वस्त्र उद्योग क्षेत्र में कौशल की कमी को पूरा करने के लिए वस्त्र मंत्रालय इस क्षेत्र में क्षमता निर्माण के लिए समर्थ योजना लागू कर रहा है। इस योजना का उद्देश्य संगठित क्षेत्र में कताई और बुनाई को छोड़कर, वस्त्र और संबंधित क्षेत्रों में रोजगार सृजित करने में उद्योग के प्रयासों को सहायता प्रदान करने के लिए मांग संचालित, रोज़गार उन्मुख कौशल कार्यक्रम प्रदान करना है।
वस्त्र मंत्रालय ने समयबद्ध तरीके से कारीगरों के समग्र विकास के लिए 65 समूहों को अपनाया है जिससे इन समूहों के कारीगरों की आत्मनिर्भरता सुनिश्चित हो सकेगी। इन गोद लिए गए समूहों के कारीगरों को लाभान्वित करने के लिए आवश्यकता-आधारित सहायता प्रदान की जा रही है। समर्थ योजना के तहत इन गोद लिए गए समूहों में हस्तशिल्प कारीगरों के कौशल में वृद्धि करने के लिए तकनीकी और सॉफ्ट स्किल प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है ताकि मजदूरी या स्वरोजगार द्वारा उन्हें स्थायी आजीविका सक्षम की जा सके।
वाराणसी, उत्तर प्रदेश में पारंपरिक हस्त कढ़ाई शिल्प में हस्तशिल्प प्रशिक्षण कार्यक्रम
सरकार ने एनएसक्यूएफ से जुड़े हस्तशिल्प पाठ्यक्रमों में तकनीकी प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए गोद लिए गए समूहों में 65 हस्तशिल्प प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किए हैं। आधार प्रमाणीकृत बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली के माध्यम से कारीगरों की उपस्थिति की निगरानी की जा रही है और सफल प्रशिक्षित कारीगरों को मजदूरी मुआवजा सीधे उनके बैंक खाते में स्थानांतरित किया जा रहा है।
खापरखेड़ा, महाराष्ट्र में पारंपरिक हस्त कढ़ाई शिल्प में हस्तशिल्प प्रशिक्षण कार्यक्रम
63 प्रशिक्षण केंद्रों में प्रत्येक केंद्र में पहले बैच ने सफलतापूर्वक प्रशिक्षण पूरा कर लिया गया है जिससे 1,565 कारीगर लाभान्वित हुए हैं। दूसरे बैच का प्रशिक्षण भी अगस्त 2021 में पूरा हो जाएगा, जिससे 1,421 कारीगर लाभान्वित होंगे। इसके अतिरिक्त, प्रशिक्षण कार्यक्रम को बढ़ाने के लिए 65 नए हस्तशिल्प प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं ताकि अधिक से अधिक कारीगर लाभान्वित हो सकें।
बैतूल, मध्य प्रदेश में बेंत और बांस शिल्प में हस्तशिल्प प्रशिक्षण कार्यक्रम
दक्षिण दिनाजपुर, पश्चिम बंगाल में बेंत और बांस शिल्प में हस्तशिल्प प्रशिक्षण कार्यक्रम
समर्थ योजना राज्य सरकार की एजेंसियों, वस्त्र मंत्रालय के क्षेत्रीय संगठनों, विनिर्माण उद्योग, उद्योग संघों और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग-एमएसएमई संघों के सहयोग से लागू की जा रही है।
योजना की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:-
i. वस्त्र उद्योग/उद्योग संघों, राज्य सरकार की एजेंसियों और वस्त्र मंत्रालय के क्षेत्रीय संगठनों के माध्यम से योजना लागू की गई।
ii. कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) द्वारा अपनाए गए व्यापक कौशल ढांचे के अनुसार तैयार किया गया।
iii. इसमें एंट्री लेवल स्किलिंग (नए कर्मचारी) और अपस्किलिंग (मौजूदा कर्मचारी) शामिल हैं।
iv. प्रशिक्षुओं की अनिवार्य नियुक्ति- प्रवेश स्तर के लिए 70 प्रतिशत और संगठित क्षेत्र के तहत अपस्किलिंग के लिए 90 प्रतिशत है।
v. निगरानी के लिए आधार सक्षम बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली (एईबीएएस) और वेब आधारित केंद्रीकृत प्रबंधन सूचना प्रणाली (एमआईएस)।
vi. फीडबैक लेने और शिकायत निवारण के लिए कॉल सेंटर।
vii. प्रशिक्षण केंद्रों का जियो-टैगिंग/टाइम-स्टैम्प्ड फोटोग्राफ के साथ भौतिक सत्यापन।
समर्थ योजना के तहत प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाने के लिए राज्य सरकार की एजेंसियों/उद्योग/उद्योग संघों से प्रस्ताव आमंत्रित किए गए थे। इन प्रस्तावों के मूल्यांकन के बाद, वस्त्र मंत्रालय ने प्रशिक्षण केंद्रों के भौतिक सत्यापन के बाद वस्त्र क्षेत्र में 3.3 लाख लाभार्थियों के प्रशिक्षण के लिए 13 राज्य सरकार की एजेंसियों, 90 कपड़ा निर्माताओं, 11 उद्योग संघों और वस्त्र मंत्रालय के 4 क्षेत्रीय संगठनों के साथ भागीदारी की है। सरकार ने समर्थ योजना के तहत कार्यान्वयन भागीदारों (आईपी) को 2019-20 में 72.06 करोड़ रुपये और 2020-21 में 90.70 करोड़ रुपये का फंड जारी किया है।
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