‘आजादी@75 – नया शहरी भारत: शहरी परिदृश्य में बदलाव’ सम्मेलन-सह-प्रदर्शनी में दूसरे दिन भारतीय आवास प्रौद्योगिकी मेला सबसे बड़ा आकर्षण है

100 प्रतिभागियों के साथ भारतीय आवास प्रौद्योगिकी मेला (आईएचटीएम) 5 से 7 अक्टूबर 2021 तक लखनऊ में आयोजित ‘आज़ादी@75 – नया शहरी भारत: शहरी परिदृश्य में बदलाव’ सम्मेलन-सह-प्रदर्शनी का सबसे बड़ा आकर्षण है। सम्मेलन-सह-प्रदर्शनी का उद्घाटन माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 5 अक्टूबर को किया था। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में यह कार्यक्रम आजादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में आयोजित किया जा रहा है। सम्मेलन-सह-प्रदर्शनी को आम जनता के लिए 6 अक्टूबर 2021 को खोला गया। आयोजन के पहले दिन सभा को संबोधित करते हुए माननीय प्रधानमंत्री ने लखनऊ शहर और भारत के विभिन्न हिस्सों के लोगों को सम्मेलन-सह-प्रदर्शनी में भाग लेने तथा शहरी भारत को बदलने का साक्षी बनने का निमंत्रण दिया था।

आईएचटीएम प्रतिभागी देश भर के निजी एवं सरकारी क्षेत्रों से; सिद्ध और संभावित तकनीकों के प्रौद्योगिकी प्रदाताओं के प्रतिनिधि; निर्माता, भवन निर्माण केंद्र, आईआईटी से, अनुसंधान एवं विकास संस्थानों के नवप्रवर्तनकर्ता हैं; राज्य/स्थानीय निकाय, प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) की कार्यान्वयन एजेंसियां और छह हल्के मकानों की परियोजनाओं (एलएचपी) में शामिल एजेंसियों को वैश्विक आवास प्रौद्योगिकी चुनौती-भारत (जीएचटीसी-इंडिया) के एक हिस्से के रूप में छह अलग-अलग राज्यों से शुरुआत करने करने का मौका दिया गया है। एलएचपी की आधारशिला माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 1 जनवरी 2021 को रखी गई थी।

आईएचटीएम में निम्न से मध्यम ऊंचाई के घरों के निर्माण के विभिन्न पहलुओं को शामिल करने वाली 79 प्रौद्योगिकियां प्रदर्शित की गई हैं। आईएचटीएम में प्रतिभागियों ने सीमेंट और कंक्रीट में नवाचार, पर्यावरण के अनुकूल और स्वदेशी रूप से विकसित बांस की नालीदार छत शीट तथा रिज कैप व बांस के उपकरणों; फसल अवशेषों और फ्लाई ऐश के औद्योगिक कचरे, चूना मिट्टी तथा इस्पात उद्योग के स्लैग से बने ब्लॉक; गाद और औद्योगिक कचरे से बने पूर्व-कास्ट मिट्टी के खोखले ब्लॉक, रोधक छत और दीवार के घटक, एकीकृत लागत प्रभावी प्रीकास्ट कंक्रीट समाधान; लाइट गेज स्टील स्ट्रक्चरल सिस्टम; कार्य प्रणाली के रूप में जगह पर बंधन; दरवाजा प्रणाली का नवाचार; नई पीढ़ी के वॉटरप्रूफिंग व निर्माण रसायन; भूकंप प्रतिरोधी हल्की चिनाई जैसी व्यापक तकनीकों का प्रदर्शन किया। पीएमएवाई (यू) के लाभार्थी नेतृत्व निर्माण (बीएलसी) वर्टिकल के तहत निर्मित व्यक्तिगत घरों सहित निम्न से मध्यम ऊंचाई के घरों के निर्माण के लिए देश भर में उपयोग की जाने वाली कई तकनीकों में काफी संभावनाएं हैं। आईएचटीएम ऑरोविले पुद्दुचेरी ने कंप्रेस्ड स्टैबिलाइज्ड मड ब्लॉक सिस्टम को प्रदर्शित किया, वहीं दूसरी ओर इसने हैदराबाद के एक स्टार्ट-अप द्वारा विकसित रोबोटिक ब्लॉक बिछाने की मशीन को प्रदर्शित किया।

इन प्रौद्योगिकियों का मूल्यांकन उनके तकनीकी मानकों और क्षेत्र में आगे उपयोग के लिए एमओएचयूए द्वारा स्थापित एक तकनीकी मूल्यांकन समिति (टीईसी) द्वारा किया जा रहा है।

