केन्द्रीय वस्त्र मंत्री श्री पीयूष गोयल और वस्त्र राज्यमंत्री श्रीमती दर्शना विक्रम जरदोश ने वस्त्र मंत्रालय द्वारा आयोजित पांचवीं अंतर मंत्रालयी संचालन समिति (आईएमएससी) की बैठक में विभिन्न मंत्रालयों, विभागों, वस्त्र उद्योग से जुड़े संघों और बैंकों आदि के साथ संशोधित प्रौद्योगिकी उन्नयन निधि योजना (एटीयूएफएस) की समीक्षा की। उन्होंने व्यापार को आसान बनाकर, निर्यात को सहारा प्रदान कर और रोजगार को बढ़ावा देकर भारतीय वस्त्र उद्योग को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से संशोधित प्रौद्योगिकी उन्नयन निधि योजना की समीक्षा की। इस योजना के कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने की दृष्टि से अंतर मंत्रालयी संचालन समिति (आईएमएससी) की त्रैमासिक बैठक के आयोजन के लिए समय-सीमा तय करने के अलावा, लंबित मुद्दों को हल करने और आगे की राह के संबंध में किए गए कुछ महत्वपूर्ण निर्णयों में शामिल हैं:
स्वीकार करके अनुपालन संबंधी बोझ में कमी लाना
मामलों के अलावा 1795 लंबित मामलों को यूआईडी से संबंधित विवरण वस्त्र आयुक्त /
आईटीयूएफएस के कार्यालय में 90 दिनों (यानी, उत्पादन इकाइयों और बैंकों के लिए कुल अवधि)
के भीतर जमा करने की समय सीमा में छूट प्रदान करके वस्त्र उद्योग को सुविधा प्रदान करना
इकाईयों के अलावा 814 इकाइयों को जेआईटी संबंधी अनुरोध जमा करने में छूट
वस्त्र मंत्रालय संयुक्त निरीक्षण को सब्सिडी समर्थन के आकार से जोड़ने के लिए एक संतुलित दृष्टिकोण का उपयोग करके संयुक्त निरीक्षण से जुड़ी प्रक्रिया को सरल करेगा, जोकि मौजूदा शत प्रतिशत के बजाय 50 लाख रुपये से कम वाले वर्ग पर बोझ को कम करेगा।
सचिव (वस्त्र) और वस्त्र आयुक्त मशीनरी निर्माताओं और सहायक उपकरण / स्पेयर पार्ट्स निर्माताओं को सूचीबद्ध करने की प्रक्रिया के सरलीकरण के तौर-तरीकों पर विचार करेंगे।
इस अवसर पर बोलते हुए, श्री पीयूष गोयल ने कहा कि कोविड -19 महामारी के दौरान आने वाली बाधाओं के बावजूद, वस्त्र मंत्रालय और वस्त्र आयुक्त कार्यालय ने नीतिगत बाधाओं को दूर करने तथा दावों के निपटारे की दिशा में गंभीर प्रयास किए हैं। उन्होंने बताया कि बैंक गारंटी के बरक्स आंशिक सब्सिडी जारी करने का एक विकल्प पेश करके वस्त्र उद्योग में तरलता प्रवाह को कम करने की दिशा में एक विशेष उपाय किया गया।
उन्होंने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि एटीयूएफएस की स्थापना के बाद से इसके तहत निपटाए गए कुल दावों में से लगभग 61 प्रतिशत दावों का निपटारा महामारी की अवधि यानी वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान किया गया है। केन्द्रीय मंत्री ने यह भी सुझाव दिया कि वस्त्र मंत्रालय और वस्त्र आयुक्त को भौतिक सत्यापन से संबंधित तंत्र के स्थान पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से स्वचालित सत्यापन की दिशा में काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मौजूदा भौतिक निरीक्षण के स्थान पर इकाइयों द्वारा मशीनरी के स्वप्रमाणन तथा वस्त्र आयुक्त के कार्यालय द्वारा आकस्मिक सत्यापन के प्रावधान पर विचार किया जा सकता है।
एटीयूएफएस की पृष्ठभूमि
वस्त्र मंत्रालय ने भारतीय वस्त्र उद्योग के आधुनिकीकरण एवं उससे संबंधित प्रौद्योगिकी के उन्नयन, व्यापार को आसान बनाने, रोजगार पैदा करने और निर्यात को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी योजना के रूप में 1999 में प्रौद्योगिकी उन्नयन निधि योजना (टीयूएफएस) की शुरुआत की थी। तब से, इस योजना को विभिन्न संस्करणों में लागू किया गया है।
वर्तमान में चल रहे एटीयूएफएस को 2016 में अनुमोदित किया गया है और वेब आधारित आईटीयूएफएस प्लेटफॉर्म के माध्यम से लागू किया गया है। भौतिक सत्यापन के बाद वस्त्र उद्योग द्वारा स्थापित चिन्हित मशीनरी को पूंजी निवेश से संबंधित सब्सिडी प्रदान की जाती है।
एटीयूएफएस को 2015-16 से लेकर 2021-22 की अवधि के लिए 17,822 करोड़ रुपये के आवंटन (टीयूएफएस के पिछले संस्करणों की प्रतिबद्ध देयता के लिए 12,671 करोड़ रुपये और एटीयूएफएस के तहत नए मामलों के लिए 5151 करोड़ रुपये) के साथ अनुमोदित किया गया था।
इस योजना को तकनीकी सलाहकार-सह-निगरानी समिति (टीएएमसी) और अंतर-मंत्रालयी संचालन समिति (आईएमएससी) द्वारा दो चरणों वाले निगरानी तंत्र के साथ प्रशासित किया जा रहा है। एटीयूएफएस को एक वेब आधारित प्लेटफॉर्म, आईटीयूएफएस, के माध्यम से कार्यान्वित किया जाता है।
वर्ष 2018 में इस योजना के दिशा-निर्देशों में किए गए संशोधन तथा इससे संबंधित प्रक्रियाओं को और सुव्यवस्थित करने की कवायद ने इस योजना के तहत सब्सिडी प्राप्त करने की प्रक्रिया को सरल बनाया है।
वर्ष 2019 में, अंतर मंत्रालयी संचालन समिति (आईएमएससी) ने इस योजना के पिछले संस्करणों (एमटीयूएफएस, आरटीयूएफएस एवं आरआरटीयूएफएस) के तहत प्रतिबद्ध देयता जारी करने से पहले मशीनरी का भौतिक सत्यापन और सब्सिडी की गणना शुरू करने का निर्णय लिया।
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एमजी / एएम / आर /वाईबी