राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, जयपुर ने राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस 2021 मनाया

दो दिवसीय कार्यक्रम में स्वस्थ जीवन के लिए सेहत और निवारक देखभाल के महत्व पर प्रकाश डाला गया

राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, जयपुर ने ‘पोषण के लिए आयुर्वेद’ थीम (विषय) के अनुरूप स्वास्थ्य और उपचार के आयुर्वेदिक सिद्धांतों को प्रोत्साहित करने के लिए दो दिवसीय कार्यक्रम की मेजबानी करके छठा राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस मनाया। कार्यक्रम की शुरुआत धनवंतरी पूजन से हुई। भारत पारंपरिक चिकित्सा का वैश्विक केंद्र बनने का प्रयास कर रहा है और आयुष के क्षेत्र में प्रगति करने के लिएदेश में राज्यों और केंद्र सरकार के बीच सहयोग बढ़ रहा है।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में अपने संबोधन मेंकेंद्रीय आयुष मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने पंचकुला, हिमाचल प्रदेश में स्थित राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान (एनआईए) के उपग्रह केंद्र के बुनियादी ढांचे के विस्तार के लिए 260 करोड़ जारी करने की घोषणा की।

केंद्रीय आयुष,पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने इस अवसर पर कहा, “आयुर्वेद आम जनता के बीच शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से रोग मुक्त, स्वस्थ और लंबे जीवन जीने की आवश्यकता और महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। स्वस्थ जीवन शैली को बनाए रखने और भारत में गैर-संचारी रोगों के बोझ को कम करने में आयुर्वेद में महत्वपूर्ण योगदान देने की क्षमता है। आयुर्वेद उपचार की ताकत के बारे में जागरूकता बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता है क्योंकि भारत में आयुर्वेद शास्त्र के अभ्यास के प्राचीन गौरवशाली इतिहास के साथ-साथ पौधों पर आधारित दवाओं के लिए एक समृद्ध संसाधन है। एनआईए की जबरदस्त उपलब्धियों को ध्यान में रखते हुए, आयुष मंत्रालय ने पंचकुला में एनआईए के बुनियादी ढांचे का विस्तार करने के लिए एनआईए को 260 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं और उम्मीद है कि एनआईए विश्व स्तर पर आयुर्वेद के अभ्यास का महिमामंडन करेगा।”

केंद्रीय आयुष, महिला और बाल कल्याण राज्य मंत्री डॉ. मुंजपारा महेंद्रभाई कालूभाई ने कहा, “कोविड महामारी ने स्वस्थ जीवन जीने के लिए सेहत और निवारक देखभाल के महत्व पर जोर दिया है। हमें दुनिया को आयुर्वेद की जबरदस्त क्षमता दिखाने पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। आज दुनिया के कई देश भी इलाज और इलाज के लिए आयुर्वेद की ओर देख रहे हैं। वर्तमान पीढ़ी को रोग मुक्त, स्वस्थ जीवन शैली जीने के लिए आहार के आयुर्वेद सिद्धांत को बनाए रखना चाहिए।”

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राजस्थान के चिकित्सा शिक्षा, स्वास्थ्य और भारतीय चिकित्सा प्रणाली मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने कहा, “आयुर्वेद राजस्थान और इसकी संस्कृति का अभिन्न अंग है। हम सदियों से इसका अभ्यास कर रहे हैं। कुपोषण और गतिहीन जीवन शैली से प्रेरित गैर संचारी रोगों के मुद्दे पर ध्यान देने के लिए इस वर्ष की थीम ‘पोषण के लिए आयुर्वेद’ से अधिक कुछ और प्रासंगिक नहीं हो सकता है। लोगों के जीवन में बदलाव लाने के लिए विषय पर पूरे देश में चर्चा होनी चाहिए और इसके लिए हमें इस क्षेत्र में अनुसंधान को मजबूत करना चाहिए। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि राजस्थान की राज्य सरकार राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान को क्षमताओं और संसाधनों के निर्माण एवं मजबूती के लिए हर संभव मदद देगी तथा राजस्थान को आयुर्वेद के क्षेत्र में एक वैश्विक गंतव्य बनाने की राह पर बढ़ना जारी रखेगी।

