अलग अलग रियासतों को भारत में जोड़ने के साथ ही देश का एक और भाग ऐसा था जिसपर किसी का ध्यान नहीं गया था, वो था ‘लक्षद्वीप’, सरदार पटेल ने भारतीय नौसेना को सही समय पर ‘लक्षद्वीप’ भेज कर उसे भारत का अभिन्न अंग बनाया
सरदार साहब ने आज़ादी के बाद भारत को एक करने का काम किया, लेकिन दुर्भाग्यवश सरदार साहब को भुलाने का प्रयास किया गया
आज़ादी के बाद उनके योगदान को उचित सम्मान और स्थान कभी नहीं मिला, ना उन्हें भारत रत्न दिया गया और ना उन्हें उचित सम्मान दिया गया
ये स्टेच्यू ऑफ़ यूनिटी पूरी दुनिया को संदेश है कि भारत की एकता को कोई तोड़ नहीं सकता, भारत की अखंडता को कोई विक्षत नहीं कर सकता और भारत के सार्वभौमत्व के साथ कोई छेड़खानी नहीं कर सकता
देशभर के किसानों के कृषि में उपयोग होने वाले औज़ारों का लोहा इकट्ठा करके श्री नरेन्द्र मोदी ने सरदार साहब की एक बहुत बड़ी प्रतिमा बनाने की कल्पना की
इस प्रतिमा में लगा लोहा देशभर के करोड़ों किसानों के हल या अन्य कृषि औज़ार को पिघलाकर बनाया गया लोहा है और ये सरदार साहब को सच्ची श्रद्धांजलि है
इस स्टेच्यू ऑफ़ यूनिटी का निर्माण सिर्फ़ 46 महीनों में पूरा किया गया है
मैं इसका वर्णन देश के युवाओं के लिए इसलिए करता हूँ कि वे हमारे देश की एकता के इस तीर्थ स्थल का एक बार दौरा जरूर करें, यहां से जो चेतना और ऊर्जा प्राप्त होगी वह आने वाले जीवन में देश के लिए काम करने की प्रेरणा देगी
देश को प्राप्त की गई सिद्धियों का गुणगान करना है मगर साथ ही 100 साल बाद देश कहां खड़ा होगा इसकी संकल्पना और संकल्प भी आज की पीढ़ी को लेनी है
7 साल के अंदर एक अलग प्रकार के भारत, जिसकी कल्पना सरदार पटेल ने की थी ऐसे भारत के निर्माण की आशा देश के 130 करोड़ लोगों और विशेषकर देश के 60 करोड़ गरीबों के मन में जागृत की है
आज राष्ट्रीय एकता के दिवस जो आजादी के अमृत महोत्सव के वर्ष में आया है, उस दिन हम सब संकल्प लें कि हम अपना पूरा जीवन सरदार पटेल के बताए रास्ते पर चलकर इस देश को मजबूत और सरदार पटेल के सपनों का देश बनाएंगे
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह आज सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय एकता दिवस पर गुजरात के केवडिया में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। उन्होंने देश के पहले गृह मंत्री और लौह पुरूष के नाम से प्रसिद्ध सरदार पटेल की स्टेच्यू ऑफ़ यूनिटी पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। विदेश दौरे पर होने के कारण इस मौक़े पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का वीडियो संदेश प्रसारित किया गया।
इस अवसर पर अपने संबोधन में केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि जो परंपरा देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने शुरू की है, हमारे देश के पहले गृह मंत्री और लौह पुरूष सरदार वल्लभभाई पटेल के जन्मदिन को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाने की, आज उसे हम आगे बढ़ा रहे हैं। श्री शाह ने कहा कि आज इस राष्ट्रीय एकता दिवस का एक अलग महत्व भी है क्योंकि ये राष्ट्रीय एकता दिवस आज़ादी का अमृत महोत्सव का दिन भी है। आज़ादी के अमृत महोत्सव के दौरान आने वाला ये राष्ट्रीय एकता दिवस हम सबके लिए विशेष महत्व रखता है क्योंकि सरदार साहब ने आज़ादी के बाद, जब अंग्रेज़ों ने देश के टुकड़े करने का षड्यंत्र किया था, भारत, पाकिस्तान और 550 से ज़्यादा रियासतों को अलग कर देश को खंड-खंड करने की योजना थी, उसे विफल करते हुए एक अखंड भारत बनाने का संकल्प लिया था।
