बेहतर सुरक्षा के साथ नई कोटिंग तकनीक (एलसीटीटी) थर्मल पावर प्लांट बॉयलरों के जीवन को बढ़ाएगी

भारतीय वैज्ञानिकों ने एक अद्वितीय लेजर-आधारित क्लैड कोटिंग तकनीक (एलसीसीटी) विकसित की है, जो कि थर्मल पावर प्लांटों के पार्ट्स को बेहतर सुरक्षा प्रदान करती है।यह वर्तमान सरफेसिंग प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने की तुलना में बॉयलर पार्ट्स के जीवन को 2-3 गुना तक बढ़ा सकती है। देखा गया है कि यह तकनीक न केवल थर्मल पावर प्लांट्स के बॉयलर पार्ट्स के लिए बल्कि अपरदनकारी उच्च तापमान और क्षयकारी वातावरण से जुड़े हुए किसी भी इंजीनियरिंग अनुप्रयोग के लिए उपयुक्त है।    

लेजर क्लैडिंग एक सब्सट्रेट पर कोटिंग सामग्री को फ्यूज करने की एक तकनीक है। यह सामग्री को सही, चुनिंदा और अंतर्निहित सब्सट्रेट में न्यूनतम हीट इनपुट के साथ निक्षेपित करने की अनुमति प्रदान करता है। यह प्रक्रिया एक पार्ट की सतह के प्रॉपर्टी में सुधार करनी की अनुमति देता है, जिसमें बेहतर जीर्ण प्रतिरोध भी शामिल है, इस प्रकार से यह क्षतिग्रस्त या खराब सतहों की मरम्मत की अनुमति प्रदान करता है। 

विकसित सुपर क्रिटिकल और अल्ट्रा-सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट्स में बॉयलर के विभिन्न भागों और इसके सहायक उपकरण जैसे फीडर नोजल टिप, री-हीटर बॉयलर, बर्नर स्प्रेडर प्रायः उच्च तापमान पर अधिक उपयोग और जंग के कारण ख़राब हो जाते हैं और इस प्रकार से ब्रेकडाउन और रखरखाव के दौरान लगातार प्रतिस्थापन की आवश्यकता होती है।तकनीकी रूप से उन्नत दुनिया में बिजली की लगातार बढ़ती हुई मांग के बीचऐसी समस्याओं के कारण शटडाउन होने से बिजली उत्पादन को गंभीर रूप से प्रभावित होती है। संयंत्र के चलने की अवधि के दौरान ऐसे घटकों की विफलता मौजूदा उच्च तापमान और धूल भरी स्थितियों और कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों में बिजली उत्पादन में भारी नुकसान के कारण, ब्रेकडाउन रखरखाव के काम को चुनौतीपूर्ण और जटिल बना देता है।

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इस चुनौती से निपटने के लिए, डॉ एस. एम. शरीफ के नेतृत्व में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के स्वायत्त संस्थान, इंटरनेशनल एडवांस्ड रिसर्च सेंटर फॉर पाउडर मेटलर्जी एंड न्यू मैटेरियल्स (एआरसीआई) के वैज्ञानिकों ने एक अद्वितीय लेजर-आधारित क्लैड कोटिंग तकनीक (एलसीसीटी) विकसित की है, जो बॉयलर के पार्ट्स को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान प्रदान करती है और दो वर्षों से ज्यादा उनके जीवन काल में बढ़ोत्तरी को सुनिश्चित करती है। इस नई तकनीक को भारतीय पेटेंट भी प्रदान किया गया है।

एलसीसीटी को प्रोसेस मॉनिटरिंग और नियंत्रण के साथ मल्टी-एक्सिस रोबोट में एकीकृत हाई-पावर लेजर को नियोजित करके स्टील पार्ट्स पर कठोर धातु कार्बाइड कणों (टंगस्टन, क्रोमियम, या वैनेडियम) के साथ निकल-आधारित सॉफ्ट मैट्रिक्स के सावधानीपूर्वक फ़्यूज़िंग के साथ विकसित किया गया है।

नियंत्रत डाइल्यूशन के अंतर्गत समान रूप से वितरित सॉफ्ट मैट्रिक्स में कठोर कार्बाइड कणों के स्पष्ट पिधलाव के लिए, लेजर-हीट के परिचालन के साथ कोटिंग के माइक्रोस्ट्रक्चर के नियंत्रण ने थर्मल पावर प्लांट के बॉयलर पार्ट्स के साथ-साथ अपरदनकारी उच्च तापमान औरक्षयकारी वातावरण से जुड़े हुए इंजीनियरिंग अनुप्रयोगों के लिए उपयुक्त इसअद्वितीय एलसीटीटी को सक्षम बनाता है।  

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पेटेंट किए गए एलसीसीटी का, फरक्का और कोरबा में एनटीपीसी के थर्मल पावर प्लांटों के 200 और 500 मेगावाट के बॉयलरों के फीडर नोजल टिप्स के लिए सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है। कार्यक्षेत्र के परिणामों से संकेत प्राप्त होता है कि एलसीसीटी के जीवनकाल में बढ़ोत्तरी ने बॉयलर के पार्ट्स को वर्तमान में उपयोग की जाने वाली अन्य सरफेसिंग तकनीकों की तुलना में 2-3 गुना अधिक चालित किया है। भारत के कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों और विकासशील देशों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इस एलसीसीटी प्रौद्योगिकी को बहुत ही किफायती बनाने के लिए, एआरसीआई कई जॉब शॉप उद्यमियों को इस तकनीक का हस्तांतरण करने की प्रतीक्षा कर रहा है।

लेजर-आधारित क्लैड कोटिंग निक्षेपण प्रगति पर, लेजर-क्लैड कोटेड नोजल टिप को बायलर में स्थापित किया गया है

 

विस्तृत जानकारी के लिए कृपया भारतीय पेटेंट # 201811039663 पर जाएं, या डॉ एस. एम.शरीफ से(shariff@arci.res.in) संपर्क करें।

 

एमजी/एएम/एके