जयपुर शहर के सांसद श्री रामचरण बोहरा ने कहा, “आयुष्मान भारत के तहत राजस्थान को आयुर्वेद का अभ्यास करने में विशेष मान्यता की आवश्यकता है और राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान आयुर्वेद अनुसंधान के क्षेत्र का नेतृत्व करेगा।”

आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा, “आयुष के तहत उत्कृष्टता केंद्र पथ-प्रदर्शक कार्य कर रहा है। इसके महत्व को जेएनयू में भी जीव विज्ञान विषय के हिस्से के रूप में आयुर्वेद को शामिल करने के साथ पूरे देश में परिलक्षित किया गया है। महत्वपूर्ण दस्तावेज और फिल्में भी रिलीज की गईं। आशा है कि इस आयोजन से आम जनता को अपने स्वास्थ्य और कल्याण को बनाए रखने में लाभ होगा। हम आयुर्वेद को गैर-संचारी रोगों के उपचार के क्षेत्र में सबसे विश्वसनीय और प्रभावी उपचार के रूप में स्थापित करने के अपने मिशन के लिए प्रतिबद्ध हैं।”

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राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान के निदेशक और कुलपति प्रो. संजीव शर्मा ने कहा, “छठे राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के समारोहों कोसफलतापूर्वक आयोजित करने पर हम वास्तव में खुश और गर्व महसूस कर रहे हैं। राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, जयपुर ने इस दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन हर्षोल्लास और उत्साह के साथ किया तथा लोगों ने कई ज्ञानपूर्ण पहलों में भाग लिया और मंत्रियों, नीति निर्माताओं, प्रशासकों तथान केवल आयुर्वेद बल्कि अन्य क्षेत्रों के विद्वानों ने भी इसकी सराहना की।”

इस कार्यक्रम में दैनिक दिनचर्या वाली एक पुस्तिका ‘आयुर्वेद स्वास्थ्य समीक्षा’; एक दूसरी पुस्तिका ‘पोषण के लिए आयुर्वेद’ का विमोचन किया गया; बच्चों और वयस्कों के लिए उपयुक्त एनआईए न्यूट्री कुकीज पेश किए गए; और तीन दुर्लभ प्रकाशनों के डिजीटल संस्करण भी जारी किए गए। इन प्रकाशनों में -आचार्य भट्टर हरिचंद्र की चरक-न्यासा कमेंट्री के साथ चरक संहिता एवं आचार्य स्वामीकुमार की चरक-पंजिका;  आचार्य ज्योतिष चंद्र सरस्वती द्वारा 20वीं सदी में लिखी गयी चरक प्रदीपिका कमेंट्री के साथ चरक संहिता और निश्चल कर के रत्नप्रभा एवं तत्त्वचद्रिका के साथ लिखी गयी चक्रदत्ता शामिल हैं। इसके अलावा, इस अवसर पर कई शॉर्ट वीडियो, सीसीआरएएस प्रकाशनों और फिल्मों के साथ एक विशेष पांडुलिपि वेबसाइट पोर्टल शुरू किया गया। रोगी देखभाल संबंधी अनुसंधान के लिए महावीर जयपुरिया अस्पताल और राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। इस कार्यक्रम में 15 देशों के आयुर्वेद के छात्रों ने भी भाग लिया।

कार्यक्रम में उपस्थित अन्य अतिथियों में आयुष के सलाहकार वैद्य श्री मनोज नेसारी, विशेष सचिव श्री प्रमोद कुमार पाठक और आयुष मंत्रालय के महानिदेशक एवं अधीनस्थ संस्थानों के प्रमुख शामिल थे।

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