केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने बुधवार को वेबिनार के माध्यम से 9वीं ईएएस-ईएमएम ( पूर्वी एशिया सम्मेलन-आर्थिक मंत्रियों की बैठक) में भाग लिया।
बैठक को संबोधित करते हुए, उन्होंने कहा कि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) ने टिप्पणी की थी कि महामारी के प्रत्युत्तर में कई सरकारों द्वारा लागू मजबूत मौद्रिक आक्र वित्तीय नीतियों ने वैश्विक मांग और व्यापार को बनाये रखने में सहायता की। इस प्रोत्साहनकारी रुझान पर विचार करते हुए, डब्ल्यूटीओ ने 2021 के लिए वैश्विक व्यापार मात्रा के लिए अपना अनुमान भी पहले अनुमानित 7 प्रतिशत की तुलना में संशोधित कर 8 प्रतिशत कर दिया था।
लेकिन संक्रमण की नई लहरें प्रत्याशित सुधार को आसानी से कम कर सकती हैं। वैश्विक और न्यायसंगत टीकाकरण की शुरुआत मजबूत और निरंतर वैश्विक सुधार की पहली आवश्यकता है। अनगिनत चुनौतियों और बाधाओं के बावजूद, भारत ने सफलतापूर्वक 740 मिलियन से अधिक टीके लगा दिए हैं।
उन्होंने कहा कि ‘ टीकाकरण में अर्जित कई बड़ी उपलब्धियों सहित भारत द्वारा उठाये गए विभिन्न तात्कालिक सहायक कदमों ने महामारी के संकट को प्रबंधित करने में हमारी मदद की। आगे बढ़ने के दौरान हमने कई सबक सीखे हैं, अपने दृष्टिकोण को अनुकूल बनाया है और अपनी प्रणालियों को व्यवस्थित किया है। ‘
इसके अतिरिक्त, उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की भी सराहना की और कहा कि उन्होंने ‘ एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य‘ दृष्टिकोण अपनाने की अपील की है। उन्होंने कहा कि विश्व को सार्थक साझीदारियों, उन्नत प्रौद्योगिकीयों को साझा करने, टीका तथा फार्मास्यूटिकल उत्पादन में सहयोग करने, क्षमता निर्माण करने स्वास्थ्य सूचना में पारदर्शिता लाने की आवश्यकता है। भारत जेनेरिक दवाओं के उत्पादन एवं कोविड-19 रोगियों के उपचार में उपयोग में लाई जाने वाली चिकित्सा प्रौद्योगिकीयों तथा टीका उत्पादन के क्षेत्र में भी पूर्वी एशियाई साझीदारों के साथ सहयोग करने का इच्छुक है। वैश्विक टीकों का 70 प्रतिशत भारत में उत्पादित होता है और किफायती दरों पर गुणवत्तापूर्ण दवाओं तथा टीकों के उत्पादन की हमारी क्षमता दुनिया भर में स्वीकार की गई है।
एक दूसरे से जुड़ी तथा वैश्वीकृत दुनिया में, कोई भी सुरक्षित नहीं है जब तक सभी सुरक्षित नहीं है। भारत टीकों, चिकित्सा शास्त्र तथा नैदानिकी के लिए ट्रिप्स छूट प्रस्ताव पर शीघ्र परिणाम की उम्मीद करता है। साझा प्रतिबद्धता के बिना साझा समृद्धि असंभव है। भारत की भाईचारे की भावना से हमारे मित्रों को विश्वास होना चाहिए कि आगे आने वाले वर्षों में भारत उनका सबसे स्वाभाविक और सबसे भरोसेमंद सहयोगी होगा।
भारत मानता है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय की वर्तमान अंतरराष्ट्रीय संरचनाओं के भीतर साझीदारी की सच्ची भावना के साथ कोविड-19 महामारी के विरुद्ध साथ मिल कर लड़ने की सामूहिक जिम्मेदारी है। भारत पारदर्शी, भरोसेमंद, और विश्वसनीय आपूर्ति श्रृंखला सुनिश्चित करने की दिशा में काम करने की अवधारणा की पुष्टि करता है। भारत क्षेत्र में लचीली आपूर्ति श्रृंखलाओं के निर्माण की दिशा में एक मजबूत कदम के रूप में सितंबर, 2020 में आरंभ की गई ‘ आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन पहल‘ का एक हिस्सा है।
यद्यपि, भारत-प्रशांत क्षेत्र में व्यापार समझौतों की प्रचुरता के कारण पिछले कुछ समय से टैरिफ की दरों में गिरावट आई है, गैर-टैरिफ उपाय क्षेत्र में एक बड़ी व्यापार बाधा के रूप में काम करते हैं। अभी तक उपलब्ध वैज्ञानिक साक्ष्य और साहित्य इसकी पुष्टि करते हैं कि कोविड 19 के वायरस सतहों तथा फूड पैकेजों पर जिंदा नहीं रह सकते, इसके बावजूद, भारत सहित कई देशों के निर्यात, विशेष रूप से कृषि निर्यात को पैकेजिंग को लेकर कोविड आशंका के कारण प्रतिबंधात्मक कदमों का सामना करना पड़ा।
