इस्पात मंत्रालय – 16 नवंबर 2021इस्पात मंत्रालय के तहत आने वाले सार्वजनिक उद्यम, राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी) ने अपने मुख्यालय हैदराबाद और सारी प्रमुख परियोजनाओं में अपना 64वां स्थापना दिवस बड़ेजोश और उत्साह के साथ मनाया। देश में लौह अयस्क के सबसे बड़े उत्पादक एनएमडीसी को 15 नवंबर 1958 को निगमित किया गया था और इसने राष्ट्र की सेवा के 63 वर्ष पूरे कर लिए हैं। एनएमडीसी के कार्यात्मक निदेशकों, श्री अमिताभ मुखर्जी, निदेशक (वित्त); श्री सोमनाथ नंदी, निदेशक (तकनीकी) और श्री दिलीप कुमार मोहंती, निदेशक (उत्पादन) ने मुख्यालय में इस कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
इस अवसर पर कर्मचारियों को बधाई देते हुए एनएमडीसी के सीएमडी, श्री सुमित देब ने कहा कि एनएमडीसी के लिए ये कायापलट वाले साल हैं और अपनी महत्वाकांक्षी परियोजनाओं और पहलों के साथ ये कंपनी आने वाले दशक में एनएमडीसी 2.0 का निर्माण करने के लिए कमर कस रही है। उन्होंने जोर देकर कहा कि ये कंपनी भारतीय इस्पात उद्योग के लिए अपरिहार्य बने रहने के साथ-साथ नए खनिजों में प्रवेश कर रही है और अपनी मूल्य श्रंखला का विस्तार कर रही है। उन्होंने ये भी कहा कि, “आने वाले वर्षों में आपका प्रबंधन एनएमडीसी को एक बहुत चाहा जाने वाला कार्यस्थल बनाना चाहेगा। एक ऐसा सहानुभूतिशील नियोक्ता जो अपनी तारीफ को सिर्फ शब्दों में नहीं, बल्कि अपने कर्मचारियों और उनके परिवारों के लिए एक मददगार, पोषण से भरपूर और खुशहाल काम का माहौल बनाकर प्रदर्शित करता है।”
एनएमडीसी के दिल्ली क्षेत्रीय कार्यालय ने दिल्ली में स्कोप कन्वेंशन सेंटर में सेवानिवृत्त एनएमडीसी अधिकारियों के लिए एक अनुभव साझा करने वाला सत्र आयोजित करके कंपनी के 64वें स्थापना दिवस सेलिब्रेशन में हिस्सा लिया।
एनएमडीसी की स्थापित कॉर्पोरेट संस्कृति के हिस्से के तौर पर, 20 सालों से ज्यादा की निरंतर सेवा देने वाले कर्मचारियों को लॉन्ग सर्विस अवॉर्ड्स से नवाजा गया जो कंपनी के साथ उनके समर्पण भरे जुड़ाव के सम्मान में दिए गए। ये लॉन्ग सर्विस अवॉर्ड्स एनएमडीसी की संबंधित परियोजनाओं में कार्यात्मक निदेशकों और परियोजना प्रमुखों द्वारा प्रदान किए गए।
15 नवंबर, 2021 को हमारा देश जनजातीय गौरव दिवस मना रहा था और एनएमडीसी के लिए प्रतिष्ठित नेता श्री बिरसा मुंडा की जयंती के साथ अपना स्थापना दिवस साझा करना गौरव की बात थी। एनएमडीसी की परियोजनाओं ने आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देते हुए और राष्ट्र निर्माण में आदिवासी समुदाय के प्रयासों की सराहना करते हुए जनजातीय गौरव दिवस मनाया।
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