प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में कृषि क्षेत्र का स्वर्णिम समय-डॉ जितेन्द्र सिंह

विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री(स्वतंत्र प्रभार)और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं प्रधानमंत्री कार्यालय; कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन; परमाणु ऊर्जा विभाग और अंतरिक्ष विभाग राज्यमंत्री डॉ.जितेन्द्र सिंह ने आज कहा कि मोदी सरकार कृषि स्टार्ट-अप को विशेष प्रोत्साहन दे रही है। उन्होंने कहा कि, यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अंतर्गत भारत में कृषि का स्वर्णिम काल है और उनके नेतृत्व में कृषि में तकनीकी हस्तक्षेप, अनुसंधान और नवाचार 2022 तक किसान की आय को दोगुना कर देगा।

मंत्री महोदय ने शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एसकेयूएएसटी) जम्मू में मुख्य अतिथि के रूप में 5 दिवसीय उत्तर भारत क्षेत्रीय कृषि मेला 2021 के समापन समारोह में भाग लेते हुए यह बात कही ।

इस अवसर पर अपने सम्बोधन में डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी भारत में कृषि विकास के प्रति गंभीर हैं जिसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि जल शक्ति और कौशल विकास और उद्यमिता जैसे दो नए मंत्रालय केवल कृषि को बढ़ावा देने और 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के लिए  ही बनाए गए हैं। उन्होंने आगे उल्लेख किया कि इसकी एक महत्वपूर्ण कड़ी भूजल प्रबंधन के लिए हाल ही में शुरू की गई ‘हेली-बोर्न सर्वे टेक्नोलॉजी’ और पीने और कृषि उद्देश्यों के लिए शुष्क क्षेत्रों में भूजल संसाधनों का मानचित्रण करना है।

डॉ जितेन्द्र सिंह ने कहा कि वर्तमान सरकार के अंतर्गत भारत में कृषि और कृषि उत्पादन में क्रांतिकारी बदलाव आया है जो कि मृदा स्वास्थ्य कार्ड, नीम लेपित यूरिया, पीएम फसल बीमा योजना जैसी किसानों के कल्याण के लिए सरकार द्वारा शुरू की गई विभिन्न पहलों से स्पष्ट है। पीएम किसान सम्मान, ई-नाम, पीएम किसान मानधन योजना ने न केवल कृषि क्षेत्र को आर्थिक और साधन संपन्न बनाया है बल्कि किसानों को वो सम्मान भी दिया है जो इससे पहले था ही नहींI

कृषि और नवाचार के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर में की गई विकास पहलों को  गिनाते हुए डॉ सिंह ने कहा कि उत्तर भारत के पहले जैव प्रौद्योगिकी पार्क की स्थापना, कठुआ में दो उच्च बीज प्रसंस्करण संयंत्र तथा भारत के पहले अरोमा मिशन का शुभारंभ जम्मू में कृषि में विकास के  अवसर और नवाचार के नए रास्ते खोलेगा।

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इस अवसर पर उपस्थित किसानों से बात करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि कोई भी किसान अब अपनी क्षमता और संसाधनों के आधार पर तालमेल बैठाने के लिए विभिन्न प्रकार की गतिविधियों से स्वयम को संलग्न कर सकता है क्योंकि अब सुस्ती से काम करना समाप्त हो गया है। श्री सिंह ने कहा कि वह किसान को हर तरह से सुविधा प्रदान करना सरकार की जिम्मेदारी है और वर्तमान सरकार बिना किसी प्रकार का समझौता किए ऐसा ही कर रही है।

विभिन्न नवोन्मेषी कृषि पद्धतियों में शामिल उद्यमियों और लाखों में कमाई कर रहे वाले उद्यमियों का उदाहरण देते हुए, डॉ. सिंह ने कार्यक्रम में उपस्थित छात्रों से नौकरी चाहने वाले न बनकर नौकरी देने वाले एवं स्टार्ट-अप के माध्यम से कृषि टेक्नोक्रेट बनने और अभिनव भारत के वास्तुकार बनने पर जोर दिया। क्योंकि भारत में कृषि अब 19वीं सदी वाली पारंपरिक खेती नहीं रह गई है।

डॉ जितेंद्र सिंह ने शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एसकेयूएएसटी) प्रशासन से अपने मंत्रालय की पहल पर भारत की आजादी के 75वें वर्ष पर इस विश्वविद्यालय से 75 कृषि स्टार्टअप को बढ़ावा देने का आग्रह किया जो विज्ञान में 75 युवा स्टार्ट-अप, 75 महिला स्टार्ट-अप के रूप में स्टार्ट-अप को बढ़ावा देने के साथ ही है। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति को समर्पित 75 एसआईटी हब्स को भी बढ़ावा दे रहा है I

