नागरिक उड्डयन मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने आज कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार की भूमिका बदल गई है। ड्रोन के लिए साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण के एक नए दृष्टिकोण के बारे में बात करते हुए श्री सिंधिया ने कहा कि सरकार सुविधा प्रदाता का काम कर रही है, न कि एक नियामक का रोल निभा रही है।
फिक्की द्वारा आयोजित ‘ड्रोन फॉर पब्लिक गुड- मास अवेयरनेस प्रोग्राम’ पर सत्र को संबोधित करते हुए, श्री सिंधिया ने कहा कि प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है और ड्रोन तकनीक हाशिये पर रहने वालों को विकास के केंद्र में लाएगी। उन्होंने कहा कि देश के कोने-कोने से लोगों को जोड़ने में ड्रोन अहम भूमिका निभाते हैं।
श्री सिंधिया ने कहा कि एक देश के रूप में भारत आमतौर पर नवाचार या प्रौद्योगिकी के विकास का अनुयायी रहा है। नागरिक उड्डयन मंत्री ने कहा, यह पहली बार है जब हम इस क्षेत्र में लीडर बनने की सोच रहे हैं।
नए ड्रोन नियमों में ड्रोन के लिए पीएलआई योजना शामिल है और घरेलू विनिर्माण के नए उद्योग को इनसे काफी बढ़ावा मिल रहा है। श्री सिंधिया ने कहा, “इस क्षेत्र के लिए 40 प्रतिशत मूल्यवर्धन सीमा नई शुरुआत करने के लिए एक अनूठा लाभ देती है।”
उन्होंने आगे उल्लेख किया कि किसी भी तकनीक को सफल होने के लिए तीन चरणों की आवश्यकता होती है- नीति संरचना, फंडिग से प्रोत्साहन और मांग संरचना। उन्होंने आगे कहा कि भारत सरकार की स्वामित्वा (ग्रामों का सर्वेक्षण और ग्राम क्षेत्रों में बेहतर प्रौद्योगिकी के साथ मानचित्रण) योजना हजारों गांवों का नक्शा बनाने के लिए ड्रोन का उपयोग करने की योजना बना रही है जो भारत के ड्रोन उद्योग को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देगी।
मंत्री ने कहा कि भारत में कुछ बहुत कठिन क्षेत्र हैं और ड्रोन टीके उपलब्ध कराने में प्रभावी होंगे जिसके परिणामस्वरूप टीकाकरण अभियान में वृद्धि होगी। श्री सिंधिया ने कहा, “सरकार पहले से ही टीकों के उपयोग और भारत में ड्रोन प्रौद्योगिकी के लिए मानचित्रण और मांग संरचना बनाकर एक एंकर कस्टमर के रूप में काम कर रही है।” मंत्री ने कहा कि सरकार ने ड्रोन उद्योग के लिए पीएलआई योजना को मंजूरी दी है जिससे भारत में नए निवेश आएंगे और रोजगार को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि ड्रोन प्रौद्योगिकी तेजी पकड़ चुकी है और उद्योग निकायों से प्रौद्योगिकी को आगे बढ़ाने में मदद करने का आग्रह श्री सिंधिया ने किया।
श्री विग्नेश संथानम, एयरोस्पेस और ड्रोन, वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने कहा कि ड्रोन को कृषि अनुसंधान प्रणाली को बढ़ावा देना चाहिए ताकि इससे उपज बढ़ाई जा सके और सुरक्षित आजीविका प्राप्त करने के लिए ग्रामीण आबादी का कौशल विकास किया जा सके। इसी से चौथी औद्योगिक क्रांति तकनीक का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है।
श्री स्मित शाह, निदेशक- भागीदारी, डीएफआई ने कहा कि हम इस उद्योग के भागीदार के रूप में मंत्री के प्रयासों का स्वागत करते हैं।
श्री राजन लूथरा, अध्यक्ष- ड्रोन पर फिक्की समिति और अध्यक्ष कार्यालय- प्रमुख-विशेष परियोजनाएं, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने कहा कि कृषि भारत में सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक है जिसमें विशाल बाजार क्षमता है और कृषि के लिए ड्रोन के उपयोग से किसानों और आम आदमी को महत्वपूर्ण लाभ मिलेगा।
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