जनजातीय समुदायों (वनवासियों और कारीगरों, दोनों) की आजीविका में सुधार लाने और जनजातीय सशक्तिकरण की दिशा में काम करने के अपने मिशन के एक हिस्से के रूप में ट्राइफेड कई कार्यक्रमों व पहलों पर काम रहा है। ऐसी ही एक पहल वनधन कार्यक्रम है, जिसके जरिए ट्राइफेड लघु वनोपज और वनों पर निर्भर जनजातीय जनसंख्या वाले 25 राज्यों और 307 जिलों में नेतृत्व कर रहा है।
ट्राइफेड व जम्मू एवं कश्मीर सरकार जल्द ही वन धन योजना के कार्यान्वयन एवं क्षेत्र में जनजातीय उद्यम को बढ़ावा देने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने वाले हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार जम्मू और कश्मीर की कुल जनसंख्या का 11.91 प्रतिशत हिस्सा अनुसूचित जनजाति का है। जम्मू और कश्मीर में कुपवाड़ा, बारामूला, बड़गाम, रजौरी, उधमपुर और कठुआ जनजातीय बहुल जिलों में शामिल हैं। अधिकांश जनजातीय क्षेत्रों में घने जंगल और पहाड़ियां हैं, जो प्रचुर मात्रा में एमएफपी (लघु वनोपज) की उपलब्धता भी प्रदान करती हैं। इसके अलावा यह घाटी कला और शिल्प में अपनी समृद्धि के लिए भी जानी जाती है। इस क्षेत्र में रहने वाली जनजाति बाजार तक सीमित पहुंच के साथ पारंपरिक कलाकृतियों को बनाने में कुशल हैं।
ट्राइफेड के इस कदम में 1500 वीडीएसएचजी स्थापित करने की परिकल्पना की गई है, जोकि इस केन्द्र– शासित प्रदेश में 30,000 जनजातीय समुदाय के स्टार्टअपों के विकास में योगदान कर सकते हैं। इस कदम का उद्देश्य जनजातीय समुदाय के मौजूदा कौशलों को उन्नत करना और उनमें उद्यमिता संबंधी कौशल को विकसित करना व उनकी उपजों को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचाने में मदद करना है। जम्मू-कश्मीर के जनजातीय कार्य सचिव श्री शाहिद इकबाल चौधरी द्वारा 4 अक्टूबर, 2021 को ट्राइफेड के प्रधान कार्यालय के दौरे के साथ इस योजना को गति प्रदान की गई है। इस दौरे में ट्राइफेड के प्रबंध निदेशक श्री प्रवीर कृष्ण के साथ जम्मू एवं कश्मीर में वन धन योजना के कार्यान्वयन से संबंधित एक कार्य – योजना के ब्लू प्रिंट पर विचार– विमर्श किया गया था।
वन धन योजना ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के माध्यम से लघु वनोपज (एमएफपी) के विपणन के लिए तंत्र तथा लघु वनोपज (एमएफपी) के लिए मूल्य श्रृंखला का विकास’ (एमएफपी के लिए एमएसपी योजना) का एक घटक है। इस योजना का बुनियादी मॉडल जनजातीय समुदाय के स्वामित्व वाले वन धन विकास केंद्र समूहों (वीडीवीकेसी) को मुख्य रूप से वनों से घिरे जनजातीय जिलों में स्थापित करना है, जहां एक वीडीवीकेसी समूह में 15 वन धन स्वयं सहायता समूह होंगे। इन वन धन स्वयं सहायता समूहों में से प्रत्येक में 20 एनटीएफपी संग्राहक यानी लगभग 300 लाभार्थी तक शामिल होंगे।
इस पहल के माध्यम से, ट्राइफेड जम्मू एवं कश्मीर में जनजातीय समुदाय के 2,50,000 लोगों को सीधे लाभ पहुंचाएगा। इसके अलावा, ट्राइफेड का लक्ष्य प्रत्येक पार्क के लिए 10,000 संग्रहकर्ताओं के साथ 2 ट्राइफूड पार्क स्थापित करना, घाटी में 5 रिटेल आउटलेट खोलना और 1000 आपूर्तिकर्ताओं को सूचीबद्ध करना है, जिनके उत्पादों को ट्राइब्स इंडिया श्रृंखला के रिटेल आउटलेट के माध्यम से तथा www.tribesindia.com पर ऑनलाइन बेचा जाएगा। केन्द्र शासित प्रदेश के पारंपरिक उत्पाद, विदेश स्थित भारतीय मिशनों में ट्राइफेड के आत्मनिर्भर भारत कार्नर में प्रदर्शित वस्तुओं का हिस्सा होंगे, जिनसे जम्मू एवं कश्मीर के इन जनजातीय हथकरघा और हस्तशिल्प को वैश्विक पहचान मिलेगी।
क्षेत्र के जनजातीय समुदायों के सर्वांगीण कल्याण में मदद करने वाले जनजातीय विकास कार्यों के बेहतर निष्पादन के लिए ट्राइफेड केन्द्र शासित प्रदेश में पीएमयू की स्थापना के लिए भी सुविधाएं प्रदान करेगा। लेह और लद्दाख में भी इसी तरह के प्रयास शुरू किए गए हैं और ट्राइफेड की एक टीम अगले सप्ताह केंद्र शासित प्रदेश का दौरा करेगी, ताकि मूल्यवर्धन को प्रोत्साहित करके जनजातीय समुदायों के पारंपरिक ज्ञान और कौशल को अंतरराष्ट्रीय बाजार से जोड़ने के लिए जमीनी स्तर पर आवश्यक कार्य पूरे किये जा सकें। मूल्यवर्धन के बाद ब्रांडिंग और पैकेजिंग के माध्यम से उत्पादों की अधिक बिक्री होगी। ट्राइफेड पहले से ही इस क्षेत्र से सूखे मेवे, पश्मीना, खूबानी जूस आदि की आपूर्ति कर रहा है। योजना में इस क्षेत्र के शामिल होने के साथ, ट्राइफेड ने अपनी पहल के माध्यम से बड़ी संख्या में जनजातीय समुदाय के लोगों को लाभ पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
एमएफपी के लिए एमएसपी और वन धन योजना जैसी प्रमुख योजनाओं के माध्यम से ट्राइफेड, जनजातीय लोगों के लिए आय और आजीविका पैदा करने की दिशा में काम करना जारी रखेगा।
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