श्री अमित शाह ने कहा कि देश की आज़ादी के 75 वर्ष हो रहे हैं और उस वक्त देश के प्रधानमंत्री जी ने आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाने का निर्णय लिया। आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाने के लिए एक ओर तो 15 अगस्त 1947 से लेकर आज तक हमारे सामने कई उपलब्धियां, सिद्धियां, संघर्ष और बलिदान हैं और उन्हें लेकर देश कैसे आगे बढ़े उसका संकल्प करना है। दूसरी ओर, 1857 से लेकर 1947 तक आज़ादी का हमारा संघर्ष रहा, अनेक प्रकार की आज़ादी की लड़ाईयां लड़ी गईं, कई लोगों ने अपना सर्वस्व न्यौछावर किया, ऐसे जाने अनजाने सभी स्वतंत्रतासेनानियों को श्रद्धांजलि भी देनी है, उन्हें याद भी करना है और उनके बलिदानी जज़्बे से प्रेरणा लेकर बच्चों और युवा पीढ़ी को आगे देश के निर्माण में लगाना है, इसीलिए आज इस राष्ट्रीय एकता दिवस का अनूठा महत्व है। उन्होंने कहा कि आज सरदार पटेल की जन्मजयंती है और मैं आज सबको बताना चाहता हूं कि सदियों में कभी कोई एक ही सरदार बन पाता है और वो एक सरदार सदियों तक अलख जगाता है। सरदार साहब की दी हुई प्रेरणा ने ही इस देश को एक और अक्षुण्ण रखने का काम किया है और उनकी प्रेरणा देश को आगे ले जाने के लिए हमें एकजुट रखने में सफल हो रही है।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि केवडिया सिर्फ़ एक जगह का नाम नहीं है, ये एक तीर्थस्थान बन गया है, राष्ट्रीय एकात्मता और राष्ट्रधर्म का तीर्थस्थान, देशभक्ति का तीर्थस्थल और ये आसमान छूती सरदार साहब की प्रतिमा आज पूरी दुनिया को संदेश दे रही है कि भारत का भविष्य उज्जवल है, भारत की एकता और अखंडता को कोई क्षत-विक्षत नहीं कर सकता।
श्री अमित शाह ने कहा कि सरदार साहब का जीवन हम सबके लिए, विशेषकर बच्चों और युवाओं के लिए प्रेरणादायी है। सरदार साहब एक ग़रीब किसान के घर में जन्म लेने के बाद बैरिस्टर तक की पढ़ाई करके अपना करियर छोड़कर गांधी जी के आह्वान पर आज़ादी के आंदोलन से जुड़े। जब देश आज़ाद हुआ तब अंग्रेज़ देश के सामने कई प्रकार के संकट छोड़कर गए। एक ओर विभाजन का संकट था, नई शासन प्रणाली को बनाने का सवाल था, नया संविधान बनना था और सबसे बड़ा संकट था 500 से ज़्यादा रियासतों का भारत संघ में समावेश करना। लेकिन सरदार साहब ने निर्बल होती सेहत के बावजूद ये काम पूरा किया और जो लोग सोचते थे कि आज़ाद भारत खंड-खंड होकर बिखर जाएगा, उनके इरादों पर पानी फेरते हुए सरदार पटेल ने एक अखंड भारत का निर्माण किया। सरदार साहब का जीवन, उनका व्यक्तित्व हम सबको सदैव प्रेरणा और मार्गदर्शन देते हैं। सरदार साहब ही थे जिन्होंने आज़ादी के आंदोलन में किसानों की आवाज़ बुलंद की, सहकारिता की नींव डाली और अंग्रेज़ों के सामने आज़ादी के आंदोलन के व्यावहारिक पक्ष का नेतृत्व हमेशा किया। वे किसी भी बात को बेबाक़ तरीक़े से रखने में झिझकते नहीं थे। आज जो हम भारत माता का अखंड स्वरूप देख रहे हैं वो केवल और केवल सरदार साहब के कार्यों का ही नतीजा है।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि जब सारे राजे-रजवाड़ों का भारतीय संघ में विलय करना था तब सरदार साहब की तबीयत ठीक नहीं चल रही थी। सुबह 5 बजे से रात 11 बजे तक बैठकें होती थी। देश के अलग अलग हिस्सों को भारत के साथ जोड़ने का काम सरदार साहब ने किया। अलग अलग रियासतों को भारत में जोड़ने के साथ ही देश का एक और भाग ऐसा था जिसपर किसी का ध्यान नहीं गया था, वो था ‘लक्षद्वीप’, सरदार पटेल ने भारत की नौसेना को सही समय पर ‘लक्षद्वीप’ भेज कर उसे भारत का अभिन्न अंग बनाया
