चीन पर भड़का श्रीलंका, गुस्से में हजारों टन हानिकारक उर्वरक को लेने से किया इनकार, पेमेंट भी रोका

चीन पर भड़का श्रीलंका, गुस्से में हजारों टन हानिकारक उर्वरक को लेने से किया इनकार, पेमेंट भी रोका

अक्सर छोटे देशों को विकास के सपने दिखाकर पहले कर्ज देना और फिर उन पर कब्जा कर लेने वाले चीन को अब श्रीलंका ने एक बड़ा झटका दिया है. श्रीलंका ने चीन से आई करीब 20,000 टन उर्वरक की खेप को लेने से इनकार कर दिया. श्रीलंका ने इसका कारण जैविक खाद की खराब गुणवत्ता को ठहराया है. श्रीलंका के इस फैसले चीन को एक बड़ा नुकसान हुआ है और दोनों ही देश के बीच उर्वरक को लेकर कूटनीतिक खींचतान शुरू हो गई है.

श्रीलंका को दुनिया का पहला पूरी तरह से जैविक खेती करने वाले देश की पहचान दिलाने के लिए कोलंबों ने किंगदाओ सीविन बायो-टेक ग्रुप से एक समझौता किया था. यह टेक ग्रूप एक चीनी उद्यम है जो कि समुद्री शैवाल से उर्वरक को उत्पादित करता है. अब जब चीन की तरफ से श्रींलंका में उर्वरक की खेप भेजी गई तो श्रीलंका ने इसे लेने से मना कर दिया.

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श्रीलंका के इस कदम से चीन पूरी तरह से बौखला गया है. ड्रैगन ने इसका बदला लेने के लिए श्रीलंका के एक बैंक को ब्लैक लिस्ट कर दिया है. चीन की तरफ से भेजी गई इस खाद का श्रीलंका में बड़े स्तर पर विरोध हो रहा है. श्रीलंकाई वैज्ञानिकों ने भी चीन की खाद का विरोध शुरू कर दिया है. कोलंबो की तरफ कहा गया है कि कार्गो से जांच के लिए जो सैंपल लिया गया था उसमें रोगाणु मिले हैं जो खेती के लिए बेहद नुकसानदेह हो सकते हैं. श्रीलंका कृषि विभाग के डायरेक्टर जनरल ने कहा उर्वरक के नमूनों से यह साफ पता चलता है कि जैविक खाद जीवाणु रहित नहीं है और इससे फसल को काफी नुकसान होगा. उन्होंने कहा कि इसमें हमें इस प्रकार के बैक्टीरिया मिले हैं जो कि गाजर और आलू जैसी फसलों के लिए बहुत हानिकारक हैं.

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चूंकी माल को अभी अनलोड करने की इजाजत नहीं मिली इसलिए सरकारी उर्वरक कंपनी को कोर्ट की तरफ से आदेश दिया गया कि सरकारी पीपल्स बैंक को किया जाने वाला 90 लाख डॉलर का पेमेंट तुरंत रोक दिया जाए. पेमेंट रोकने के बाद चीनी दूतावास ने श्रीलंका के बैंक को ब्लैक लिस्ट में डाल दिया. फिलहाल चीनी दूतावास की तरफ से उर्वकर की गुणवत्ता को लेकर किसी भी तरह की अभी तक कोई बात नहीं कही गई है.