इस बीच इनोवेटिव कंस्ट्रक्शन टेक्नोलॉजीज, रेरा, स्लम-फ्री सिटीज और इंक्लूसिव हाउसिंग से लेकर विभिन्न विषयों पर प्रमुख वक्ताओं के साथ लगातार तीन दिवसीय आयोजन में समानांतर सत्र आयोजित किए जा रहे हैं। ये सत्र स्वच्छ भारत मिशन, स्मार्ट सिटीज मिशन, डीएवाई-एनआरएलएम और पीएमएवाई (यू) की छत्रछाया में आयोजित किए गए थे।

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पहले दिन दो सत्रों का आयोजन ‘हाउ स्मार्ट सिटीज री-इमेजिनिंग पब्लिक स्पेस’ और ‘स्मार्ट सिटी अभियान के माध्यम से शहरी परिवर्तन – हम संस्थागतकरण और व्यवहार परिवर्तन कैसे सुनिश्चित करते हैं’ विषय पर आयोजित किए गए थे। पहले सत्र में स्मार्ट सिटीज मिशन के अभियान निदेशक और संयुक्त सचिव श्री कुणाल कुमार, कोहिमा स्मार्ट सिटी की सीईओ सुश्री अवेलु रूहोजेट, एचएसएम, एमओईएफ निदेशक श्री सत्येंद्र कुमार, उदयपुर स्मार्ट सिटी सीईओ श्री नीलाभ सक्सेना, श्रीनगर सीईओ श्री अतहर आमिर खान, बेंगलुरु शहर सीईओ श्री राजेंद्र चोलन और श्री विशाल कुंद्रा डिजाइन, योजना प्रमुख तथा अर्थशास्त्र एईसीओएम ने स्मार्ट शहरों को मिशन से आंदोलन की ओर ले जाने पर विचार-विमर्श किया और कहा कि शहरों को राज्य की नीति में महत्वपूर्ण सीख लेने की आवश्यकता होगी।

दूसरे सत्र में स्मार्ट सिटीज मिशन तमिलनाडु के मिशन निदेशक श्री शिवदास मीणा, महाराष्ट्र से श्री एमडी पाठक, आयुक्त शहरी विभाग मध्य प्रदेश सरकार श्री निकुंज श्रीवास्तव, जॉन हॉपकिन सेंटर फॉर कम्युनिकेशन प्रोग्राम से सुश्री उत्तरा भारत कुमार, अर्बन लैब के संस्थापक तथा भागीदार श्री अभिजीत लोकरे, कौटिल्य स्कूल ऑफ पॉलिसी के निदेशक श्री श्रीधर पब्बिशेट्टी और अर्बन वर्क्स इंस्टीट्यूट से मैनेजिंग ट्रस्टी श्रेया गडेपल्ली ने विस्तार से बताया कि कैसे स्मार्ट शहरों को परीक्षण, सीखने व पैमाने के स्मार्ट सिटी मिशन दृष्टिकोण को मापने के लिए आसपास के शहरों के लिए उत्प्रेरक बनना होगा।

‘निम्न और मध्यम वृद्धि वाले घरों के लिए नवीन निर्माण प्रौद्योगिकियों को मुख्यधारा में लाना’ विषय पर एक सत्र का आयोजन किया गया। निर्माण क्षेत्र में नवीन भवन निर्माण सामग्री, प्रक्रियाओं और प्रौद्योगिकियों के उपयोग तथा स्वदेशी/नवीन प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके मानकीकरण, प्रचार, प्रदर्शन एवं निर्माण की रणनीति पर चर्चा व विचार-विमर्श किया गया। निर्माण क्षेत्र में उद्यमशीलता को बढ़ावा और मुख्य धारा के नवाचारों पर विशेष रूप से निम्न व मध्य ऊंचाई के निर्माण के लिए चर्चा की गई। एमओएचयूए में अतिरिक्त सचिव श्री सुरेंद्र कुमार बागड़े, हैबिटेट टेक्नोलॉजी ग्रुप के संस्थापक और मुख्य वास्तुकार पद्मश्री प्रो. जी. शंकर, केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) के निदेशक डॉ एन गोपालकृष्णन, जीआईजेड के क्लस्टर समन्वयक डॉ. विनफ्राइड डैम, भवन निर्माण सामग्री तथा प्रौद्योगिकी संवर्धन परिषद (बीएमटीपीसी) के निदेशक डॉ. शैलेश के.आर. अग्रवाल और आईआईटी मद्रास के प्रो. मेहर प्रसाद ए इस सत्र के लिए सम्मानित पैनलिस्ट थे।

