उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज महिलाओं के खिलाफ सभी प्रकार के भेदभावों को खत्म करने का आह्वान किया और सभी से उनके लिए सुरक्षित व अनुकूल माहौल तैयार करने का अनुरोध किया, जिससे वे आगे बढ़ सकें और अपनी पूरी क्षमता हासिल कर सकें।
संसद भवन में आज महाकवि सुब्रह्मण्य भारती की 100वीं पुण्य तिथि के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, उपराष्ट्रपति ने जोर देकर कहा कि भारतीय संस्कृति हमेशा ही महिलाओं को देवी के प्रतीक के रूप में सम्मान देती रही है। समानता के लिए भरतियार की सोच का उल्लेख करते हुए, उन्होंने ऐसी सभी बाधाओं और भेदभाव को खत्म करने की जरूरत पर जोर दिया, जो जाति, धर्म, भाषा और लैंगिक आधार पर समाज को बांटते हैं।
पुडुचेरी में हाल में एक घर, जिसमें क्रांतिकारी कवि ने आजादी की लड़ाई के दौरान अपना 11 साल से ज्यादा समय बिताया था, के भ्रमण को याद करते हुए, श्री नायडू ने युवा पीढ़ी से इस महान कवि के जीवन से प्रेरणा लेने का अनुरोध किया।
महाकवि भारती के शब्दों ‘सबसे अच्छा समय आने वाला है!’ का उल्लेख करते हुए, श्री नायडू ने युवाओं से राष्ट्र निर्माण के उद्देश्य में खुद को समर्पित करने और एक विकसित भारत- गरीबी, निरक्षरता, भूख और भेदभाव से मुक्त भारत के निर्माण के उद्देश्य से आगे आने के लिए कहा। उन्होंने कहा, “मुझे भरोसा है कि हमारा युवा अपनी अद्भुत ऊर्जा और उत्साह के साथ भारत की प्रगति और तेज विकास को सक्षम बना सकता है।”
महाकवि सुब्रह्मण्य को भारत की सबसे महान साहित्यिक प्रतिभा बताते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि वह एक बहुआयामी व्यक्तित्व- एक कवि, पत्रकार, स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक थे, जिन्होंने गरीब और दलितों को काफी देखभाल की थी। उन्होंने कहा, “उनकी विचारोत्तेजक कविता और लेखन ने तमिल नाडु और भारत के लोगों के बीच राष्ट्रवाद की भावना जागृत करने में अहम भूमिका निभाई थी।”
सहज कविताओं में उनके असाधारण कौशल के लिए ‘राष्ट्रीय कवि’ की प्रशंसा करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह एक दुर्लभ उपलब्धि थी कि उन्हें सिर्फ 11 वर्ष की उम्र में एत्तायापुरम दरबार में ‘भारती’ की उपाधि से सम्मानित किया गया था। उन्होंने कहा, अपनी नई शैली और अभिव्यक्तियों, सरल शब्दों, देसी मुहावरों और गीतों की धुन के माध्यम से महाकवि भारती की कविता तमिल साहित्य को एक युग में ले गई थी।
भारती की बाल गंगाधर तिलक, बिपिन चंद्र पाल, लाला लाजपत राय, श्री वी. ओ. चिदंबरम पिल्लई और श्री अरबिंदो जैसे राष्ट्रीय नेताओं के साथ घनिष्ठता को याद करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि औपनिवेशिक काल के मुश्किल दौर में महाकवि हमारे राष्ट्र में व्याप्त अंधेरे को दूर करने के लिए राष्ट्रवाद के
अपने मजबूत संदेश के साथ एक सूर्य की तरह उभरे थे।
सिस्टर निवेदिता के साथ महान कवि की मुलाकात का उल्लेख करते हुए, श्री नायडू ने कहा कि इस मुलाकात ने उन्हें महिला स्वतंत्रता और सशक्तिकरण के और भी मजबूत समर्थक में बदल दिया। उन्होंने याद करते हुए बताया, “चक्रवर्तिनी पत्रिका के सम्पादक के रूप में, भारती ने घोषणा की थी कि चक्रवर्तिनी का लक्ष्य महिलाओं का सशक्तिकरण है।”
भारती की रचनाओं की सरलता और अभिव्यक्ति की मुखरता की प्रशंसा करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि उनके गानों ने आम लोगों के दिल और दिमाग को छुआ, साथ ही उनमें राष्ट्रवाद और देशभक्ति का जोश भर दिया था।
उन्होंने कहा कि महाकवि भारती को तमिल, अंग्रेजी, फ्रेंच, संस्कृत, हिंदी, हिंदुस्तानी और तेलुगु सहित कई भाषाओं की अच्छी समझ थी। उन्होंने अपने गद्य और कविता के माध्यम से स्वतंत्र भारत के पक्ष में आवाज उठाते हुए हुए एक मेहनती पत्रकार का जीवन जिया है। उन्होंने कहा कि कुछ भी नया करने के लिए कवि हमेशा ही तैयार रहते थे, जो मानवता के लिए अच्छा था।
भारती जैसी महान शख्सियतों के जीवन की घटनाओं की स्मृति के महत्व को रेखांकित करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि उनके विचारों और विरासत को भावी पीढ़ियों तक पहुंचाना अहम है। उन्होंने महान कवि की ‘एक पालकी, सुनहरी शॉल, एक पर्स और एक अनुचर’ से सम्मानित करने की महान कवि की इच्छा पूरी करते हुए हर साल भरथियार के जन्म दिवस मनाने के लिए वनविल कल्चरल सेंटर की प्रशंसा की, जो उन्होंने जेल से रिहा होने के बाद एत्तायापुरम के जमींदार से व्यक्त की थी।
उपराष्ट्रपति ने कहा, “यह महान कवि की विरासत को याद करने का एक शानदार तरीका है।” उन्होंने देशवासियों के बीच राष्ट्रवाद, सांस्कृतिक, आध्यात्मिकता और सामाजिक जागरूकता की अलख जगाने के लिए महाकवि सुब्रह्मण्य भारती के जीवन व कार्यों का प्रचार करने का आह्वान किया।
उपराष्ट्रपति ने व्यवस्थित रूप से भरतियार की 100वीं पुण्यतिथि मनाने के उद्देश्य से एक साथ आने के लिए केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय, इंदिरा गांधी ललित कला केंद्र और दिल्ली तमिल संगम के प्रयासों की सराहना की।
इस कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय संस्कृति और संसदीय कार्य राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल, वनवविल कल्चरल सेंटर के संस्थापक श्री के. रवि, तमिलनाडु एम. जी. आर. चिकित्सा विश्वविद्यालय, चेन्नई की वाइस चांसलर डॉ. सुधा शेषायन, पांडिचेरी विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर डॉ. गुरमीत सिंह, महाकवि सुब्रह्मण्य भारती के प्रपौत्र डॉ. राजकुमार भारती, दिल्ली तमिल संगम के प्रेसिडेंट श्री वी रंगानाथन और अन्य लोग उपस्थित रहे।
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