मांग-आपूर्ति के अंतर के कारण भारत में आयात के माध्यम से 60 प्रतिशत खाद्य तेल की खपत होती है। पाम तेल इंडोनेशिया और मलेशिया से आयातित कुल खाद्य तेल का 54 प्रतिशत हिस्सा है, जबकि सोयाबीन तेल 25 प्रतिशत के आसपास है, जिसे अर्जेंटीना और ब्राजील से आयात किया जाता है। सूरजमुखी तेल का 19 प्रतिशत हिस्सा है, जिसे मुख्य रूप से यूक्रेन से आयात किया जाता है।
मध्यावधि में खाद्य तेलों के अनुबंधित उत्पादन को बहुत उच्च प्राथमिकता दी जा रही है, जो इस वर्ष सरसों का उत्पादन 91 एलएमटी से बढ़कर अधिकतम 101 एलएमटी तक पहुंचने से परिलक्षित होता है।
पाम ऑयल (कच्चा और परिष्कृत) के मामले में, अगस्त 2021 के लिए आयातित मात्रा 7.43 एलएमटी थी, जबकि जुलाई, 2021 में 5.65 एलएमटी थी। पिछले महीने की तुलना में अगस्त में 31.50 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई है, जो मुख्य रूप से अर्थव्यवस्था के खुलने के कारण है। विवरण नीचे सारणीबद्ध हैं:-
पाम तेल का आयात (एलएमटी)
तेल
नवम्बर- 20
दिसम्बर-20
जनवरी- 21
फरवरी 21
मार्च-21
अप्रैल -21
मई-21
जून-21
जुलाई-21
अगस्त-21
कच्चा पाम तेल
6.14
7.64
7.51
4.51
4.74
6.73
7.47
5.84
5.46
5.27
आरबीडी पॉमोलीन
0.15
0.06
0.02
0.061
0.026
0.004
0.0022
0.02
0.19
2.16
कुल पाम तेल का आयात
6.29
7.7
7.53
4.571
4.766
6.734
7.4722
5.86
5.65
7.43
स्रोत-वाणिज्यिक खुफिया और सांख्यिकी महानिदेशालय (डीजीसीआईएस)
अगस्त के महीने के लिए वर्ष दर वर्ष की तुलना करने पर यह देखा जा सकता है कि 2019, 2020 और 2021 के लिए कुल पाम तेल का आयात (कच्चा और परिष्कृत) क्रमशः 8.81 एलएमटी, 7.48 एलएमटी और 7.43 एलएमटी था, जो अभी भी अर्थव्यवस्था में सामान्य मांग से कम है।
पाम तेल का आयात (एलएमटी
तेल
अगस्त-19
अगस्त-20
अगस्त-21
कच्चा पाम तेल
5.78
7.48
5.27
आरबीडी पॉमोलीन
3.03
-*
2.16
कुल पाम तेल का आयात
8.81
7.48
7.43
मांग स्रोत-वाणिज्यिक आसूचना और सांख्यिकी महानिदेशालय (डीजीसीआईएस)
*आरबीडी पामोलिन 30 जून 2021 तक प्रतिबंधित सूची में शामिल था
खाद्य तेलों के उत्पादन, आयात और कीमतों पर दिन-प्रतिदिन के आधार पर कड़ी नजर रखी जाती है, ताकि खाद्य तेल की कीमतों पर नियंत्रण रखने के लिए उचित उपाय किए जा सकें।
किसान, उद्योग और उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखते हुए खाद्य तेल सहित कृषि वस्तुओं की कीमतों और उपलब्धता की बारीकी से निगरानी करने के लिए सचिव (खाद्य) की अध्यक्षता में कृषि-वस्तुओं पर एक अंतर-मंत्रालयी समिति भी मौजूद है। समिति साप्ताहिक आधार पर कीमतों की स्थिति की समीक्षा करती है, घरेलू उत्पादन, मांग, घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कीमतों और अंतरराष्ट्रीय व्यापार की मात्रा के आधार पर खाद्य तेलों और अन्य खाद्य पदार्थों के संबंध में प्रासंगिक उपायों पर विचार करती है।
सरकार द्वारा पिछले वर्ष में आवश्यकतानुसार समय पर हस्तक्षेप किया गया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कीमतें स्थिर रहें और उपभोक्ताओं के हितों को अंतर्राष्ट्रीय उतार-चढ़ाव की सीमाओं के भीतर संरक्षित किया जाए।
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