प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाई) – वित्तीय समावेशन का राष्ट्रीय मिशन, ने अपने सफल कार्यान्वयन के सात वर्ष पूरे किए

वित्त मंत्रालय हाशिए पर रहने वाले और अब तक सामाजिक-आर्थिक रूप से उपेक्षित वर्गों का  वित्तीय समावेशन करने और उन्हें सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। समावेशी विकास का प्रवर्तक होने के नाते वित्तीय समावेशन इस सरकार की राष्ट्रीय प्राथमिकता है। यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह कदम गरीबों को उनकी बचत को औपचारिक वित्तीय प्रणाली में लाने का एक रास्ता प्रदान करता है और उन्हेंगांवों में अपने परिवारों को पैसे भेजने के अलावा सूदखोर साहूकारों के चंगुल से बाहर निकालने का एक अवसर प्रदान करता है। प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाई) इस प्रतिबद्धता की दिशा में एक अहम पहल है।यह वित्तीय समावेशन से जुड़ी दुनिया की सबसे बड़ी पहलों में से एक है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त 2014 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दिए गए अपने संबोधन में प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाई) की घोषणा की थी। 28 अगस्त को इस योजना की शुरुआत करते हुए, प्रधानमंत्री ने इस अवसर को गरीबों की एक दुष्चक्र से मुक्ति के उत्सव के रूप में निरूपित किया था।

प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाई) की सातवीं वर्षगांठ के मौके पर, वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने इस योजना के महत्व को दोहराया।उन्होंने कहा, “सात वर्षों की छोटी सी अवधि में पीएमजेडीवाई की अगुवाई में किए गए उपायों ने रूपांतरकारी और दिशात्मक बदलाव पैदा किया है, जिसने उभरते हुए वित्तीय संस्थानों के इकोसिस्टम को समाज के अंतिम व्यक्ति-सबसे गरीब व्यक्ति को वित्तीय सेवाएं देने में सक्षम बनाया है। पीएमजेडीवाई के अंतर्निहित स्तंभों यानी बैंकिंग सेवा से अछूते रहे लोगों को बैंकिंग सेवा से जोड़ने, असुरक्षित को सुरक्षित बनाने और गैर-वित्तपोषित लोगों का वित्त पोषण करने जैसे कदमों ने वित्तीय सेवाओं से वंचित और अपेक्षाकृत कम वित्तीय सेवा हासिल करने वाले इलाकोंको सेवा प्रदान करने के क्रम में प्रौद्योगिकी का लाभ उठाते हुए बहु-हितधारकों के सहयोगात्मक दृष्टिकोण को अपनाना संभव बनाया है।”

इस अवसर पर, वित्त राज्यमंत्री डॉ. भागवत कराड ने भी पीएमजेडीवाई के बारे में अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) न केवल भारत बल्कि दुनियाभर में वित्तीय समावेशन की दिशा में सबसे दूरगामी पहलों में से एक है। समावेशी विकास का प्रवर्तक होने के नाते वित्तीय समावेशन इस सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। यह गरीबों को उनकी बचत को औपचारिक वित्तीय प्रणाली में लाने का एक रास्ता प्रदान करता है और उन्हें अपने परिवारों को पैसे भेजने के अलावा सूदखोर साहूकारों के चंगुल से बाहर निकालने का एक अवसर प्रदान करता है।”

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अब जबकि इस योजना के सफल कार्यान्वयन के सात वर्ष पूरे हो चुके हैं, आइए हम इस योजना के अब तक के प्रमुख पहलुओं और उपलब्धियों पर एक नज़र डालते हैं।

पृष्ठभूमि

प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाई) वित्तीय सेवाओं यानी बैंकिंग / बचत और जमा खाते, विप्रेषण, जमा, बीमा, पेंशन तक किफायती तरीके से पहुंच सुनिश्चित करने की दिशा में वित्तीय समावेशन काएक राष्ट्रीय मिशन है।

 

यह योजना निम्नलिखित छह स्तंभों के आधार पर शुरू की गई थी:

 

 

 

 

v ‘हर परिवार’ से हटकर ‘बैंकिंग सेवा से वंचित हर वयस्क’ पर ध्यान

v ओवरड्राफ्ट की सुविधाओं में वृद्धि –

 

पीएमजेडीवाई जन-केंद्रित आर्थिक पहलों की आधारशिला रही है। चाहे वह प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण हो, कोविड-19 वित्तीय सहायता, पीएम-किसान, मनरेगा के तहत बढ़ी हुई मजदूरी, जीवन एवं स्वास्थ्य बीमा कवर हो, इन सभी पहलों का पहला कदम प्रत्येक वयस्क को एक बैंक खाता प्रदान करना है, जिसे पीएमजेडीवाई ने लगभग पूरा कर लिया है।

