उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज लोगों को नदियों और जल निकायों के पारिस्थितिक महत्व के बारे में शिक्षित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने लोगों से इन्हें प्रदूषित और संकुचित नहीं करने का भी आग्रह किया।
कर्नाटक के बल्लारी जिले के होसपेटे में तुंगभद्रा बांध का दौरा करने के बाद, एक फेसबुक पोस्ट में उपराष्ट्रपति ने आने वाली पीढ़ियों के लिए अपने सीमित जल संसाधनों को संरक्षित और सुरक्षित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “नदी काफी हद तक एक जीवित सत्ता की तरह ही होती है और आइए हम इसकी पवित्रता और निर्मलता को अक्षुण्ण रखने का संकल्प लें।”
सभी किसानों को सिंचाई की सुविधा प्रदान करने की आवश्यकता को दोहराते हुए श्री नायडू ने कहा कि एक किसान के बेटे के रूप में, वह कृषि के लिए पानी के महत्व को समझते हैं। तुंगभद्रा बांध और उसके प्राकृतिक परिवेश का उल्लेख करते हुए, श्री नायडू ने कहा कि वह प्रकृति के ‘विराट स्वरूप’ की भव्यता और विशालता से अभिभूत हैं।
क्षेत्र के विकास में तुंगभद्रा बहुउद्देशीय परियोजना द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि विशाल खेतों की सिंचाई, बिजली उत्पादन और पर्यटन को बढ़ावा देते हुए यह अनेक प्रकार से राष्ट्र की सेवा कर रहा है।
बांध के इतिहास को याद करते हुए, उपराष्ट्रपति ने लिखा हालांकि, बांध के निर्माण पर प्रारंभिक तौर पर विचार 1860 के दशक में अकालग्रस्त रायलसीमा क्षेत्र को सिंचाई की सुविधा प्रदान करने की दृष्टि से किया गया था, पर परियोजना को लागू करने का अंतिम निर्णय 1944 में मद्रास और हैदराबाद की सरकारों द्वारा संयुक्त रूप से लिया गया। दूरदर्शी अभियंता, मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया ने बांध के डिजाइन और निर्माण की रूपरेखा को तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
आज बेंगलुरु से यहां पहुंचे उपराष्ट्रपति को तुंगभद्रा बहुउद्देशीय परियोजना के विभिन्न पहलुओं की जानकारी भी दी गई। कल वह बांध से कुछ किलोमीटर दूर यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल हम्पी का दौरा करेंगे।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि हम्पी और तुंगभद्रा बांध को स्कूलों और कॉलेजों के छात्रों के दर्शनीय स्थलों की सूची में सबसे ऊपर होना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रकृति के उल्लास का अनुभव करने की इच्छा रखने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए यह दोनों स्थल अत्यंत दर्शनीय और यात्रा करने योग्य हैं।
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