झारखंड में जल आपूर्ति बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए भारत और एडीबी ने 11.2 करोड़ डॉलर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए

भारत सरकार और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने झारखंड राज्य के चार शहरों में आपूर्ति सेवा को बेहतर करने के लिए जल आपूर्ति बुनियादी ढांचे के विकास एवं शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) की क्षमताओं को मजबूती देने के लिए आज 11.2 करोड़ डॉलर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए।

झारखंड शहरी जल आपूर्ति सुधार परियोजना के लिए इस समझौते पर भारत सरकार की ओर से वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग में अतिरिक्त सचिव श्री रजत कुमार मिश्रा और एडीबी की ओर से एडीबी के इंडिया रेजिडेंट मिशन के कंट्री डायरेक्टर श्री ताकेओ कोनिशी ने हस्ताक्षर किए।

समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद श्री मिश्रा ने कहा कि यह परियोजना राज्य में शहरी सेवाओं में सुधार के लिए झारखंड सरकार की प्राथमिकता के अनुरूप है। यह राज्य की राजधानी रांची सहित आर्थिक एवं सामाजिक रूप से पिछड़े क्षेत्रों में स्थित अन्य तीन शहरों हुसैनाबाद, झुमरी तिलैया एवं मेदिनीनगर में पाइप के जरिये निरंतर उपचारित जल की आपूर्ति सुनिश्चित करेगी।

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श्री कोनिशी ने कहा, ‘यह परियोजना राज्य में एडीबी की पहली शहरी परियोजना होगी। यह स्थायी परिचालन के लिए नीतिगत सुधारों के साथ सतत जल आपूर्ति के लिए एक मॉडल स्‍थापित करने में मदद करेगी जिसे कम आय वाले अन्य राज्यों में शहरी परिवारों को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने के लिए दोहराया जा सकता है जैसा कि राष्ट्रीय जल जीवन मिशन के तहत परिकल्पना की गई है।’

राष्ट्रीय पेयजल गुणवत्ता मानकों को पूरा करते हुए सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने के लिए इस परियोजना के दायरे में आने वाले शहरों में प्रति दिन 27.5 करोड़ लीटर की संयुक्त क्षमता वाले चार जल उपचार संयंत्र स्थापित किए जाएंगे। इस परियोजना के तहत गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लोगों और अन्य कमजोर वर्गों के लोगों सहित लगभग 1,15,000 परिवारों को निरंतर जल आपूर्ति प्रदान करने के लिए 940 किलोमीटर का जल वितरण नेटवर्क भी स्थापित किया जाएगा।

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स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए इस परियोजना के तहत शहरी परियोजनाओं के डिजाइन एवं कार्यान्वयन पर एक परिसंपत्ति प्रबंधन रणनीति एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार किया जाएगा जो शहरों में सेवाओं की डिलिवरी एवं प्रशासन पर यूएलबी की क्षमता को मजबूत करेगा। जल शोधन एवं वितरण में जल के नुकसान को कम करने के लिए नवोन्मेषी तकनीकों की तैनाती की जाएगी। इस परियोजना में जलापूर्ति परिचालन के लिए एक पर्यवेक्षी नियंत्रण एवं डेटा संग्रह प्रणाली और रांची में परिसंपत्ति प्रबंधन आधारित भौगोलिक सूचना प्रणाली का उपयोग भी शामिल है।

एडीबी अत्यधिक गरीबी को दूर करने के अपने प्रयासों को जारी रखते हुए एक समृद्ध, समावेशी, लचीला और टिकाऊ एशिया-प्रशांत क्षेत्र तैयार करने के लिए प्रतिबद्ध है। साल 1966 में स्थापित एडीबी 68 सदस्यों के स्वामित्व में है और इनमें से 49 सदस्य इसी क्षेत्र से हैं।

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एमजी/एएम/एसकेसी