जरूरत है।
इस संगोष्ठी का आयोजन नई दिल्ली स्थित स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर द्वारा किया गया। प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (पीएमएवाई-यू), जोकि किफायती आवास से जुड़ा दुनिया का सबसे बड़ा मिशन है, ने एक सार्वभौम विषय के रूप में ‘सभी के लिए आवास’ को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक अनूठी पहल ‘आवास पर संवाद’ की शुरुआत की है। माननीय प्रधानमंत्री के 2022 तक ‘सभी के लिए आवास’ की परिकल्पना को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से संगोष्ठियों और कार्यशालाओं की एक श्रृंखला आयोजित की जा रही है।
इस अवसर पर बोलते हुए, आवास एवं शहरी कार्य सचिव ने कहा, “प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) मिशन देशभर के लोगों को सभी बुनियादी सुविधाओं से लैस आवास उपलब्ध करा रहा है। सरकार ने एक ऐसा इकोसिस्टम बनाया है ताकि लोगों को एक अच्छा आश्रय और सम्मानजनक जीवन मिल सके।”श्री मिश्र ने कहा कि शहरों में बदलाव लाना एक बड़ी चुनौती है। जब हम सबके लिए आवास के लक्ष्य को हासिल कर लेंगे, तो यह एक नए भारत की शुरुआत होगी। उन्होंने कहा कि पीएमएवाई (यू) योजना का उद्देश्य सिर्फ घर बनाना भर नहीं है, बल्कि उन घरों में स्वच्छता, पानी, बिजली, रसोई गैस, शौचालय आदि की बुनियादी सुविधाएं भी प्रदान करना है।
श्री मिश्र ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत शहरी क्षेत्रों में 1.13 करोड़ से अधिक मकान स्वीकृत किए गए हैं और 85 लाख मकान जमीन पर तैयार खड़े हैं। कुल 50 लाख से अधिक आवासों में लाभार्थियों ने पहले ही रहना शुरू कर दिया है और हम इस योजना के निर्धारित लक्ष्यों को हासिल करने के करीब हैं।
रेरा के बारे में बोलते हुए, उन्होंने कहा कि इस कानून के लागू होने से आवास के क्षेत्र में विभिन्न प्रकार की धोखाधड़ी और संदेह के माहौल पर अंकुश लगा है। हाल ही में केन्द्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित मॉडल किरायेदारी अधिनियम (मॉडल टेनेंसी एक्ट)देश के रियल एस्टेट के क्षेत्र में बहुत बड़ा अवसर प्रदान करेगा। विभिन्न राज्यों द्वारा इस अधिनियम के लागू होने के बाद शहरी आबादी के बड़े हिस्से को समायोजित किया जा सकेगा।
श्री मिश्र ने कहा कि ऐसा पहली बार हुआ है कि दिल्ली की अनधिकृत कॉलोनियों में रहने वाले 3.50 लाख से अधिक लोगों ने प्रधानमंत्री उदय योजना के तहत भूमि का अधिकार पाने के लिए डीडीए द्वारा विकसित पोर्टल पर पंजीकरण कराया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने किफायती आवास के क्षेत्र में एक ऐसा इकोसिस्टम बनाया है, जिसमें एक गरीब आदमी भी सभी बुनियादी सुविधाओं से लैस अपना घर बनाने का सपना देख सकता है। यह आजादी के बाद की एक नई शुरुआत है, जो शहरी गरीबों की सबसे आवश्यक जरूरत यानी घर के सपने को पूरा करेगी।
अफोर्डेबल रेंटल हाउसिंग कॉम्प्लेक्स (एआरएचसी) के बारे मेंउन्होंने कहा, “पिछली आवासीय योजनाओं का ध्यान स्वामित्व पर आधारित था। लेकिन अब हमने आजादी के बाद पहली बार किराये के मकान (रेंटल हाउसिंग) के नए युग की शुरुआत की है। यह योजना शहरी प्रवासियों/शहरी गरीबों के लिए सस्ते किराये के आवास की समस्या के समाधान का एक स्थायी इकोसिस्टम बनाकर ‘आत्मनिर्भर भारत’ के माननीय प्रधानमंत्री के सपने को साकार करती है। अफोर्डेबल रेंटल हाउसिंग कॉम्प्लेक्स (एआरएचसी) शहरी प्रवासियों/गरीबों को उनके कार्यस्थल के निकट आवश्यक नागरिक सुविधाओं से लैस एक सम्मानजनक और सस्ते किराये पर रहने की सुविधा प्रदान करते हैं।”सूरत, अहमदाबाद और चंडीगढ़ जैसे शहरों में अब तक लगभग 4000 सस्ते किराये के मकानों का शुभारंभ हो चुका है। लगभग 7000 ऐसे आवास निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं और हाल ही में हमने सार्वजनिक/निजी एजेंसियों/संगठनों द्वारा लगभग 60,000 घरों के निर्माण को मंजूरी दी है।
आवास एवं शहरी कार्य सचिव ने ग्लोबल हाउसिंग टेक्नोलॉजी-इंडिया (जीएचटीसी-इंडिया) और लाइट हाउस प्रोजेक्ट्स के दायरे के भीतर भविष्य में उपयोग के लिए वैश्विक स्तर की नवीन तकनीकों को देश में लाने से जुड़ी मंत्रालय की पहल के बारे में भी बताया।
आवास एवं शहरी कार्य सचिव ने पूर्वोत्तर राज्यों में पीएमएवाई (यू) योजना की उपलब्धियों के बारे में बताते हुए कहा कि इन राज्यों में एक लाख से अधिक किफायती घरों का निर्माण पूरा हो चुका है। कुल 50 प्रतिशत स्वीकृत घरों का निर्माण पूरा करके त्रिपुरा सबसे आगे है, जबकि असम ने सभी पूर्वोत्तर राज्यों के लिए स्वीकृत कुल 3.7 लाख आवासों में से अपने हिस्से के 23 प्रतिशत आवासों का निर्माण पूरा कर लिया है।
इस संगोष्ठी में आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव श्री सुरेंद्र कुमार बागड़े ने भी भाग लिया। अतिथियों का स्वागत एसपीए के निदेशक प्रोफेसर डॉ. पी.एस.एन. राव ने किया। संगोष्ठी में विभिन्न हितधारकों के साथ ‘आवास से संबंधित अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य’, ‘पूर्वोत्तर में पीएमएवाई (यू) से जुड़े अनुभव’, ‘दिल्ली के दिलशाद गार्डन में पीएमएवाई (यू) मलिन बस्ती पुनर्विकास’और ‘मलिन बस्तियों के बारे में जमीनी दृष्टिकोण’ आदि विषयों पर क्रमशःयूएन-हैबिटेट इंडिया की कंट्री प्रोग्राम मैनेजर श्रीमती पारुल अग्रवाल, ऊर्जा की तकनीकी सलाहकारऔर एसपीए की विजिटिंग फैकल्टी श्रीमती चित्रा जैन, सुरेश गोयल आर्किटेक्ट्स के श्री सुरेश गोयलऔर क्योर की निदेशक डॉ. रेणु खोसला द्वाराविचार-विमर्श और चर्चा की गई।
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