7 राज्यों ने वर्ष 2021-22 की दूसरी तिमाही तक के पूंजीगत व्यय के लक्ष्य को पूरा किया

सात राज्यों यथा छत्तीसगढ़, केरल, मध्य प्रदेश, मेघालय, पंजाब, राजस्थान और तेलंगाना ने वित्‍त वर्ष 2021-22 की दूसरी तिमाही तक पूंजीगत व्यय के लिए वित्त मंत्रालय द्वारा निर्धारित लक्ष्य को प्राप्‍त कर लिया है। इसे ध्‍यान में रखते हुए प्रोत्साहन के तौर पर इन राज्यों को व्यय विभाग द्वारा शुक्रवार को 16,691 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि उधार लेने की अनुमति दे दी गई है। खुले बाजार से अतिरिक्त उधारी लेने की जो अनुमति दी गई है वह सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के 0.5% के बराबर है। इस प्रकार उपलब्ध कराए गए अतिरिक्त वित्तीय संसाधनों से राज्यों को अपने पूंजीगत व्यय को और आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। जिस अतिरिक्त उधारी की अनुमति दी गई है उसकी राज्यवार राशि इस प्रकार है:

  क्र.सं.

 राज्‍य

राशि (करोड़ रुपये में)

1.

छत्तीसगढ

895

2.

केरल

2,256

3.

मध्य प्रदेश

2,590

4.

मेघालय

96

5.

पंजाब

2,869

6.

राजस्थान

2,593

7.

तेलंगाना

5,392

 

पूंजीगत व्यय का व्‍यापक सकारात्‍मक प्रभाव होता है, अर्थव्यवस्था की भावी उत्पादक क्षमता काफी हद तक बढ़ जाती है, और इसके परिणामस्वरूप आर्थिक विकास दर भी बढ़ जाती है। तदनुसार, वित्‍त वर्ष 2021-22 के लिए राज्यों के लिए जीएसडीपी के 4% की शुद्ध उधारी सीमा (एनबीसी) में से जीएसडीपी के 0.50 प्रतिशत तक की उधारी को वर्ष 2021-22 के दौरान ही राज्यों द्वारा किए जाने वाले वृद्धिशील पूंजीगत व्यय के लिए निर्दिष्‍ट किया गया था। प्रत्येक राज्य के लिए इस वृद्धिशील उधारी हेतु पात्रता प्राप्त करने के लिए वृद्धिशील पूंजीगत व्यय का लक्ष्य व्यय विभाग द्वारा निर्धारित किया गया था।

यह भी पढ़ें :   इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कर्नाटक जिलों में इंटरनेट कनेक्टिविटी में सुधार के लिए कार्यबल का गठन किया गया

वृद्धिशील उधारी के लिए उपयुक्‍त पात्र बनने हेतु  राज्यों द्वारा वर्ष 2021-22 के लिए निर्धारित लक्ष्य का कम से कम 15 प्रतिशत वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही के आखिर तक, दूसरी तिमाही के आखिर तक 45 प्रतिशत, तीसरी तिमाही के आखिर तक 70 प्रतिशत और 31 मार्च 2022 तक 100 प्रतिशत हासिल करने की आवश्यकता थी। 

इससे पहले सितंबर 2021 में की गई पहले दौर की समीक्षा के बाद वित्‍त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही के लिए निर्धारित पूंजीगत व्यय के लक्ष्य को पूरा करने के लिए 11 राज्यों को 15,721 करोड़ रुपये की अतिरिक्त उधारी लेने की अनुमति दी गई थी। इस प्रकार  पूंजीगत व्यय की समीक्षा के दो दौर के बाद राज्यों को कुल 32,412 करोड़ रुपये की अतिरिक्त उधारी लेने की अनुमति दी गई है।

यह भी पढ़ें :   प्रदेश के सभी बच्चों के अस्पतालों में उपलब्ध होंगी आधुनिक चिकित्सा सुविधा – चिकित्सा मंत्री

राज्यों के पूंजीगत व्यय की समीक्षा के इस दौर में राज्यों द्वारा 30 सितंबर, 2021 तक किए गए पूंजीगत व्यय का आकलन 22  राज्यों के संबंध में किया गया है, जिसके लिए वास्तविक पूंजीगत व्यय के आंकड़े उपलब्ध हैं। शेष बचे 6 राज्यों की पात्रता का आकलन भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की ओर से डेटा उपलब्ध करा दिए जाने पर किया जाएगा।  

वित्‍त वर्ष 2021-22 की पहली तीन तिमाहियों के दौरान राज्यों द्वारा किए गए पूंजीगत व्यय के आधार पर मार्च, 2022 में तीसरे दौर की समीक्षा की जाएगी। जीएसडीपी के 0.50 प्रतिशत की पूंजीगत व्यय संबंधी उधारी सीमा की अनुमति उन राज्यों को दी जाएगी जो 31 दिसंबर 2021 तक निर्धारित लक्ष्य के कम से कम 70 प्रतिशत का वास्तविक पूंजीगत व्यय पूरा कर लेंगे।

राज्यों द्वारा किए गए वास्तविक पूंजीगत व्यय की अंतिम समीक्षा जून, 2022 में की जाएगी। वित्‍त वर्ष 2021-22 के लिए लक्षित पूंजीगत व्यय की तुलना में किसी राज्य द्वारा वर्ष 2021-22 में किए गए वास्तविक पूंजीगत व्यय में किसी भी कमी को वित्‍त वर्ष 2022-23 के लिए राज्य की उधारी सीमा से समायोजित किया जाएगा।

***

एमजी/एएम/आरआरएस/वाईबी