श्री अमित शाह ने कहा कि सरदार साहब ने आज़ादी के बाद भारत को एक करने का काम किया। लेकिन दुर्भाग्यवश सरदार साहब को भुलाने का प्रयास किया गया। आज़ादी के बाद उनके योगदान को उचित सम्मान और स्थान कभी नहीं मिला। ना उन्हें भारत रत्न दिया गया और ना उन्हें उचित सम्मान दिया गया। लेकिन सूर्य को भला कितनी देर बादल ढककर रख सकते हैं। परिस्थितियां बदलीं, देश बदला और आज सरदार साहब को भारत रत्न भी मिला है और विश्व की सबसे ऊंची सरदार साहब की प्रतिमा हम सबके सामने है। ये स्टेच्यू ऑफ़ यूनिटी पूरी दुनिया को संदेश है कि भारत की एकता को कोई तोड़ नहीं सकता, भारत की अखंडता को कोई विक्षत नहीं कर सकता और भारत के सार्वभौमत्व के साथ कोई छेड़खानी नहीं कर सकता और इसका प्रतीक ये स्टेच्यू ऑफ़ यूनिटी है। 182 मीटर ऊंची स्टेच्यू ऑफ़ यूनिटी की ऊंचाई स्टेच्यू ऑफ़ लिबर्टी से लगभग दोगुनी है। इस प्रतिमा का शुभारंभ जब हमारे प्रधानमंत्री और तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने किया था तब उन्होंने कहा था कि स्टेच्यू ऑफ़ यूनिटी का निर्माण सरदार साहब के काम करने के तरीक़ों के अनुरूप होगा। पूरा जीवन उन्होंने किसानों की आवाज़ बुलंद करने में लगाया, अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ कई सारे किसानों के अधिकारों के सत्याग्रह के आंदोलन किए, बारडोली सत्याग्रह के कारण ही उन्हें सरदार की उपमा मिली थी। देशभर के किसानों के कृषि में उपयोग होने वाले औज़ारों का लोहा इकट्ठा करके श्री नरेन्द्र मोदी ने सरदार साहब की एक बहुत बड़ी प्रतिमा बनाने की कल्पना की। इस प्रतिमा में लगा लोहा देशभर के करोड़ों किसानों के हल या किसी अन्य कृषि औज़ार को पिघलाकर बनाया गया लोहा है और ये सरदार साहब को सच्ची श्रद्धांजलि है।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि 135 मीटर ऊंचाई पर एक दर्शक दीर्घा है जिसमें 200 लोग बैठकर ये विहंगम दृश्य देख सकते हैं। इस स्टेच्यू ऑफ़ यूनिटी का निर्माण सिर्फ़ 46 महीनों में पूरा किया गया है। इसमें 70 हज़ार मीट्रिक टन सीमेंट का उपयोग हुआ है, 6 हज़ार मीट्रिक टन स्ट्रक्चरल स्टील और 18 हज़ार 500 मीट्रिक टन रिएनफ़ोर्समेंट बार का इस्तेमाल हुआ है।
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि स्टेच्यू ऑफ यूनिटी सरदार सरोवर बांध से 3.5 किलोमीटर की दूरी पर एक खूबसूरत स्थान पर बनाई गई है। मैं इसका वर्णन देश के युवाओं के लिए इसलिए करता हूँ कि वे हमारे देश की एकता के इस तीर्थ स्थल का एक बार दौरा जरूर करें। यहां से जो चेतना और ऊर्जा प्राप्त होगी वह आने वाले जीवन में देश के लिए काम करने की प्रेरणा देगी। उन्होंने कहा कि इसके उद्घाटन के 30 महीने के भीतर 50 लाख लोगों ने स्टेच्यू ऑफ यूनिटी के दर्शन किए। एक साल में स्टेच्यू ऑफ यूनिटी ने अमरीका के स्टेच्यू आफ लिबर्टी के फुट-फाल को पार कर दिया। आज यहां हर रोज़ 15 हज़ार से ज्यादा पर्यटक आते हैं और सरदार साहब को श्रद्धांजलि देते हैं। श्री अमित शाह ने कहा कि यह स्थल हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की दूरदृष्टि का परिणाम है और यहीं से आने वाली पीढ़ियां देश को अखंड रखने की प्रेरणा लेकर जाती हैं।
श्री अमित शाह ने कहा कि जब भारत में 2014 में बदलाव हुआ, मोदी जी के नेतृत्व में सरकार बनी तब 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया। उन्होंने कहा कि यह इसलिए किया गया ताकि देश की आजादी और उसके बाद राष्ट्र को अखंडित रखने के लिए सरदार पटेल ने जो संघर्ष किया वह वर्षों तक हमारी युवा पीढ़ी को प्रेरणा देता रहे। श्री शाह ने कहा कि जन सहयोग से बनी यह मूर्ति इसका प्रतीक है। हमारी एकता को प्रदर्शित करते हुए रन फॉर यूनिटी भी उसी दिन चालू होती है और सुबह सभी लोग राष्ट्रीय एकता दौड़ में शामिल होते हैं।
