पशुपालन एवं डेयरी विभाग (डीएएचडी) और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (एमओएफपीआई) के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर

आज़ादी का अमृत महोत्सव के भाग के रूप में, श्री अतुल चतुर्वेदी, सचिव, पशुपालन एवं डेयरी विभाग, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय और श्रीमती पुष्पा सुब्रह्मण्यम, सचिव, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने डीएएचडी और एमओएफपीआई के बीच पशुपालन एवं डेयरी विभाग (डीएएचडी), एमओएफएएचडी की विभिन्न योजनाओं का अभिसरण करते हुए डेयरी उद्यमियों/डेयरी उद्योगों के लिए लाभ का विस्तार करने वाले एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया। इस ज्ञापन पर हस्ताक्षर श्री पुरुषोत्तम रूपाला, केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री, श्री पशुपति कुमार पारस, केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री, डॉ. संजीव कुमार बालियानऔर डॉ. बीएल मुरुगन, मत्स्य, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री के साथ-साथ खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री, श्री प्रहलाद सिंह पटेल की उपस्थिति में किया गया।

एमओएफपीआई और डीएएचडी के उद्देश्य आपस में जुड़े हुए हैं और प्रकृति में दोनों एकदूसरे के पूरक हैं। लाभार्थियों तक विभिन्न योजनाओं के लाभों का विस्तार करते हुए ग्रामीण क्षेत्र के गरीबों के दीर्धकालिक विकास के लिए आय सृजन करने वाले लक्ष्य की प्राप्ति के लिए डीएएचडी और एमओएफपीआई एकसाथ मिलकर काम करेंगे, जब कभी उन्हें बिना किसी सीमा के गुणवत्ता नियंत्रण, डेयरी प्रसंस्करण और इसका मूल्यवर्धन, मांस प्रसंस्करण और मूल्यवर्धन अवसंरचना, पशु आहार संयंत्र और प्रौद्योगिकी सहायता प्राप्त नस्ल सुधार फार्मों की स्थापना/विस्तार/सुदृढ़ीकरण के लिए ऋण सहायता की आवश्यकता होगी।

केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री, श्री पुरुषोत्तम रूपाला ने इस बात पर प्रकाश डाला कि डीएएचडी और एमओएफपीआई के प्रयासों के बीच सामंजस्य और तालमेल बिठाना समय की मांग है विशेष रूप से किसानों की मदद करने और पशुधन क्षेत्र के माध्यम से उनकी आय दोगुनी करने वाले साझा उद्देश्य के संदर्भ में। भारतीय अर्थव्यवस्था में पशुधन क्षेत्र कृषि का एक महत्वपूर्ण उपक्षेत्र है। इसमें 2014-15 से लेकर 2018-19 तक 8.2 प्रतिशतदर से सीएजीआर में बढ़ोत्तरी हुई है। भारत दुनिया में दुग्ध और दुग्ध उत्पादों का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है। देश में दुग्ध उत्पादन 2014-15 में 146.3 मिलियन टन से बढ़कर 2019-20 में 198.4 मिलियन टन हो चुका है, जिसकी वार्षिक वृद्धि दर 6.28 प्रतिशत है। देश में दूध की प्रति व्यक्ति उपलब्धता 2013-14 के 307 ग्राम से बढ़कर 2019-20 में 406 ग्राम हो गई है जिसमें 32.2 प्रतिशत की बढोत्तरी दर्ज की गई है। इसके अलावा, हमारे देश में डेयरी और डेयरी उत्पादों सहित पशुधन उत्पादों की बढ़ती हुई मांग के साथ-साथ बड़े घरेलू बाजार मौजूद हैं।

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इसके बावजूद यह क्षेत्र कई प्रकार की चुनौतियों का सामना कर रहा है। इस क्षेत्र में लगभग 60 प्रतिशत असंगठित, अस्त-व्यस्त उत्पादन और अपर्याप्त प्रसंस्करण अवसंरचना है। दुग्ध गुणवत्ता परीक्षण अवसंरचना और ग्रामीण कोल्ड चेन अवसंरचना का अभाव है, जिससे निर्यात की अपार संभावनाएं प्रभावित हो रही हैं। वर्तमान में, भारत द्वारा डेयरी उत्पादों का निर्यात वैश्विक रूप में मात्र 0.1 प्रतिशत है।