मार्च 2014 से मार्च 2020 के बीच खोले गए दो में से एक खाता पीएमजेडीवाई खाता था। देशव्यापी लॉकडाउन के 10 दिनों के भीतर लगभग 20 करोड़ से अधिक महिला पीएमजेडीवाई खातों में अनुग्रह राशि जमा की गई।

जनधन गरीबों को उनकी बचत को औपचारिक वित्तीय प्रणाली में लाने का एक रास्ता प्रदान करता है औरउन्हें गांवों में अपने परिवारों को पैसे भेजने के अलावा सूदखोर साहूकारों के चंगुल से बाहर निकालने का एक अवसर प्रदान करता है। पीएमजेडीवाई ने बैंकिंग प्रणाली से वंचित रहे लोगों को बैंकिंग प्रणाली से जोड़ा है, भारत के वित्तीय ढांचे का विस्तार किया है और लगभग हर वयस्क के लिए वित्तीय समावेशन को संभव बनाया है।

आज के कोविड-19 के काल में, हमने प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) को उल्लेखनीय तेजी और सहजता के साथ समाज के कमजोर वर्गों को सशक्त बनाते और वित्तीय सुरक्षा प्रदान करते देखा है। इसका एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि प्रधानमंत्री जन-धन खातों के जरिए डीबीटी ने यह सुनिश्चित किया है कि प्रत्येक रुपया अपने इच्छित लाभार्थी तक पहुंचे और प्रणालीगत रिसाव को रोका जा सके।

    क)पीएमजेडीवाई खाते

 

 

ख) चालू पीएमजेडीवाई खाते –

 

 

ग)पीएमजेडीवाई खातों के तहत जमा राशि –

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घ)प्रति पीएमजेडीवाई खाते में औसत जमा राशि –

 

ड़) पीएमजेडीवाईखाताधारकों को जारी किए गए रुपे कार्ड

 

देश में बैंक शाखाओं, एटीएम, बैंक मित्रों, डाकघरों आदि जैसे बैंकिंग टच प्वाइंट्स का पता लगाने के लिए एक नागरिक केंद्रित प्लेटफार्म प्रदान करने के लिए एक मोबाइल एप्लिकेशन का शुभारंभ किया गया। इस जीआईएस एप्प पर आठ लाख से अधिक बैंकिंग टच प्वाइंट्स की मैपिंग की गई है। जन धन दर्शक एप्प के तहत प्रदान की गई सुविधाओं का लाभ आम आदमी की जरूरतों और सहूलियतों के अनुसार उठाया जा सकता है। इस एप्लिकेशन के वेब संस्करण को http://findmybank.gov.in लिंक पर देखा जा सकता है।

इस एप्प का उपयोग उन गांवों की पहचान करने के लिए भी किया जा रहा है, जहां पांच किलोमीटर के भीतर बैंकिंग टच प्वाइंट्स द्वारा सेवा नहीं प्रदान की जाती है। इन चिन्हित गांवों को संबंधित एसएलबीसी द्वारा बैंकिंग आउटलेट खोलने के लिए विभिन्न बैंकों को आवंटित किया जाता है। इन प्रयासों के परिणामस्वरूप बैंकिंग सेवा से वंचित रहने वाले गांवों की संख्या में उल्लेखनीय कमी आई है।

माननीय वित्त मंत्री द्वारा 26.3.2020 को की गई घोषणा के अनुसार, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत, प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाई) के महिला खाताधारकों के खातों में तीन महीने (अप्रैल 2020से जून 2020) के लिए 500/- रुपये प्रति माह जमा किया गया। कोविड लॉकडाउन के दौरान महिला पीएमजेडीवाई खाताधारकों के खातों में कुल 30,945 करोड़ रुपये जमा किए गए।

10.  डीबीटी के सुगम लेनदेन सुनिश्चित करने की दिशा में:

 

जैसाकि बैंकों द्वारा सूचित किया गया है, लगभग पांच करोड़ पीएमजेडीवाई खाताधारक विभिन्न योजनाओं के तहत सरकार से प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) प्राप्त करते हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि पात्र लाभार्थियों को उनकाडीबीटीसमय पर प्राप्त हो, वित्त विभाग डीबीटी मिशन, एनपीसीआई, बैंकों और विभिन्न अन्य मंत्रालयों के साथ परामर्श करकेडीबीटीकी राह में आनेवाले अड़चनों के परिहार्य कारणों की पहचान करने में सक्रिय भूमिका निभाता है। बैंकों और एनपीसीआई के साथ नियमित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (वीसी) के जरिए इस संबंध में बारीक निगरानी से डीबीटी से संबंधित कुल दिक्कतों की प्रतिशतता में परिहार्य कारणों से डीबीटीकी राह में आनेवाले अड़चनों का हिस्सा 13.5% (वित्त वर्ष 2019-2020) से घटकर 5.7% (वित्त वर्ष 2020-2021)रह गया है।

 

 

10. आगे की राह

 

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RM/KMN