डीबीटी-बीआईआरएसी की मदद से जायडस कैडिला द्वारा विकसित जाइकोव-डी को आपातकालीन उपयोग के लिए मंजूरी मिली

जाइकोव-डी के लिए जायडस कैडिला को आज यानी 20/08/2021 को भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) से आपातकालीन उपयोग के लिए मंजूरी (ईयूए) मिल गई। यह दुनिया का पहला और भारत का स्वदेशी तौर पर विकसित डीएनए आधारित कोविड-19 टीका है। इसका उपयोग बच्‍चों के साथ-साथ 12 साल से अधिक उम्र के वयस्कों के लिए किया जा सकता है। ‘मिशन कोविड सुरक्षा’ के तहत भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के साथ साझेदारी में विकसित और बीआईआरएसी द्वारा कार्यान्वित जाइकोव-डी को क्‍लीनिकल पूर्व अध्‍ययन और पहले एवं दूसरे चरण के क्‍लीनिकल परीक्षण के लिए नेशनल बायोफार्मा मिशन के जरिये और तीसरे चरण के क्‍लीनिकल परीक्षण के लिए मिशन कोविड सुरक्षा के जरिये कोविड-19 रिसर्च कंसोर्टिया के तहत समर्थन दिया गया है। तीन खुराक वाला यह टीका लगाए जाने पर शरीर में सार्स-सीओवी-2 वायरस के स्पाइक प्रोटीन का उत्पादन करता है और एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया हासिल करता है जो बीमारी से सुरक्षा के साथ-साथ वायरस को खत्‍म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्लग-एंड-प्ले तकनीक जिस पर प्लाज्मिड डीएनए प्लेटफॉर्म आधारित है, को वायरस में म्‍यूटेशन से निपटने के लिए आसानी से अनुकूलित किया जा सकता है जैसा कि पहले से ही हो रहा है।

इस टीके का तीसरे चरण का क्‍लीनिकल ​​परीक्षण 28,000 से अधिक लोगों पर किया गया। इसमें लक्षण वाले आरटी-पीसीआर पॉजिटिव मामलों में 66.6 प्रतिशत प्राथमिक प्रभावकारिता दिखी। यह कोविड-19 के लिए भारत में अब तक का सबसे बड़ा टीका परीक्षण है। यह टीका पहले और दूसरे चरण के क्‍लीनिकल परीक्षण में प्रतिरक्षण क्षमता और सहनशीलता और सुरक्षा प्रोफाइल के मोर्चे पर जबरदस्‍त प्रदर्शन पहले ही कर चुका है। पहले, दूसरे और तीसरे चरण के क्‍लीनिकल ​​परीक्षण की निगरानी एक स्वतंत्र डेटा सुरक्षा निगरानी बोर्ड (डीएसएमबी) द्वारा की गई है।

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जायडस समूह के टीका अनुसंधान केंद्र वैक्सीन टेक्नोलॉजी सेंटर (वीटीसी), जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के एक स्‍वायत्‍त संस्‍थान ट्रांसलेशनल हेल्थ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट (टीएचएसटीआई) और जैव प्रौद्योगिकी विभाग के राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन (एनबीएम) के तहत पुणे के इंटरएक्टिव रिसर्च स्कूल फॉर हेल्थ अफेयर्स (आईआरएसएचए) में स्‍थापित जीसीएलपी प्रयोगशाला ने भी सफलता की इस कहानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

डीबीटी की सचिव एवं बीआईआरएसी की चेयरपर्सन डॉ. रेणु स्‍वरूप ने कहा, ‘यह काफी गर्व की बात है कि आज हमारे पास जैव प्रौद्योगिकी विभाग के साथ साझेदारी में विकसित और मिशन कोविड सुरक्षा के तहत समर्थित दुनिया के पहले डीएनए कोविड-19 टीका जाइकोव-डी के लिए ईयूए है। भारतीय टीका मिशन कोविड सुरक्षा को आत्मनिर्भर भारत पैकेज 3.0 के तहत लॉन्च किया गया था। इसका उद्देश्य सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित एवं प्रभावकारी कोविड-19 टीकों का विकास करना है। इसे बीआईआरएसी द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है। हमें विश्वास है कि यह भारत और दुनिया दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण टीका होगा। यह हमारे स्वदेशी टीका विकास मिशन में एक महत्वपूर्ण पड़ाव है और यह भारत को नए टीकों के विकास में वैश्विक मानचित्र पर स्‍थापित करता है।’  

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जायडस समूह के अध्यक्ष श्री पंकज आर. पटेल ने कहा, ‘हम बेहद खुश हैं कि कोविड-19 से लड़ने के लिए एक सुरक्षित, अच्छी तरह से सहन करने योग्य और प्रभावी टीका बनाने के हमारे प्रयास जाइकोव-डी के साथ अब एक वास्तविकता बन गए हैं। इतने महत्वपूर्ण मोड़ पर और तमाम चुनौतियों के बावजूद दुनिया का पहला डीएनए टीका बनाना भारतीय शोध वैज्ञानिकों की मेहनत और नवोन्मेष के लिए उनकी भावना का पुरस्‍कार है। मैं आत्मनिर्भर भारत और भारतीय टीका मिशन कोविड सुरक्षा के इस अभियान को समर्थन देने के लिए भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग को धन्यवाद देना चाहता हूं।’

 

डीबीटी के बारे में

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) भारत में जैव प्रौद्योगिकी को उसके विकास और कृषि, स्वास्थ्य सेवा, पशु विज्ञान, पर्यावरण एवं उद्योग में इसके कार्यान्वयन के जरिये बढ़ावा देता है।

 

बीआईआरएसी के बारे में

बायोटेक्‍नोलॉजी इंडस्‍ट्री रिसर्च असिस्‍टेंस काउंसिल (बीआईआरएसी) एक गैर-लाभकारी सार्वजनिक उपक्रम है। इसकी स्‍थापना भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) द्वारा किया गया है जो देश में उत्‍पाद विकास जरूरतों के संबंध में रण्‍नीतिक अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों के कार्यान्‍वयन के लिए उभरते जैव प्रौद्योगिकी उद्योग को प्रोत्‍साहित करने और बढ़ावा देने वाली एक इंटरफेस एजेंसी के रूप में कार्य करता है।

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