लोगों को नदियों से जोड़ना राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) द्वारा लोगों को नदियों और इसकी पारिस्थितिकी के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए की गई पहल का एक अनिवार्य हिस्सा रहा है। रिवरफ्रंट का विकास लोगों और नदियों के बीच जुड़ाव को स्थापित करने के उद्वेश्य का महत्वपूर्ण अंग रहा है। एनएमसीजी भी नदी के प्रति संवेदनशील शहरी मास्टर प्लान बनाने के लिए विभिन्न हितधारकों के साथ काम करता रहा है। एनएमसीजी ने इस संबंध में कई उल्लेखनीय लेख प्रकाशित किए हैं।
विश्व संसाधन संस्थान, भारत द्वारा आयोजित ‘कनेक्ट करो‘ में एनएमसीजी द्वारा ‘पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील, जलवायु के रूप से अनुकूल तथा सामाजिक रूप से समावेशी शहरी रिवरफ्रंट योजना और विकास के लिए दिशानिर्देश नोट‘ लांच किया गया। इसकी व्याख्या करते हुए कि किस प्रकार यह प्रकाशन नदी-संवेदनशील शहरी डिजाइनों के निर्माण में उपयोगी होगा, एनएमसीजी के महानिदेशक श्री राजीव रंजन मिश्रा ने कहा, ‘ यह दिशानिर्देश गंगा नदी बेसिन के तथा व्यापक रूप से पूरे देश के शहरी योजनाकारों को यह समझने में मदद करेगा कि किस प्रकार शहरी रिवरफ्रंट को एक मास्टर प्लान में समेकित किया जाए। ‘ उन्होंने कहा कि ‘ रिवरफ्रंट लोगों को नदी के साथ फिर से जोड़ने तथा नदी की उनकी यात्रा को सुखद बनाने में सहायता करते हैं। ‘ उन्होंने कहा कि रिवरफ्रंट शहरी क्षेत्रों में सार्वजनिक स्थानों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए अनिवार्य हैं।
यह दस्तावेज सभी हितधारकों के लिए एक प्रवेशिका है जो शहरी नदी बाढ़ परियोजनाओं को कार्यान्वित करने की इच्छा रखते हैं, जो पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील, जलवायु के रूप से अनुकूल तथा सामाजिक रूप से समावेशी हैं। यह पुस्तक शहरी रिवरफ्रंटो को सामाजिक स्थान तथा उन्नतिशील पर्यावरण प्रणालियों के रूप में देखने का मार्ग प्रदान करती है तथा पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील, जलवायु के रूप से अनुकूल तथा सामाजिक रूप से समावेशी रिवरफ्रंट विकसित करने में सहयोग करती है। पुस्तक के तीन प्रमुख उद्वेश्य हैं:
क. पर्यावरणगत तथा सामाजिक संकेतकों पर आधारित शहरी रिवरफ्रंट विकास पर निर्णय निर्माण की सहायता करने के लिए मूल्यांकन साधन।
ख. पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील, जलवायु के रूप से अनुकूल तथा सामाजिक रूप से समावेशी रिवरफ्रंट विकास के बारे में परियोजना प्रस्तावक, निर्णय निर्माताओं तथा अन्य हितधारकों को सूचित करती है।
ग. पर्यावरणीय यूआरएफडी की डिजाइन, योजना निर्माण तथा कार्यान्वयन पर विभिन्न सेवा प्रदाताओं को दिशानिर्देश।
यह पुस्तक नदी नगर प्रबंधन पर विभिन्न अंतरराष्ट्रीय तथा राष्ट्रीय केस स्टडी भी प्रस्तुत करती है।
डब्ल्यूआरआई के सीईओ श्री ओ पी अग्रवाल ने बताया कि लोगों और नदी के बीच जुड़ाव को भुला दिया गया है और यह अनिवार्य है कि हम नदियों के इर्दगिर्द मनोरंजक स्थान बना कर उस जुड़ाव का फिर से निर्माण करें। डब्ल्यूआरआई के निदेशक श्री सम्राट बसाक ने कहा कि नदियां न केवल सांस्कृतिक विरासत हैं बल्कि वे पारिस्थितकी संबंधित तथा पर्यावरणीय विरासत भी लाती हैं। उन्होंने कहा कि यह दस्तावेज नदी संवेदनशील शहरी योजनाएं बनाने के लिए एक अच्छा आरंभिक बिन्दु होगा। टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स लिमिटेड की सहायक महाप्रबंधक-लैंडस्केप एवं आर्किटेक्चर सुश्री प्रतिमा मारवाह ने इस दिशानिर्देश नोट के प्रकाशन के पीछे के विजन को साझा किया। उन्होंने उन सि़द्धांतों की व्याख्या की जिन पर दिशानिर्देश विकसित किए गए थे।
पुस्तक के विमोचन के बाद पैनल परिचर्चा हुई। मेलबौर्न विश्वविद्यालय के प्रोफेसोरियल फेलो श्री ओवेन रिचर्ड्स, मैकग्रेगर तथा कोक्साल, सुश्री स्वाति जानु, सोशल डिजाइन कोलैब तथा श्री इयान रुदरफर्ड, रिसर्च डायरेक्टर, अल्लुवियम कंसल्टिंग ने पैनल परिचर्चा के दौरान नदी नगर योजना निर्माण में अपने अनुभवों तथा सीखों को साझा किया। राष्ट्रीय शहरी कार्य संस्थान (एनआईयूए) के डॉ. विक्टर शिंदे ने शहरी नदी प्रबंधन योजना-कानपुर अनुभव -तैयार करने से संबंधित अंतर्दृष्टि प्रस्तुत की।
कनेक्ट करो डब्ल्यूआरआई इंडिया का प्रमुख कार्यक्रम है जो समावेशी, टिकाऊ तथा जलवायु की दृष्टि से उन्नत भारतीय नगरों की डिजाइन तैयार करने के लिए प्रतिबद्ध भारतीय और वैश्विक नेताओं तथा नीति निर्माताओं को एक साथ लाता है। इस वर्ष ‘ क्लीन, ग्रीन एंड जस्ट‘ की थीम के साथ कनेक्ट करो का आयोजन वर्चुअल तरीके से 13-17 सितंबर 2021 को आयोजित किया गया। एनएमसीजी ने 17 सितंबर को 11 बजे सुबह से 1 बजे दोपहर तक ‘थ्राइविंग सिटीज, लिविंग वाटर्स‘ सत्र में भाग लिया।
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