मंत्री महोदय ने  उच्च भूमि औषधि संस्थान (इंस्टीट्यूट ऑफ हाई एल्टीट्यूड मेडिसिन), भारतीय समवेत औषध संस्थान (आईआईआईएम) और शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एसकेयूएएसटी) के एकीकरण पर भी जोर दिया, जो समग्र परिणामों के लिए संस्थान आधारित परियोजनाओं पर नहीं बल्कि विषय आधारित परियोजनाओं पर काम करना चाहिए और इसमें कोई ओवरलैपिंग नहीं होनी चाहिए।

मंत्री महोदय ने यह भी कहा कि छात्र आदान-प्रदान कार्यक्रमों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए क्योंकि भारत सर्वोत्तम वैज्ञानिक और तकनीकी संस्थानों से समृद्ध है जैसे कि दिल्ली में राष्ट्रीय पादप जीनोम अनुसंधान संस्थान  (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लांट जीनोम रिसर्च-एनआईपीजीआर) और इस क्षेत्र में शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एसकेयूएएसटी) के छात्र वहां उपलब्ध सर्वोत्तम तकनीक के कारण बेहतर प्रदर्शन और अनुसंधान अंतर्ज्ञान के लिए इन संस्थानों का दौरा कर सकते हैं।

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मंत्री महोदय ने आगे कहा कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बासमती चावल, राजमा या अन्य उत्पादों पर हमारे उत्पादों के प्रचार के लिए सर्वश्रेष्ठ मेधा प्राप्त करने के लिए स्टार्ट-अप के लिए सक्रिय पहुँच बनाना समय की मांग है।

उत्पादों और स्टार्ट-अप को बढ़ावा देने के लिए, मंत्री ने नवीनतम तकनीक और सोशल मीडिया के उछाल के साथ एक व्यापक मीडिया स्पेस के निर्माण पर जोर दिया ताकि स्थानीय उत्पादों और स्टार्ट-अप को बढ़ावा दिया जा सके।

अपने संबोधन के दौरान, मंत्री ने स्थायी कृषि पद्धतियों और जैविक खेती पर भी जोर दिया जिसे वर्तमान सरकार द्वारा बढ़ावा दिया जा रहा है।

अपनी यात्रा के दौरान मंत्री ने विभागीय (फैकल्टी) क्लब, मुख्य परिसर की आधारशिला रखी और स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी, शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एसकेयूएएसटी), जम्मू के जैव प्रौद्योगिकी विद्यालय (स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी) में एक पादप ऊतक सम्वर्धन (प्लांट टिशू कल्चर) प्रयोगशाला का उद्घाटन करने के साथ एक औषधीय उद्यान/हर्बल गार्डन (संजीवनी तपोवन) का शुभारम्भ करने के अलावा पारम्परिक पौधारोपण तथा बासमती उत्पादकों और मधुमक्खी पालकों के सम्मेलन का भी उद्घाटन किया। समापन समारोह के दौरान मंत्री महोदय ने विश्व बैंक-भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर द्वारा) वित्त पोषित आईडीपी परियोजना का भी अनावरण किया।

प्रोफेसर जे पी शर्मा, कुलपति, एसकेयूएएसटी, जम्मू ने अपने संबोधन में कहा कि कृषि मेला केवल केंद्र सरकार के समर्थन से संभव हुआ है जिसमें उत्तरी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के किसानों और स्टार्ट-अप ने बढ़-चढ़कर भाग लिया है। उन्होंने आगे कहा कि जम्मू-कश्मीर में विशेष कृषि प्रगतिशील किसानों के लिए नए अवसर खोलेगी और स्टार्ट-अप का मार्ग प्रशस्त करेगी।

भारत सरकार के कृषि आयुक्त डॉ एस के मल्होत्रा, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), नई दिल्ली में उप-महानिदेशक (डीडीजी) शिक्षा डॉ आर सी अग्रवाल, भारतीय किसान संघ (बीकेएस) के संगठन सचिव श्री दिनेश कुलकर्णी,जम्मू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर मनोज के धर एवं वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर)-भारतीय समवेत औषध संस्थान (आईआईआईएम) के निदेशक डॉ रेड्डी भी इस समापन समारोह में शामिल हुए ।

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