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव का वर्ष हम सबके लिए बहुत महत्वपूर्ण है। देश को प्राप्त सिद्धियों का गुणगान तो करना ही है मगर साथ ही 100 साल बाद देश कहां खड़ा होगा इसकी संकल्पना और संकल्प भी आज की पीढ़ी को लेनी है। श्री शाह ने कहा कि जब आज़ादी के 100 साल पूरे होंगे तब देश कहां होगा इसका निर्णय और संकल्प हमारे देश की जनता और विशेषकर आज की युवा पीढ़ी को लेना है। उन्होने कहा कि अगर देश की 130 करोड़ जनता एक-एक संकल्प लेती है और जीवनपर्यंत इसका पालन करती है तो ये देश के आगे बढ़ने के लिए बहुत बड़ा जरिया बनेगा। श्री अमित शाह ने कहा कि श्री नरेंद्र मोदी जी ने हम सबके सामने एक संकल्प रखा है, ओजस्वी-तेजस्वी, विकसित, समृद्ध, सुरक्षित, सुसंस्कृत और शिक्षित भारत का संकल्प। इस संकल्प की सिद्धि के लिए हम सबको आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष को संकल्प वर्ष के रूप में भी मनाना चाहिए। हम सबको संकल्प लेकर देश को आगे बढ़ाने के लिए जीवनभर देश के लिए काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कल्पना करिए यदि एक बच्चा संकल्प लेता है कि वह भोजन की थाली में एक भी अन्न का दाना नहीं छोड़ेगा, और 12वीं कक्षा में पढ़ने वाली बच्ची संकल्प लेती है कि पूरा जीवन ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन नहीं करूंगी तो देश का कितना अधिक फायदा होगा। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि यदि इस तरह 130 करोड़ की जनता एक-एक संकल्प ले तो 130 करोड़ संकल्पों का संपुट देश को आगे बढ़ाने के लिए निश्चित ही परिणामलक्षी होगा।
श्री शाह ने कहा कि मोदी जी ने अनेक क्षेत्रों में बदलाव किए हैं। देश की सुरक्षा, आर्थिक सुधार, देश को आत्मनिर्भर बनाने और मेक इन इंडिया समेत मोदी जी ने हर क्षेत्र में नई पहल की हैं। 7 साल के अंदर एक अलग प्रकार के भारत जिसकी कल्पना सरदार पटेल ने की थी ऐसे भारत के निर्माण की आशा देश के 130 करोड़ लोगों और विशेषकर देश के 60 करोड़ गरीबों के मन में जागृत की है। उन्होने कहा कि ये 7 साल देश के 60 करोड़ गरीबों को समर्पित रहे। मोदी जी इन 7 सालों में देश के 60 करोड़ गरीबों को भारत के आंदोलन के साथ जोड़ने का प्रयास किया है। आज़ादी के 70 साल तक देश के करोड़ों गरीब नागरिक कभी भी अपने आप को देश की विकास की प्रक्रिया के साथ जुड़ा नहीं मानते थे। मोदी जी ने 7 साल में उनके घर में बिजली, शौचालय, गैस सिलेंडर और प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना का कार्ड जैसी कई योजनाओं का लाभ पंहुचाया। प्रधानमंत्री जी ने 2022 तक हर घर में नल से शुद्ध पीने का पानी पहुंचाने का काम हाथ में लिया है। अब देश के 60 करोड़ गरीब लोगों को लगता है कि वे भी देश की विकास यात्रा का हिस्सा हैं और राष्ट्र निर्माण में वे भी अपना कुछ योगदान दे सकते हैं। यह भावना जो जगी है, 60 करोड़ गरीबों और 130 करोड़ नागरिकों को देश की विकास यात्रा और राष्ट्र की एकता और अखंडता के साथ जोड़ने का जो यज्ञ प्रधानमन्त्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने किया है, वह हमारे लौह पुरुष सरदार पटेल के स्वप्न को जरूर पूरा करेगा। एक ऐसे भारत के निर्माण करेगा जो दुनिया में भारत को उसका उचित स्थान प्रदान करेगा।
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि मोदी जी ने 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनामी, सुरक्षित भारत और नई शिक्षा नीति के माध्यम से शिक्षित भारत का लक्ष्य रखा है। साथ ही हमारी भाषाओं को गौरव दिलाने का लक्ष्य भी सामने रखा है। आज का दिन हम सबके लिए बहुत महत्वपूर्ण है। आज राष्ट्रीय एकता दिवस जो आजादी के अमृत महोत्सव के वर्ष में आया है, इस दिन हम सब संकल्प लें कि हम अपना पूरा जीवन सरदार पटेल के बताए रास्ते पर चलकर इस देश को मजबूत और सरदार पटेल के सपनों का देश बनाएंगे।
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