जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय (डीजीजीआई) की गुरुग्राम जोनल यूनिट (जीजेडयू), हरियाणा ने जाली दस्तावेजों पर कई फर्जी कंपनियां खड़ी करने और उनका संचालन करने तथाबिना किसी वास्तविक रसीद या माल या सेवाओं की आपूर्ति के, बिल जारी कर फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट देने के आरोप में एक चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) सहित तीन लोगों को गिरफ्तार किया है।
अब तक की गई जांच से यह पता चला है कि गिरफ्तार किए गए लोगों में से एक ने कम से कम 13 कंपनियां बनायीं और कुल 121 करोड़ रुपये के धोखाधड़ी वाले आईटीसी का लाभ उठाने और उसे दूसरों को देने में संलिप्त रहा है।
यह भी सामने आया है कि जिस व्यक्ति ने फर्जी/नकली कंपनियां बनायी थीं, उसने एक कमीशन एजेंट की मिली भगत से काम किया। यह कमीशन एजेंट बिना माल या सेवाओं की आपूर्ति के ये बिल, कमीशन के लिए, स्थापित कंपनियों को सीधे और अलग-अलग दलालों के माध्यम से बेचता था। कमीशन एजेंट को भी गिरफ्तार कर लिया गया है।
इसके अलावा, वित्तीय आवाजाही की इस श्रृंखला में यह सामने आया है कि स्थापित कंपनियां (अंतिम उपयोगकर्ता) इन नकली कंपनियों को हस्तांतरण करती थींऔर इसके बाद यहां से राशि एक निजी लिमिटेड कंपनी के खाते में भेजी जाती थी जहां से उक्त चार्टर्ड अकाउंटेंट अपनी कंपनी के साथ-साथ अपना खुद का कमीशन काटने के बाद यह राशि नकदी में निकालता था और वापस कर देता था। हर दिन लगभग 30-40 लाख रुपये का नकद लेन-देन किया जा रहा था।
कई अलग-अलग जगहों पर जांच की गयी और सत्यापन, साक्ष्य एवं दर्ज किए गए बयानों के आधार पर, यह सामने आया कि ये तीनों व्यक्ति यानी नकली कंपनियों का निर्माता, कमीशन एजेंट और चार्टर्ड अकाउंटेंट जाली दस्तावेजों पर नकली कंपनी बनाने के इस गिरोह को चलाने के लिए मिलकर काम कर रहे थे और उन्होंने 121 करोड़ रुपये (अब तक) की धोखाधड़ी वाली आईटीसी जारी किए। इन बातों को ध्यान में रखते हुएतीनों को 13.09.2021 को केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) अधिनियम, 2017 की धारा 132 के साथ-साथ धारा 69 के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया गया और मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (सीएमएम), दिल्ली के समक्ष पेश किया गया, जिन्होंने आरोपियों को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया।
मामले में और जांच चल रही है।
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एमजी/एएम/पीके/सीएस