छठा अंतर्राष्ट्रीय एकल स्वास्थ्य दिवस: पशुपालन और डेयरी विभाग ने किया ’उद्योग और एकल स्वास्थ्य’ विषय पर हितधारकों की संगोष्ठी का आयोजन

भारत सरकार के पशुपालन और डेयरी विभाग ने आज आजादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में छठा अंतर्राष्ट्रीय एकल स्वास्थ्य दिवस मनाने के लिए ’उद्योग और एकल स्वास्थ्य’ विषय पर हितधारकों की एक संगोष्ठी का आयोजन किया। इस दिवस का मकसद एकल स्वास्थ्य की अवधारणा को लागू करने के लिए महत्वपूर्ण पहलुओं के तौर पर अंतर्विषयक और पराविषयक अनुबंध के साथ-साथ बहुक्षेत्रीय सहयोग पर प्रकाश डालना है।

संगोष्ठी के पैनल के सदस्यों में उद्योग जगत के प्रतिनिधि, भारतीय उद्योग परिसंघ, विश्व बैंक, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, पशुपालन और डेयरी विभाग, भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारी और अन्य विशेषज्ञ शामिल थे।

श्री अतुल चतुर्वेदी, सचिव, पशुपालन और डेयरी विभाग, भारत सरकार ने अपने उद्घाटन भाषण में इस बात पर जोर दिया कि ’स्वास्थ्य संबंधी वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और खाद्य सुरक्षा  की चुनौती से निपटने के लिए एकल स्वास्थ्य की अवधारणा का सफलतापूर्वक उपयोग महत्वपूर्ण है। देश में एकल स्वास्थ्य की अवधारणा को आगे बढ़ाने में योगदान देने वाले सभी हितधारकों के साथ विभाग सभी क्षेत्रों में संसाधनों और विशेषज्ञता को साझा करने के लिए पूरक के तौर पर काम करने के लिए प्रतिबद्ध है।

यह भी पढ़ें :   कोविड-19 टीकाकरण से जुड़ी नवीनतम जानकारी

डॉ त्रिलोचन महापात्र, सचिव (डीएआरई) और महानिदेशक, आईसीएआर ने कहा, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद उद्योग से जुड़े लोगों सहित सभी हितधारकों के साथ सहयोग और साझेदारी के माध्यम से एकल स्वास्थ्य के क्षेत्र में उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए प्रतिबद्ध है। इतिहास बताता है कि आईसीएआर पशुओं के टीकों जैसी प्रौद्योगिकी का ही विकास नहीं किया, बल्कि कंपनियों के साथ सक्रिय भागीदारी के माध्यम से जमीनी स्तर पर इसकी पहुंच भी सुनिश्चित की। हम उद्योग के साथ सक्रिय सहयोग चाहते हैं कि उद्योग आगे आएं और मिलकर किसानों के लिए समाधान लाएं।

यह भी पढ़ें :   प्रधानमंत्री ने राजस्थान के नागौर में सड़क दुर्घटना में लोगों की मृत्‍यु पर शोक व्यक्त किया

प्रख्यात वक्ताओं और उद्योग प्रतिनिधियों ने एकल स्वास्थ्य की उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए सहयोग के संभावित क्षेत्रों पर अपने विचार साझा किए हैं। प्रतिभागियों ने जरूरी हस्तक्षेप, मसलन-नीतिगत ढांचे, विनियमन, वित्तीय, मानवीय, सामाजिक, प्राकृतिक और भौतिक पूंजी, वैश्विक शिक्षा और सर्वोत्तम प्रथाओं, समेत अन्य प्रासंगिक मुद्दों के संबंध में चर्चा की।

इस अवसर पर विभाग ने संगोष्ठी के माध्यम से सभी हितधारकों को एकल स्वास्थ्य की अवधारणा को अपनाने और एकल स्वास्थ्य की रूपरेखा के सफल कार्यान्वयन के लिए अनुसंधान और नवाचार में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया।

एमजी/एएम/पीकेजे