प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज आसियान के वर्तमान अध्यक्ष ब्रुनेई के महामहिम सुल्तान हाजी हसनअल बोल्किया के निमंत्रण पर 18वें भारत-आसियान शिखर सम्मेलन में भाग लिया। यह शिखर सम्मेलन वर्चुअल ढंग से आयोजित किया गया और इसमें आसियान के सदस्य देशों के राजनेताओं ने भाग लिया।
भारत-आसियान साझेदारी की 30वीं वर्षगांठ की उल्लेखनीय उपलब्धि पर प्रकाश डालते हुए इन सभी राजनेताओं ने वर्ष 2022 को ‘भारत-आसियान मैत्री वर्ष’ के रूप में घोषित किया। प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की ‘एक्ट ईस्ट नीति’ और व्यापक हिंद-प्रशांत विजन के लिए भारत के विजन में आसियान की केंद्रीय भूमिका को रेखांकित किया। हिंद-प्रशांत के लिए आसियान आउटलुक (एओआईपी) और भारत की हिंद-प्रशांत महासागर पहल (आईपीओआई) के बीच सामंजस्य पर पूरा भरोसा करते हुए प्रधानमंत्री मोदी और आसियान के राजनेताओं ने इस क्षेत्र में शांति, स्थिरता एवं समृद्धि के लिए सहयोग पर ‘भारत-आसियान संयुक्त वक्तव्य’ का अनुमोदन किए जाने का स्वागत किया।
कोविड-19 का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने इस क्षेत्र में महामारी के खिलाफ लड़ाई में भारत के अथक प्रयासों पर प्रकाश डाला और इसके साथ ही इस दिशा में आसियान की पहलों के लिए आवश्यक सहयोग देने की बात भी दोहराई। भारत ने म्यांमार के लिए आसियान की मानवीय पहल हेतु 200,000 अमेरिकी डॉलर और आसियान के कोविड-19 रिस्पांस फंड के लिए 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य की चिकित्सा सामग्री का योगदान दिया है।
इन राजनेताओं ने भौतिक, डिजिटल और एक-दूसरे देश के लोगों के बीच पारस्परिक जुड़ाव सहित व्यापक रूप से भारत-आसियान जुड़ाव बढ़ाने पर अपने-अपने विचारों का आदान-प्रदान किया। भारत-आसियान सांस्कृतिक जुड़ाव को और भी अधिक मजबूत करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने आसियान सांस्कृतिक धरोहर सूची तैयार करने के लिए भारत की ओर से आवश्यक सहयोग देने की घोषणा की। व्यापार और निवेश के मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी ने कोविड के बाद आर्थिक रिकवरी सुनिश्चित करने के लिए आपूर्ति श्रृंखलाओं के विविधीकरण एवं सुदृढ़ता के महत्व के साथ-साथ इस संबंध में भारत-आसियान एफटीए को बेहतर बनाने की आवश्यकता को भी रेखांकित किया।
आसियान देशों के राजनेताओं ने विशेष रूप से वर्तमान कोविड-19 महामारी के दौरान टीके की आपूर्ति के जरिए इस क्षेत्र में एक विश्वसनीय साझेदार के रूप में भारत की भूमिका की सराहना की। इन राजनेताओं ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आसियान की केंद्रीय भूमिका को भारत की ओर से आवश्यक समर्थन दिए जाने का भी स्वागत किया और इसके साथ ही ये समस्त राजनेता संयुक्त वक्तव्य के माध्यम से इस क्षेत्र में भारत-आसियान सहयोग को और भी अधिक बढ़ाए जाने की आशा की।
इन चर्चाओं में दक्षिण चीन सागर और आतंकवाद सहित साझा हित एवं गंभीर चिंता वाले क्षेत्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों को भी शामिल किया गया। दोनों ही पक्षों ने इस क्षेत्र में एक नियम-आधारित व्यवस्था को बढ़ावा देने के महत्व को रेखांकित किया, जिसमें अंतरराष्ट्रीय कानून, विशेष रूप से ‘यूएनसीएलओएस’ का पालन करना भी शामिल है। इन राजनेताओं ने दक्षिण चीन सागर में शांति, स्थिरता, सुरक्षा एवं हिफाजत को बनाए रखने व बढ़ावा देने, और नौवहन एवं किसी विशेष क्षेत्र के ऊपर विमान उड़ाने की आजादी सुनिश्चित करने के विशेष महत्व की पुष्टि की।
भारत और आसियान के बीच व्यापक, मजबूत एवं बहुआयामी संबंध हैं और 18वें भारत-आसियान शिखर सम्मेलन ने इस संबंध के विभिन्न पहलुओं की समीक्षा करने और उच्चतम स्तर पर भारत-आसियान सामरिक साझेदारी के भविष्य को नई दिशा देने का अवसर प्रदान किया।
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एमजी/एएम/आरआरएस/डीए