एक अन्य समानांतर सत्र में रियल एस्टेट क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए रेरा को मजबूत करने पर चर्चा शामिल थी। एमओएचयूए ने एनएआरईडीसीओ, सीआरईडीएआई और विभिन्न अन्य उद्योग के नेताओं के प्रतिनिधियों के साथ सभी उद्योग के नेताओं के लिए एक मंच बनाया, साथ ही अनुसंधान फर्मों को सीखने तथा रेरा के विभिन्न पहलुओं को साझा करने और साथ ही यह कैसे रियल एस्टेट क्षेत्र का विकास करेगा, इस विषय पर बात हुई। इसका उद्देश्य रेरा के कार्यान्वयन को मजबूत करना और रियल एस्टेट क्षेत्र में जवाबदेही तथा पारदर्शिता सुनिश्चित करना था। यह देश में किफायती आवास क्षेत्र को बढ़ावा देगा और घर खरीदारों में विश्वास पैदा करेगा। एमओएचयूए में अपर सचिव श्री सुरेंद्र कुमार बागड़े, एमओएचयूए आर्थिक सलाहकार (आवास) श्री दिनेश कपिला, एनएआरईडीसीओ के अध्यक्ष राजन बंदेलकर, यूपी रेरा अध्यक्ष श्री राजीव कुमार और सीआरईडीएआई के अध्यक्ष श्री हर्षवर्धन पटोदिया इस सत्र में शामिल हुए।

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सम्मेलन-सह-प्रदर्शनी के दूसरे दिन की शुरुआत कई कार्यशालाओं के साथ हुई। एमओएचयूए में सचिव श्री दुर्गाशंकर मिश्रा ने मेट्रोलाइट और मेट्रो नियो की आत्मनिर्भर पहल के साथ ‘मेकिंग ए सिटी स्मार्ट – टुवर्ड्स मेकिंग शिफ्ट फ्रॉम मिशन टू मूवमेंट’ और ‘इंडियाज मेट्रो रेल सिस्टम: एट 100 इयर्स ऑफ इंडिपेंडेंस’ पर दो सत्रों की अध्यक्षता की।

 

 

पीएमएवाई (यू) की आवास पर संवाद पहल के तहत ‘समावेशी आवास’ पर एक संगोष्ठी आयोजित की गई। आवास पर संवाद के हिस्से के रूप में आवास और इसके आसपास के विभिन्न विषयों पर चर्चा करने तथा सीखने के लिए राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों में 75 कार्यशालाएं आयोजित की जानी थीं। विशेष रूप से इस कार्यक्रम के तहत 75वीं और अंतिम कार्यशाला थी। उत्तर प्रदेश सरकार के प्रधान सचिव श्री अमृत अभिजात, एमओएचयूए निदेशक श्री सुवाशीष दास, एचडीएफसी अपर वरिष्ठ जीएम श्री संजय जोशी, सीईपीटी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ सेजल पटेल, सेवा हाउसिंग ट्रस्ट की निदेशक सुश्री बिजल ब्रह्मभट्ट, सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च से सीनियर फेलो डॉ पार्थ मुखोपाध्याय और डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय में आर्किटेक्चर संकाय की डीन सुश्री वंदना सहगल ने इसमें हिस्सा लिया।

 

गंदी बस्तियों से मुक्त शहरों पर एक और समानांतर सत्र का भी आयोजन किया गया। एमओएचयूए में अपर सचिव श्री सुरेंद्र कुमार नागदे, आंध्र प्रदेश शहरी विकास सचिव सुश्री वाई श्रीलक्ष्मी, आयुक्त और सचिव तमिलनाडु श्री जी मथिवत्नाम, प्रधान सचिव उत्तर प्रदेश श्री दीपक कुमार, पीएमआईडीसी पंजाब के सीईओ श्री अजय शर्मा, एमओएचयूए में आर्थिक सलाहकार (आवास) श्री दिनेश कपिला ने चर्चा की कि विभिन्न राज्यों ने स्लम पुनर्विकास से कैसे निपटा है। जागा मिशन के तहत झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले 1.75 लाख लोगों को जमीन के अधिकार पर ओडिशा सरकार के अनुभव और पंजाब सरकार के जमीन के मालिकाना हक देने के इसी तरह के मॉडल को साझा किया गया।

 

निर्माण क्षेत्र में अभिनव निर्माण प्रौद्योगिकी पर आयोजित सत्र में विचार-मंथन किया गया था और इस पर विचार दिए गए कि कैसे नवीन निर्माण प्रौद्योगिकियों के प्रदाताओं को तकनीक की व्यापक पहुंच के लिए डेवलपर्स तथा शिक्षाविदों के साथ जोड़ा जा सकता है। मूल रूप से, उन्हें बाजार के अवसर कैसे प्रदान किए जा सकते हैं, यह चर्चा का प्रमुख विषय था। एमओएचयूए में अपर सचिव श्री सुरेंद्र कुमार बागड़े ने इस सत्र की अध्यक्षता की, जबकि विख्यात पैनलिस्ट आईआईटी बॉम्बे से प्रोफेसर रवि सिन्हा और आईआईटी मद्रास के प्रोफेसर मेहर प्रसाद थे।

 

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