ऐसे कठिन समय में, जब विश्व लॉकडाउन तथा आपूर्ति श्रृंखला व्यवधानों के तहत जूझ रहा है, कुछ देशों द्वारा लगाई गई ऐसी प्रतिबंधात्मक बाधाओं से वर्तमान समस्याएं और बढ़ गई हैं जो क्षेत्रीय व्यापार के हित में नहीं है। अनिवार्य वस्तुओं तथा खाद्य उत्पादों के निर्यात को सुगम बनाना खाद्य सुरक्षा तथा लोगों के कल्याण के लिए महत्वपूर्ण है। भारत निष्पक्ष, पारदर्शी, पारस्परिक और समावेशी व्यापार की आवश्यकता को दुहरता है जो सभी के हितों को बढ़ावा देता है।
उन्होंने कहा कि भारत भरोसेमंद और विश्वसनीय आपूर्ति श्रृंखला सुनिश्चित करने की दिशा में काम करने की अवधारणा की पुष्टि करता है। राज्य मंत्री ने कहा कि ‘ मैंने मूल्य श्रृंखलाओं तथा पूर्वी एशिया में महामारी के बाद सुधार पर ईआरआईए की चर्चा को बहुत उत्सुकतापूर्वक सुना है। क्षेत्रीय और वैश्विक मूल्य श्रृंखलाएं ईएएस क्षेत्र की आर्थिक शक्ति के प्रमुख तत्व हैं। ईआरआईए के शोध कार्य से यह जानकर प्रसन्नता हुई कि महामारी ने अभी तक पूर्वी एशिया क्षेत्र में उत्पादन प्रणाली और व्यापार पद्धतियों को बाधित नहीं किया है और इस क्षेत्र ने विश्व व्यापार नेटवर्क में अपना महत्व बनाये रखा। ‘
अभी तक अर्जित प्रगति को स्वीकार करते हुए, भारत एक दूसरे के सर्वश्रेष्ठ प्रचलनों से सबक लेते हुए, महामारी के विरुद्ध उपयुक्त समन्वित प्रतिक्रियाओं के लिए ईएएस कार्य प्रक्रियाओं को और सुदृढ़ बनाने की आवश्यकता पर जोर देना चाहेगा।
भारत स्वीकार करता है कि मूल्य श्रृंखला लचीलेपन को बनाये रखने में कंपनियों द्वारा किया गया नवोन्मेषण तथा अनुकूलन महत्वपूर्ण है। भारत इसकी सराहना करता है कि किस प्रकार ईएएस क्षेत्र की कंपनियों ने व्यवधानों तथा मांग से संबंधित झटकों के प्रत्युत्तर में आपूर्ति श्रृंखलाओं और संबंधों को फिर से व्यवस्थित कर पाने में सक्षम हुईं। उन्नत व्यापार सुविधा तथा डिजिटल टेक्नोलॉजी के उपयोग पर ईआरईए की अनुशंसाओं को नोट किया गया है। तेजी से बदलती दुनिया में उभरती नई प्रौद्योगिकीयों को अपनाने की आवश्यकता को उद्योग के आधुनिकीकरण तथा रूपांतरण के लिए एक महत्वपूर्ण माध्यम माना गया है। भविष्य में एआई-आधारित नवोन्मेषणों का विकास अवश्यंभावी है। तथापि, हमें एआई-प्रौद्योगिकीयों की अभूतपूर्व वृद्धि से उत्पन्न डाटा सुरक्षा तथा साइबर सुरक्षा की चुनौतियों को भी स्वीकार करने की आवश्यकता है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि व्यापार को वैश्विक विकास को पुनर्जीवित करने का इंजन बन जाना चाहिए। इसके लिए खुलेपन, निष्पक्षता, पारदर्शिता, समावेशन और गैर-भेदभाव के सिद्धांतों पर आधारित बहुपक्षीय व्यापारिक प्रणाली को सुदृढ़ बनाने की आवश्यकता है जिसके मूल में डब्ल्यूटीओ है। इसे वैश्विक व्यापार के लिए मजबूत नियम उपलब्ध कराने चाहिए।
एक्टिंग ईस्ट अब भारत के भारत-प्रशांत विजन में केंद्रीय तत्व है। भारत एक मजबूत, एकीकृत तथा समृद्ध आसियान को भारत-प्रशांत की उभरती गतिशीलता में केंद्रीय भूमिका निभाते देखना चाहता है। हम भारत-प्रशांत के लिए भारत के विजन और तथा भारत-प्रशांत पर आसियान के दृष्टिकोण के बीच काफी समानता देखते हैं।
उन्होंने बताया कि यह वर्ष भारत की स्वतंत्रता का 75वां साल है और देश इसे वर्तमान में जारी ‘ आजादी का अमृत महोत्सव‘ जिसका अर्थ होता है ‘स्वतंत्रता की ऊर्जा का अमृत‘ के रूप में मना रहा है।
उन्होंने आसियान के अध्यक्ष के रूप में ब्रुनेई की प्रभावी भूमिका के लिए उसे बधाई और धन्यवाद दिया। उन्होंने परिचर्चा पत्रों में क्षेत्रीय तथा वैश्विक आर्थिक विकास के उपयोगी विश्लेषण को एक साथ रखने के लिए आसियान सचिवालय की भी सराहना की।
उन्होंने यह दुहराते हुए समापन किया कि ईएएस फोरम के सामूहिक कदमों को भारत के समर्थन का लक्ष्य महामारी के आर्थिक प्रभाव को कम करना तथा क्षेत्रीय आर्थिक ढांचे को सुदृढ़ बनाना है।
एमजी/एएम/एसकेजे