केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री श्री नित्यानंद राय ने आज संयुक्त राष्ट्र के एशिया और पेसेफिक के लिए आर्थिक व सामाजिक आयोग (UNESCAP) के आपदा, जलवायु और स्वास्थ्य से संबंधित मंत्रालयी पैनल की क्षेत्रीय परिचर्चा में वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के ज़रिए भाग लिया। परिचर्चा में आस्ट्रेलिया, चीन, इंडोनेशिया, जापान, मालदीव, पापुआ न्यू गिनी और थाइलैंड के मंत्री भी शामिल हुए। अपने संबोधन में श्री नित्यानंद राय ने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी हमेशा दुनिया को सहयोग और दुनिया से सहयोग के भाव से काम करते हैं। श्री राय ने कहा कि हम सभी कोविड-19 महामारी से लड़ रहे है। इस महामारी के बीच उष्ण कटिबंधीय चक्रवात, बाढ़, भूस्खलन, और सभी प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं में लोगों, विशेष रूप से हमारी जनसंख्या के गरीब और कमजोर तबके, की कठिनाईयों और पीड़ाओं को कई गुना बढ़ा दिया है।
केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री ने कहा कि वे भारत के अनुभवों से कुछ मुख्य सीख साझा करना चाहते हैं जो एशिया प्रशांत क्षेत्र में प्रतिरोधी भविष्य बनाने में सहायक हो सकती है। उन्होने कहा कि पिछले दो दशकों के दौरान आपदा जोखिम प्रबंधन क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों से संतुष्ट होने के कई कारण है। हमें जानी-पहचानी अपदाओं से होने वाली हानियों के जोखिम को कम करने के लिए और अधिक प्रयास करने चाहिए साथ ही हमें अज्ञात अथवा अप्रत्याशित आपदा जोखिमों से निपटने के लिए भी तैयार रहना चाहिए। कोविड-19 ने हमें अनियंत्रित आपदा के खतरे से अवगत कराया है। इसने यह दिखा दिया है कि किस प्रकार आपदा का प्रभाव तेजी से बढ़ सकता है। जिस प्रकार जलवायु परिवर्तन हो रहे हैं इसका काफी कुप्रभाव पड़ सकता है तथा प्रकृति एवं मानव को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। श्री नित्यानंद राय ने कहा कि विश्व की इस चुनौती में भारत सदैव वैश्विक समुदाय के साथ मिलकर अपना योगदान देने के लिये खड़ा है और आगे भी खड़ा रहेगा।
श्री नित्यानंद राय ने कहा कि प्राचीनकाल से ही भारत में पर्यावरण को लेकर सतर्कता और सजगता रही है। ऋग्वेद की एक ऋचा में कहा गया है कि ‘’पर्यावरण लोगों को सही जीवन जीने हेतु खुशी प्रदान करता है। नदियां जल प्रदान करती है तथा हमें स्वास्थ्य, रात्रि, प्रात: काल व वनस्पति प्रदान करती है। सूर्य हमें शांत जीवन प्रदान करता है। गायें हमें दूध देती है”। उन्होने कहा कि नवम्बर, 2016 में आपदा न्यूनीकरण पर एशियाई मंत्रियों के सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर 10-बिंदुओं का एजेंडा रेखांकित किया था जिसमें स्थायी विकास के उद्देश्यों को प्राप्त करने में आने वाली महत्वपूर्ण चुनौतियों को दूर करने तथा आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए नए प्रयासों के बारे में उपाय एवं पहुंच शामिल है, जिससे हम सभी अवगत हैं। उन्होने कहा कि भारत के पास अब आपदा जोखिम प्रबंधन चक्र के सभी पहलुओं के वित्तपोषण के लिए पहले से तैयार तरीके उपलब्ध हैं। हमारे पास आपदा न्यूनीकरण, तैयारी, राहत और बचाव, साथ ही रिकवरी और पुनर्निमाण के लिए समर्पित संसाधन भी उपलब्ध हैं।
केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री ने कहा कि वैश्विक स्तर पर, भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 23 सितंबर, 2019 को यू.एन. क्लाइमेट एक्शन समिट में वैश्विक आपदा प्रतिरोधी अवसंरचना समूह की घोषणा की। इस वर्ष मार्च में आपदा प्रतिरोधी अवसंरचना पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान, माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने एक ऐसे वैश्विक ईको-सिस्टम को सुदृढ़ करने की आवश्यकता का आह्वान किया जो विश्व के सभी हिस्सों में नवाचार का समर्थन करता हो और इसे उन स्थानों पर लाया और ले जाया जा सके जहां इसकी सबसे अधिक आवश्यकता हो। माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि “इंफ्रास्ट्रक्चर दीर्घावधि के लिए तैयार किए जाते हैं। यदि हम इसे आपदा प्रतिरोधी बनाएं, तो हम न केवल स्वयं को आपदाओं से बचाएंगे बल्कि भावी पीढ़ियां भी आपदाओं से सुरक्षित रहेंगी। हमें नुकसान को उसकी समग्रता में देखना चाहिए। व्यवधानों के कारण छोटे व्यवसायों में अप्रत्यक्ष हानियां और बच्चों की बाधित शिक्षा कई गुना अधिक हो सकती है। इस स्थिति में एक समग्र क्रमिक विकास के लिए सही परिप्रेक्ष्य की आवश्यकता है। केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री ने कहा कि यदि हम अपने इंफ्रास्टक्चर को आपदा प्रतिरोधी बनाते हैं तो हम प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों नुकसान को कम करेंगे और लाखों लोगों की आजीविका सुरक्षित करेंगे।
