उपराष्ट्रपति तथा राज्यसभा के सभापति श्री एम वेंकैया नायडू ने आज जोर देकर कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनईआर) अब निर्णायक रूप से अपने अशांत अतीत से दूर हो रहा है और पुनरुत्थान के एक नए युग (एनईआर) का साक्षी बन रहा है, जैसा कि आर्थिक और मानव विकास सूचकांकों में उल्लेखनीय सुधार, अवसंरचना विकास का विस्तार तथा पिछले सात वर्षों में उग्रवाद में तेज गिरावट से स्पष्ट है।
श्री नायडू ने अरुणाचल प्रदेश विधानसभा के एक विशेष सत्र को संबोधित करते हुए क्षेत्र की विरासत पर विस्तार से चर्चा की, जिसका परिणाम विकास और लोकतंत्र की कमी के रूप में दिखा था और अब हाल के वर्षों में परिवर्तन की दिशा और विकास की गति में तेजी के रूप में नया परिवर्तन देखने को मिल रहा है।
The Vice President, Shri M. Venkaiah Naidu, addressing a special session of the Arunachal Pradesh Legislative Assembly in Itanagar today. pic.twitter.com/ejww30bMW7
क्षेत्र में अराजकता और अपर्याप्त बुनियादी ढांचे जिसके कारण निजी निवेशों का प्रवाह सीमित रहा और विकास में कमी आई, का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘मुझे यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि महत्वपूर्ण पूर्वोत्तर क्षेत्र ने ऐसे अतीत से दूर होने के लिए दृढ़ता के साथ संकल्प लिया है जिससे कि वर्तमान को उस दिशा में ढालकर एक नए भविष्य की पटकथा लिखी जा सके। बहुत सारी अवसंरचना परियोजनाएं पूरी हो चुकी है और प्रगति पर हैं तथा सामाजिक-आर्थिक विकास के साक्ष्य इस दिशा में एक स्पष्ट संकेत हैं।’
उन्होंने यह भी कहा कि विशेष रूप से ऐसे क्षेत्र में, जहां व्यापक जातीय विविधता है, लोगों के बीच विषमताओं को बढ़ाने के द्वारा अपर्याप्त और असमान विकास उनकी लोकतांत्रिक भागीदारी को भी प्रभावित करती है क्योंकि वे पहले से ही विकास के तरीकों को लेकर संदिग्ध थे और अपनी खुद की पहचान और संस्कृति को लेकर चिंतित हैं।
श्री नायडू ने कहा कि एक लंबे समय तक क्षेत्र के विकास के लिए जमीनी स्तर पर इरादों और कार्यों के बीच की खाई ने 2014 में प्रधानमंत्री की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ को जन्म दिया, जिसे एक नई ऊर्जा तथा फोकस के साथ लागू किया जा रहा है।
पूर्वोत्तर क्षेत्र में नए पुनरुत्थान के समर्थन में श्री नायडू ने विस्तार से बताया कि जहां देश में प्रति व्यक्ति शुद्ध राष्ट्रीय आय में 2013-14 की तुलना में अब 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, पूर्वोत्तर क्षेत्र के आठ राज्यों में से छह राज्यों में प्रति व्यक्ति शुद्ध राज्य घरेलू उत्पाद में इससे अधिक की वृद्धि हुई है। क्षेत्र के आठ राज्यों में से पांच राज्यों की प्रति व्यक्ति शुद्ध राज्य उत्पाद 2018-20 के दौरान प्रति व्यक्ति एनएनआई की तुलना में समान या अधिक रहा, जबकि 2013-14 में केवल दो राज्यों के मामले में ऐसा था।
उन्होंने यह भी सूचित किया कि मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) के संदर्भ में मापे गए सामाजिक विकास के संबंध में क्षेत्र के आठ राज्यों में से सात राज्यों ने 2019 में देश के सूचकांक की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया। 78.50 की साक्षरता दर के साथ, एनईआर का प्रदर्शन देश के 74 प्रतिशत की तुलना में बेहतर है।
पिछले सात वर्षों के दौरान क्षेत्र के विकास के लिए केन्द्रीय सरकार की पहलों का उल्लेख करते हुए श्री नायडू ने 2014-15 की तुलना में 2021-22 के दौरान क्षेत्र को लगभग दोगुनी सकल बजटीय सहायता, स्टार्टअप इंडिया स्कीम, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम, सूक्ष्म लघु एवं मझौले उद्यमों के लिए सहायता बड़ी संख्या में सड़क तथा हवाई संपर्क परियोजनाओं आदि और उनके निष्पादन की गति की चर्चा की।
केन्द्रीय सरकार के प्रयासों के कारण क्षेत्र में अति आवश्यक शांति लौटने का उल्लेख करते हुए श्री नायडू ने बताया कि 2013 की तुलना में अराजकता संबंधी घटनाओं में 70 प्रतिशत की कमी आई, नागरिकों की मौतों में 80 प्रतिशत की कमी आई और सुरक्षाबलों के हताहतों की संख्या में 2019 में 78 प्रतिशत की गिरावट हुई। उन्होंने कहा कि व्यापक बोडो तथा कार्बी आंगलोंग समझौतों पर हाल में किए गए हस्ताक्षर इस क्षेत्र में शांति के युग के सूत्रपात्र की उत्सुकता प्रदर्शित करते हैं।
देश में विधायिकाओं के कामकाज पर चिंता व्यक्त करते हुए श्री नायडू ने 2015-20 के दौरान अरुणाचल प्रदेश विधानसभा की एक से छह वार्षिक बैठकों का उल्लेख किया और क्षेत्र के राज्यों से अधिक बैठकें करने का आग्रह किया। उन्होंने राष्ट्र तथा लोगों से संबंधित मुद्दों पर निर्णय करने के लिए सार्थक बहस और चर्चा की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने इच्छा जताई कि विधायकों को तीन डी-डिबेट, डिस्कशन और डिसीजन पर फोकस करना चाहिए।
