आखिर वही हुआ जिसका डर था,विध्वंसक हथियारों की होड़ में चीन से पीछे छूटाअमेरिका, अब जग में होगी हार

दोस्तों अमेरिका को सबसे शक्तिशाली देश माना जाता था .क्योकि अमेरिका के पास दुसरे देशो के मुकाबले काफी स्ट्रोंग हथियार मौजूद है .दुसरे देश अमेरिका से पंगे लेने से भी डरते थे .हर देश अमेरिका से दोस्ती करना चाहता था ताकि जरूरत के समय अमेरिका उनकी मदद कर सके . लेकिन अब हथियारों के मामले में अमेरिका को एक देश ने पछाड़ दिया .

हथियारों की रेस में कुछ साल पहले तक अमेरिका काफी आगे था और चीन को धौंस देता रहता था। लेकिन, अब वक्त बदल गया है और अमेरिका के शीर्ष सैन्य अधिकारी ने कहा है कि, अमेरिका की जनता को चिंतिंत होना चाहिए, क्योंकि चीन ने सैकड़ों हाइपरसोनिक मिसाइलों के परीक्षण कर लिए हैं, जबकि अमेरिका इस रेस में काफी पीछे छूट चुका है। विश्व में हाइपरसोनिक हथियारों की रेस में अमेरिका के मुकाबले चीन इतना ज्यादा आगे निकल जाएगा, ये बात अमेरिका के नीति निर्धारकों ने सपने में भी नहीं सोचा था।

हाइपरसोनिक हथियार: चीन बनाम अमेरिका

अमेरिका के दूसरे सबसे बड़े सैन्य अधिकारी ने दावा किया है कि, चीन अब तक 100 से ज्यादा हाइपरसोनिक मिसाइलों का परीक्षण कर चुका है, जबकि अमेरिका ने अभी तक 10 से भी कम ऐसे मिसाइलों का परीक्षण किया है, जो अमेरिका के लिए काफी चिंता की बात है। डिफेंस राइटर्स ग्रुप राउंडटेबल में ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के वाइस चेयरमैन जनरल जॉन हाइटेन ने कहा कि, चीन की हाइपरसोनिक मिसाइल प्रगति अमेरिका के लिए चिंता का विषय है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, हाइटेन ने कहा कि, ‘आपको इस बात से चिंतित होने की जरूरत है कि पिछले पांच वर्षों में, या शायद इससे अधिक समय में, संयुक्त राज्य अमेरिका ने नौ हाइपरसोनिक मिसाइल परीक्षण किए हैं, जबकि चीनियों ने सैकड़ों ऐसे मिसाइलों के परीक्षण किए हैं।

काफी ज्यादा पिछड़ गया अमेरिका

उन्होंने कहा कि, अमेरिका अभी तक दहाई के अंक में भी नहीं पहुंचा है, जबकि चीन सौ से ज्यादा हाइपरसोनिक मिसाइलों के परीक्षण कर चुका है। हालांकि, अमेरिकी सैन्य अधिकारी ने अमेरिका की चिंताओं को लेकर विस्तार से बात नहीं की। पिछले हफ्ते यह पता चला है कि, एक रॉकेट की लॉन्चिंग फेल होने की वजह से अमेरिकी सेना के हाइपरसोनिक हथियार प्रणाली के परीक्षण में देरी हुई है। एबीसी न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, सेना ने अलास्का के कोडिएक में अपनी सेना और नौसेना के लिए आम हाइपरसोनिक ग्लाइड बॉडी का परीक्षण निर्धारित किया था, लेकिन यह लॉन्चिंग नाकामयाब हो गई थी। लेकिन, इन सबके बीच ने परमाणु हथियारों को लेकर जाने में सक्षम एक संदिग्ध हाइपरसोनिक ऑर्बिटल मिसाइल का दूसरा परीक्षण भी कर लिया है, जिसके बारे में इसी महीने ब्रिटिश अखबार फाइनेंशियल टाइम्स ने खुलासा किया है, जिससे अमेरिका की सरकार और सैन्य अधिकारी स्तब्ध हैं।

