स्टील एंड मेटलर्जी मैगजीन द्वारा डीकार्बोनाइजेशन एंड यूसेज ऑफ हाइड्रोजन, सबसे बड़ी चुनौती पर आज एक वेबिनार का आयोजन किया गया। इस आयोजन में इस्पात एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री श्री फग्गन सिंह कुलस्ते शामिल रहे। वेबिनार में बोलते हुए मंत्री जी ने कहा कि यह एक चुनौती है कि स्टील के उत्पादन से कैसे ग्रीन हाउस गैस के उर्त्सजन को कम किया जाए। आगे उन्होंने कहा कि जैसा कि आप जानते हैं नेशनल स्टील पॉलिसी 2017 के अनुसार पेरिस संधि के अंतर्गत भारत को उर्त्सजन सघनता 2005 के स्तर से 2030 तक अपने GDP का 30-35% तक घटानी है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भारत को ऐसे ऊर्जा अनुकूल संसाधनों का पता लगाने की जरूरत है, जिसका वह खर्च वहन कर सके और वे उपलब्ध भी हो।
श्री कुलस्ते ने यह भी बताया कि देश का लगभग 60 प्रतिशत उत्पादन BF/BOF के द्वारा किया जाता है, जिसमें कोक का उपयोग किया जाता है। बाकी EAF/IF के द्वारा DRI/स्क्रैप के उपयोग करके उत्पादन किया जाता है। लौह अयस्क के रिडक्शन करने के लिए कोक का इस्तेताल किया जाता है। प्राकृतिक गैस का भी उपयोग किया जाता है। इस रिडक्शन के दौरान कार्बन डाईआक्साइड का उर्त्सजन होता है, जो हमारे पर्यावरण को प्रदूषित करता है। उन्होंने यह भी कहा कि इस्पात उद्योग पर्यावरण को प्रभावित करने वाला तीसरी सबसे बड़ा उद्योग है। आगे उन्होंने कहा, मुझे बताया गया है कि विश्व स्तर पर इस्पात उद्योग एक टन स्टील के उत्पादन में लगभग 1.8 टन कार्बन डाइआक्साइड गैस का उत्सर्जन करता है और जीवाश्म र्इधन के उपयोग से वैश्विक उर्त्सजन का 7 से 8% उर्त्सजन इस्पात उद्योग से हो रहा है। यह एक चुनौती है कि कैसे ग्रीन हाउस गैस के उर्त्सजन को कम किया जाए।
मंत्री जी ने कहा कि सबसे बड़ी चुनौती है कि स्टील के उत्पादन में कैसे लौह अयस्क के रिडक्शन में प्रयुक्त होने वाले कोक की जगह किसी अन्य अवयव का इस्तेमाल किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि हाइड्रोजन लौह अयस्क के रिडक्शन में महत्वपूर्ण कारक हो सकता है, क्योंकि हाइड्रोजन फ्री फॉर्म में उपलब्ध नहीं है। ये यौगिक रूप से उपलब्ध है। हाईड्रोजन का इस्पात उत्पादन में उपयोग इस समय कॉस्ट इफेक्टिव नहीं है। दुनिया भर में इस्पात क्षेत्र स्टील बनाने में हाइड्रोजन के उपयोग के लिए लागत प्रभावी तरीका निकालने के लिए प्रयोग कर रहा है।
मंत्री जी ने आगे कहा कि प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन की घोषणा हाइड्रोजन के उपयोग के बारे में परीक्षणों के अनुरूप एक कदम है, जब हाइड्रोजन से लौह अयस्क की तकनीकी का ट्रायल सफल हो जाएगा तो मुझे उम्मीद है कि उस समय तक हमारी सरकार के विजन के अनुसार हाइड्रोजन की उत्पादन बड़े पैमाने पर होने लगेगा और इसकी लागत भी कम हो जायेगी। जो कि आने वाले समय में एक ग्रीन ईंधन के क्षेत्र में क्रांति लाएगा। इसी दिशा में हमारी सरकार द्वारा नेशनल हाइड्रोजन मिशन की घोषणा करने के साथ साथ देश भर में नेचुरल गैस को पाइप लाइन के माध्यम से गैस उपलब्ध कराना एक महत्वपूर्ण कदम है। आने वाले समय में इस्पात उद्योग द्वारा नेचुरल गैस तथा हाइड्रोजन का उपयोग करके ग्रीन हाऊस गैस का उर्त्सजन कम करने में मदद मिलेगी। ग्रीन इस्पात के उत्पादन के क्षेत्र में हमारी सरकार ने 2019 में स्टील स्क्रैप रिसाइंक्लिंग पोलिसी तथा 2021 में व्हेलीकल स्क्रैपेज पोलिसी लाई है, जिससे इस्पात उद्योग को स्क्रैप की उपलब्धता सुनिश्नित होगी, जो की ग्रीन इस्पात के उत्पादन में क्रांतिकारी कदम होगा।
*******
एसएस/एसके