उपराष्ट्रपति ने अरुणाचल प्रदेश के इटानगर, में जवाहरलाल नेहरू राज्य संग्रहालय का दौरा किया

उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज सरकारी संगठनों और निजी क्षेत्र संस्थानों से आह्वान किया कि वे देश के कारीगरों को भारत और विदेशों में अपने उत्पादों का विपणन और बिक्री करने में सहयोग प्रदान करें।

इस बात को ध्यान में रखते हुए कि हमारे देश के प्रतिभाशाली कारीगरों के लिए सबसे बड़ी चुनौती विपणन के अवसरों की कमी है, श्री नायडू ने सुझाव दिया कि संग्रहालयों, सरकारी इमारतों और बड़े संस्थानों को अपने परिसर में दुकानों को खोलने पर विचार करना चाहिए, इस प्रकार से कारीगरों को अपने उत्पादों को बेचने का अवसर प्रदान करना चाहिए।

उपराष्ट्रपति ने स्वयंसेवी संगठनों को सुझाव दिया कि वे कारीगरों के उत्पादों का ऑनलाइन विपणन करने के लिए उनके साथ हाथ मिलाएं। उन्होंने कहा कि “जनजातीय युवाओं को ऑनलाइन विपणन की तकनीकी जानकारी हेतु प्रशिक्षित करने के लिए विशेष अल्पकालिक पाठ्यक्रम की भी शुरूआत की जा सकती है।“

पूर्वोत्तर के दौरे पर उपराष्ट्रपति आज अरुणाचल प्रदेश के इटानगर पहुंचे। उन्होंने ईटानगर में जवाहरलाल नेहरू राज्य संग्रहालय का दौरा किया और उन्हें संग्रहालय में विभिन्न वर्गों और दीर्घाओं को दिखाया गया।

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बाद में एक फेसबुक पोस्ट में उन्होंने संग्रहालय की यात्रा के अनुभवों को ‘समृद्ध’ कहा और संग्रहालय की सराहना करते हुए कहा कियह ‘निस्संदेह देश के सर्वश्रेष्ठ एथनोग्राफिक संग्रहालयों में से एक’ है।

विभिन्न वर्गों के बीच, श्री नायडु ने संग्रहालय में स्थापित “पर्वतारोहण गैलरी” की विशेष प्रशंसा की जिसका उद्देश्य युवा पीढ़ी के बीच साहसिक और खेल में रुचि विकसित करना है।

उन्होंने अन्य संस्थाओं और संग्रहालयों को इसी प्रकार की पहल करने, स्थानीय खेल सितारों के साथ सहयोग करने और युवाओं को खेल अपनाने और स्वस्थ जीवन शैली अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने का सुझाव दिया।

उपराष्ट्रपति ने राज्य के विभिन्न जातीय समुदायों से संबंधित अन्य चीजों के बीच कपड़ा, टोकरी, पेंटिंग, लकड़ी की नक्काशी संग्रह को प्रदर्शित करने वाली दीर्घाओं का दौरा किया।एक अन्य वर्ग में, उन्होंने राज्य की सभी प्रमुख जनजातियों का प्रतिनिधित्व करने वाली 27 चित्रावली का अवलोकन किया। प्रत्येक चित्रावली में पारंपरिक पोशाक में जनजातीय पुरुषों और महिलाओं के जीवंत चित्र मौजूद हैं, जो अपनी दैनिक गतिविधियों में शामिल हैं।

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अपनी पोस्ट में श्री नायडू ने लिखा कि “अरुणाचल प्रदेश अपनी समृद्ध प्राकृतिक और सांस्कृतिक विरासत के साथ, हस्तशिल्प का खजाना कहा जा सकता है।विभिन्न जनजातियों के पास विभिन्न शिल्पों में विशेषज्ञता प्राप्त पीढ़ियां हैं जैसे बुनाई, चित्रकला, टोकरी, मुखौटा बनाना, हाथीदांत-काम, लोहार, गुड़िया बनाना, मिट्टी के बर्तन बनाना और बढ़ईगीरी आदि।“उन्होंने कहा कि राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने की आवश्यकता है।

श्री नायडू ने यह भी सुझाव दिया कि स्कूलों को स्कूली बच्चों के लिए स्थानीय संग्रहालयों का निर्देशित पर्यटन का प्रबंध करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस प्रकार से उन्हें भारत के समृद्ध अतीत के बारे में जागरूक किया जा सकता है और इसके माध्यम  हम अपनी महान सांस्कृतिक विरासत का संचरण और संरक्षण की दिशा में लंबा रास्ता तय कर सकते हैं।

उपराष्ट्रपति के साथ अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) (डॉ) बीडी मिश्रा, अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री पेमा खांडू और अन्य लोग भी संग्रहालय गए।

एमजी/एएम/एके