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चीन ने अमेरिका को चौंकाया

फाइनेंशियल टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि, चीन ने इसी साल जुलाई और अगस्त के महीने में हाइपरसोनिक ग्लाइड वाहन का परीक्षण किया था, जिन्हें लांग मार्च रॉकेट के जरिए अंतरिक्ष में लॉन्च किया गया था। इस मिसाइल को चीन अंतरिक्ष से धरती के किसी भी हिस्से में कुछ सेकेंड्स के वक्त में ही हमला कर सकता है। इस रिपोर्ट के खुलासे ने अमेरिकी अधिकारियों को स्तब्ध कर दिया था। जिसको लेकर अमेरिका के दूसरे शीर्ष सैन्य अधिकारी हाइटेन ने कहा कि, चीन जिस रफ्तार से आगे बढ़ रहा है वह ‘आश्चर्यजनक’ है। उन्होंने कहा कि, ‘वे (चीन) जिस गति से आगे बढ़ रहे हैं, उस रफ्तार से वो रूस और अमेरिका से काफी आगे निकल जाएंगे, अगर हम इसे बदलने के लिए कुछ नहीं करते हैं।’

मुझे लगता है कि हमें कुछ करना होगा’

आपको बता दें कि, अमेरिका के दूसरे शीर्ष अधिकारी से पहले चीन के हाइपरसोनिक मिसाइल टेस्ट को लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन भी चिंता जाहिर कर चुके हैं। ब्लूमबर्ग टेलीविजन पर डेविड रूबेनस्टीन शो में इंटरव्यू देते हुए उन्होंने हाइपरसोनिक हथियारों को लेकर चीन के संदिग्ध परीक्षण को ‘बहुत ही चिंताजनक’ बताया। अमेरिकी सैन्य अधिकारी ने कहा कि, ”मुझे नहीं पता कि चीन के लिए ये स्पुतनिक पल है या नहीं, लेकिन हा, वो इसके काफी करीब जरूर हैं”। आपको बता दें कि, 1957 में सोवियत संघ ने स्पुतनिक सैटेलाइट को लॉन्च कर पहली बार अमेरिका को अंतरिक्ष मिशन में हरा दिया था और रूस में इसे ‘स्पुतनिक पल’ कहा जाता है। जिसपर अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि, ‘हमारा ध्यान यकीनन उसके ऊपर है’।

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चीन की सेना का खतरनाक विस्तार

इससे पहले अमेरिकी सेना के शीर्ष जनरल मार्क मिले ने चेतावनी दी थी कि, चीन की नई मिसाइल प्रणालियां उन कई चीजों में से एक है, जिसको लेकर अमेरिका को वास्तव में चिंतित होना चाहिए, क्योंकि चीन की सेना का विस्तार हो रहा है। वहीं, ब्लूमबर्ग से बात करते हुए उन्होंने कहा कि, ‘चीन की सैन्य क्षमताएं काफी ज्यादा बढ़ चुकी हैं। वे अंतरिक्ष में, साइबर में, और भूमि, समुद्र और वायु के पारंपरिक डोमेन में तेजी से विस्तार कर रहे हैं।” आपको बता दें कि, चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि, टेक्नोलॉजी के जरिए संघर्ष के दौरान दुश्मनों की आपूर्ति लाइनों को काटा जाता है और ऐसा करके पानी के अंदर अमेरिकी विमान वाहक जहाजों को हम काफी कमजोर बना देंगे।

अमेरिका बनाम रूस बनाम चीन

हथियारों की रेस में चीन, अमेरिका और रूस काफी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं और हथियारों की ये रेस पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में महाशक्तियों के बीच बढ़ते तनाव की जमीन बन रहा है। तीनों देश नई परमाणु टेक्नोलॉजी के विकास सहित अपनी सेनाओं के स्ट्राइक पॉवर को बढ़ाने का काम कर रहे हैं, ताकि वो खतरनाक तरीके से हमला कर सकें। रूस और चीन ने हाल के वर्षों में नए और ज्यादा शक्तिशाली आईसीबीएम को लॉन्च किया है, जो हजारों मील दूर लक्ष्य पर कई परमाणु हथियार से स्ट्राइक करने में सक्षम हैं।

हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी पर काम

संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस के साथ साथ इस वक्त विश्व के कम से कम पांच देश हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी पर काम कर रहे हैं। पिछले महीने उत्तर कोरिया ने भी दावा किया था कि उसने एक नव-विकसित हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया है। वहीं, रूस ने भी पिछले महीने ही जिरकोन के नाम से जानी जाने वाली हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल का परीक्षण किया है, लेकिन यह वायुमंडल से नीचे उड़ती है और पृथ्वी की कक्षा के बजाय हाइपरसोनिक गति के लिए ईंधन का उपयोग करती है। इसके साथ ही रिपोर्ट है कि, अगले कुछ सालों में भारत भी हाइपरसोनिक हथियार ब्रह्मोस-2 का परीक्षण कर सकता है।