इसका उल्लेख करते हुए कि क्षेत्र की विधानसभाओं में केवल 20 महिला विधायक थी जो कुल 498 की केवल चार प्रतिशत हैं, श्री नायडू ने कहा कि ‘क्षेत्र में विधि निर्माण में अधिक से अधिक महिला सदस्यों को शामिल करने की आवश्यकता है। संसद में भी केवल 11 प्रतिशत ही महिलाएं हैं।’
यह देखते हुए कि पूर्वोत्तर क्षेत्र के 17 राज्य और क्षेत्रीय दलों में से 12 सत्ता में हैं, उपराष्ट्रपति ने कहा ‘लगभग पांच करोड़ की जनसंख्या वाले इस क्षेत्र के शासन में राष्ट्रीय दलों के साथ राज्य स्तरीय दलों की बड़ी भागीदारी राष्ट्रीय महत्वकांक्षाओं के साथ स्थानीय आकांक्षाओं के संयोजन का एक वक्तव्य है। इसका नतीजा उन परिणामों के रूप में आना चाहिए जो क्षेत्र और राष्ट्र के हितों को और आगे बढ़ाते हैं।’
उन्होंने राज्य सरकारों द्वारा 29 विषयों को स्थानांतरित करने तथा संविधान के प्रावधानों के अनुसार स्थानीय निकायों को तीन एफ- फंक्शन, फंड और फंक्शनरी को हस्तांतरित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
इस बात पर जोर देते हुए कि वर्तमान दशक चूके हुए अवसरों और समय को अर्जित करने के लिए इस क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण हैं, श्री नायडू ने केन्द्रित कार्रवाई के लिए एक 15 सूत्रीय रूपरेखा का सुझाव दिया। इनमें शामिल हैं सभी जातीय समूह साझा नियति की भावना से दिशा-निर्देशित हों; अंतर्राज्यीय सीमा विवादों का समाधन; अराजकता और हिंसा के अवशेषों को समाप्त करना; निजी निवेशों को बढ़ावा देना; विकास और लोकतांत्रिक भावना में आ चुकी कमी को दूर करना। उत्पादक आर्थिक गतिविधियों और परिसंपत्ति निर्माण को बढ़ावा देने के माध्यम से आत्मनिर्भरता को लक्षित करना तथा कुशल संसाधन उपयोग के लिए उत्तरदायित्व और पादर्शिता सुनिश्चित करने वाला प्रभावी शासन; नीतियों और परियोजनाओं के निर्माण एवं निष्पादन, उद्यमिता और कौशल विकास, सतत विकास आदि में समुदायों की भागीदारी शामिल हैं।
उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि भारत हमेशा से एक शांतिप्रिय देश रहा है और उसने कभी किसी अन्य देश पर हमला नहीं किया। भारत ने भी कभी किसी विस्तारवादी महत्वाकांक्षा को पोषित नहीं किया। अरुणाचल प्रदेश से अंडमान तक और कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत एक देश है और इसकी एकता और अखंडता से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। भारत भी अपने मामलों में बाहरी दखल को बर्दाश्त नहीं करेगा।
राज्य की प्रगति के लिए अरुणाचल प्रदेश सरकार, विधायकों तथा अन्य हितधारकों को बधाई देते हुए श्री नायडू ने नवजात मृत्युदर, माध्यमिक स्तर पर छात्रों द्वारा पढ़ाई छोड़ने, लिंग अनुपात, साक्षरता और सड़क नेटवर्क से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए केन्द्रित प्रयासों की अपील की। उन्होंने प्रत्येक व्यक्ति से गरीबी मुक्त, निरक्षरता मुक्त, भ्रष्टाचार मुक्त तथा भेदभाव मुक्त भारत की दिशा में कार्य करने की अपील की।
The Vice President inaugurating the Arunachal Pradesh Legislative Assembly Library, Dorjee Khandu Auditorium, and a Paper Recycling Unit at Arunachal Pradesh Legislative Assembly in Itanagar today. pic.twitter.com/DAKuKs66gr
श्री नायडू ने अरुणाचल प्रदेश विधानसभा पुस्तकालय, पेपर रिसाइक्लिंग यूनिट तथा दोरजी खांडू सभागार का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि ‘ये निश्चित रूप से इस प्रभावशाली विधानसभा भवन की शोभा और बढाएंगे।’
उपराष्ट्रपति ने अरुणाचल प्रदेश विधानसभा को पूर्वोत्तर क्षेत्र में ई-विधान प्रणाली शुरू करने वाला पहला तथा ई-विधान प्रणाली शुरू करने वाला देश में तीसरा विधानमंडल होने पर बधाई दी।
यह देखते हुए कि अरुणाचल प्रदेश में बहुत शक्ति है, उपराष्ट्रपति ने कहा कि पूरा देश आज अरुणाचल प्रदेश को उसकी क्षमता और उसके लोगों की उपलब्धियों के कारण नई दिलचस्पी के साथ देख रहा है। उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश में अपने प्राकृतिक संसाधनों के कारण भारत की फलों की टोकरी बनने की क्षमता है। अपने आकर्षक परिदृश्य के कारण यह एक वैश्विक पर्यटन स्थल बन सकता है।
इस अवसर पर अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल ब्रिगेडियर (डॉ.) बी डी मिश्रा (सेवानिवृत), मुख्यमंत्री श्री पेमा खांडू, अरुणाचल विधानसभा के अध्यक्ष श्री पासंग दोरजी सोना, मंत्री और विधायक भी उपस्थित थे।
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