इन चुनौतियों से निपटने के लिए भारत सरकार सहकारिता और एफपीओ के विस्तृत नेटवर्क के माध्यम से उत्पादों का संगठित उठाव को बढ़ावा देने के साथ-साथ नई विकासात्मक और उत्पादन उन्मुख योजनाओं/कार्यक्रमों को विकसित करने का प्रयास कर रही है, ग्रामीण स्तर पर शीतलन इकाईयों और परीक्षण केंद्रों की तरह कम लागत वाली सहायता अवसंरचना की स्थापना,ऋण की आसान उपलब्धता, प्रसंस्करण का विस्तार, मूल्यवर्धन, विपणन अवसंरचना, निर्यात के माध्यम से मांग में बढ़ोत्तरी, प्रीमियम आला उत्पाद, पोषण अभियान में शामिल होना और उद्यमिता आधारित मॉडलों पर एक बदलाव की ओरध्यान केंद्रित करना शामिल है।

उपर्युक्त उद्देश्यों के साथ, पशुपालन विभाग कई योजनाएं कार्यान्वित कर रही है।डेयरी विकास के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम,गुणवत्तापूर्ण दूध का उत्पादन करने के लिए अवसंरचना का निर्माण/सुदृढ़ीकरण के लिए अनुदान के माध्यम से सहायता प्रदान करने के लिए,राज्य कार्यान्वयन एजेंसी (एसआईए) यानी राज्य सहकारी डेयरी महासंघ के माध्यम से दुग्ध और दुग्ध उत्पादों का खरीद, प्रसंस्करण और विपणन। जेआईसीए सहायता प्राप्त परियोजना (उत्तर प्रदेश और बिहार) डेयरी सहकारी समितियों को क्रेडिट लिंक अनुदान सहायता प्रदान करेगा।

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विभाग का एक अन्य महत्वपूर्ण कार्यक्रम डेयरी प्रसंस्करण एवं अधोसंरचना विकास कोष (डीआईडीएफ) है, जिसमें रियायती ब्याद दर पर (ब्याज सबवेंशन) सहायता प्रदान की जाएगी।यह परियोजना ग्रामीण स्तर पर प्रसंस्करण और शीतलन अवसंरचना की स्थापना और इलेक्ट्रॉनिक दूग्ध अपमिश्रण परीक्षण उपकरण की स्थापना के माध्यम से एक कुशल दुग्ध खरीद प्रणाली के निर्माण पर केंद्रित है।

डेयरी सहकारी समितियों और डेयरी गतिविधियों में लगे हुए किसान उत्पादक संगठनों (एसडीसीएफपीओ) का समर्थन करने वाले डेयरी सहकारी समितियों/ दुग्ध संघों/ एमपीसी को कार्यशील पूंजी पर ब्याज में छूट प्राप्त होगी। इसके अलावा, पशुपालन अवसंरचना विकास कोष जहां ब्याज में छूट और क्रेडिट गारंटी प्रदान की जाती है जिससे दूध और मांस प्रसंस्करण क्षमता और उत्पाद विविधीकरण को बढ़ाया जा सके, जिससे असंगठित ग्रामीण दूध और मांस उत्पादकों को संगठित दूध और मांस बाजार तक ज्यादा से ज्यादा पहुंच प्रदान किया जा सके।

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय भी इसी प्रकार के लक्ष्यों और उद्देश्यों के साथ विभिन्न योजनाओं को कार्यान्वित कर रहा है। “एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी)” योजना के अंतर्गत डेयरी, मत्स्य पालन, मुर्गी पालन और पशु चारा के लिए क्रेडिट लिंक अनुदान सहायता प्रदान की जाएगी। इसके अंतर्गत पूंजी निवेश के लिए ओडीओपी उत्पाद के लिए नई इकाइयों को समर्थन प्रदान किया जाएगा। इसके अलावा, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन योजना (पीएलआईएसएफपीआई) को लागू करना, जो सहयोग करने के लिए बिक्री और निवेश पर प्रोत्साहन प्रदान करता है और प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना को लागू करना, एक व्यापक पैकेज जिसके परिणामस्वरूप कृषि द्वार से खुदरा आउटलेट तक कुशल आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन के साथ-साथ आधुनिक अवसंरचना का भी निर्माण होगा।

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