उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान से प्रेरणा लेने और एक सामंजस्यपूर्ण और समावेशी समाज की दिशा में प्रयास करने के लिएदेश के युवाओं का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सभी प्रकार के भेदभाव से मुक्त समाज का निर्माण ही हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को वास्तविक श्रद्धांजलि है।
श्री नायडू विशाखापत्तनम में श्री विश्व विज्ञान विद्या अध्यात्मिक पीठम के पूर्व पीठाधिपति श्री उमर अलीशा के जीवन और संसदीय बहस पर एक पुस्तक के विमोचन के अवसर पर एक सभा को संबोधित कर रहे थे। उपराष्ट्रपति ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान श्री अलीशा के योगदान के लिए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। श्री नायडू ने उन्हें एक मानवतावादी बताते हुए साहित्यिक और सामाजिक क्षेत्रों के साथ-साथ महिला सशक्तिकरण के लिए श्री अलीशा के प्रयासों के बारे में चर्चा की।
श्री उमर अलीशा के आध्यात्मिक दृष्टिकोण के बारे में चर्चा करते हुए उपराष्ट्रपति ने सुझाव दिया कि धार्मिक तथा आध्यात्मिक उपदेशकों को ‘सेवा’ के संदेश को आम लोगों तक पहुंचाना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोगों को यह बताया जाना चाहिए कि अध्यात्म और सेवा अलग नहीं हैं और वे अनिवार्य रूप से समाज का कल्याण चाहते हैं।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि त्वरित राष्ट्रीय प्रगति के लिए महिलाओं का सशक्तिकरण आवश्यक है। उन्होंने व्यक्ति, परिवार और राष्ट्र की आर्थिक समृद्धि के लिए बालिकाओं की शिक्षा के महत्व पर भी जोर दिया।
आंध्र प्रदेश राज्य के पर्यटन मंत्री श्री मुत्तमसेट्टी श्रीनिवास राव, श्री विश्व विज्ञान विद्या अध्यात्मिक पीठम के पूर्व पीठाधिपति श्री उमर अलीशा, लेखक, भाषाविद और अन्य गणमान्य लोगों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।
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