श्री नित्यानंद राय ने कहा कि कोविड-19 ने हमें किस प्रकार आपदा जोखिम को कम करने के लिए काम किया जाता है और क्या प्रक्रिया अपनाई जाती है तथा उसमें क्या परिवर्तन लाया जाए, यह बताया है। वैश्विक संकट ने हमें जो सबक दिए हैं उसके कारण विभिन्न राजनेताओं की सहायता से विभिन्न एजेंसी तथा क्रॉस-सेक्टोरल शासन निकाय भी सक्रिय हुए। अब, चुनौती है कि इन तदर्थ व्यवस्थाओं को भविष्योन्मुखी, बहु-आपदा जोखिम शासन प्रणालियों में संस्थागत बनाते हुए, रोकथाम करने के लिए बहु-क्षेत्रीय मॉडल और धुरी अपनाये जो भविष्य में हमें इसका बहुत फायदा पहुंचाएगा। आज हमें इस प्रयास को और मजबूती से जारी रखने की ज़रूरत है। उन्होने कहा कि भारत द्वारा की गयी पहलें वैश्विक महामारी को नियंत्रित करने के लिए ‘’अभूतपूर्व’, निजी, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई’’ के संबंध में संयुक्त राष्ट्र के महासचिव के आह्वान के अनुरूप हैं। एसकेप (ESCAP) तथा यूएन सिस्टम एक ऐसी अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य निगरानी में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं जिसमें संक्रामक बीमारियों की निरंतर मॉनीटरिंग की जा सके तथा उनके बारे में देशों के साथ जानकारी साझा की जा सके।
केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री ने कहा कि विगत छ: वर्षों से भारत, सार्क, बिमस्टेक, शंघाई सहयोग संगठन, इंडियन ओशन रिम एसोसियशन, फोरम फॉर इंडिया पैसिफिक आईलैंड कार्पोरेशन और अन्य संगठनों जैसे फ्रेमवर्क के बीच आपदा जोखिम कम करने के लिए क्षेत्रीय सहयोग को निरंतर बढ़ावा दे रहा है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) दक्षिण एशिया में उष्ण कटिबधीय चक्रवातों और तटीय आपदाओं के प्रबंधन के लिए प्रचालनात्मकऔर अनुसंधान सहायता प्रदान करने के लिए उष्ण कटिबंधीय चक्रवात पर WMO / ईसीएपी पैनल को सहायता देने हेतु मूल आधार है।
श्री नित्यानंद राय ने कहा कि वे UN ESCAP की एशिया-प्रशांत आपदा रिपोर्ट 2019 का संदर्भ देना चाहेंगे जिसमें बाढ़ संबंधी समस्याओं के साथ नुकसानों में हुई काफी बढोतरी को दर्शाया है और जिसके वर्ष 2030 तक और भी खराब होने की आशंका है। इस रिपोर्ट के हिसाब से पूरे एशिया में गंभीर जलवायु परिवर्तन की स्थिति में, लगभग 50 बिलियन डॉलर प्रतिवर्ष के नुकसान के साथ भारत सबसे अधिक प्रभावित होगा। उन्होने कहा कि अब समय आ गया है कि UN ESCAP बदलती जलवायु में बाढ़ प्रबंधन के लिए कुछ अग्रगामी कदम उठाए। श्री राय ने अंतरराष्ट्रीय बाढ़ प्रबंधन के लिए एक क्षेत्रीय सहयोग व्यवस्था बनाने का अनुरोध करते हुए कहा कि इस प्रयास में भारत सरकार अपनी संस्थाओं के माध्यम से सहयोग सहित सभी प्रकार का समर्थन देने के लिए तैयार है।
केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री ने कहा कि समुदायों और प्राकृतिक आवासों की सुरक्षा की तत्काल आवश्यकता अगली संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन, सी.ओ.पी. 26 का एक प्रमुख एजेंडा आइटम है। अप्रत्याशित स्तर की बाढ़ का समाधान ढूँढना जलवायु अनुकूलन को तेज करने एवं प्रतिरोधी उपायों के लिए आवश्यक हैं। समय आ गया है कि UN ESCAP अंतरराष्ट्रीय बाढ़ के प्रबंधन के लिए क्षेत्रीय सहयोग की एक प्रणाली पर कार्य करे और उसे सक्रिय करे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कथन है कि “हमें एक जीरो डिफेक्ट और जीरो इफ़ेक्ट प्रणाली की तरफ बढ़ना है। जीरो डिफेक्ट प्रोडक्शन पर्यावरण को दूषित होने से बचाएगा”। हमें आपदा प्रतिरोधी व्यवस्था लाने के आवश्यक तत्वों के रूप में जानकारी प्राप्त करने चाहिए और अनुभव साझा करना चाहिए। कोविड-19 ने हमारी दुनिया के परस्पर संबद्धता के स्वरूप को उजागर किया है। इसलिए, हमें घरेलू स्तर के साथ-साथ वैश्विक व्यवस्थाओं में भी आपदा प्रतिरोधी व्यवस्था अपनानी चाहिए। श्री नित्यानंद राय ने उम्मीद जताई कि यह क्षेत्रीय सहयोग महामारी सहित प्रणालीगत और जटिल आपदाओं के प्रबंधन के नए अवसर उपलब्ध कराने में मददगार होगा।
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