केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने आज नई दिल्ली के विज्ञान भवन में ‘आधार 2.0- डिजिटल पहचान और स्मार्ट गवर्नेंस के अगले युग का आरंभ’ शीर्षक से 23 नवम्बर, 2021 से आरंभ हो रही तीन दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन किया। इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) में सचिव श्री अजय साहनी और यूआईडीएआई के सीईओ डॉ. सौरभ गर्ग सहित अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने केंद्रीय और राज्य मंत्रालयों की सक्रिय भागीदारी के साथ इस अवसर की शोभा बढ़ायी।
इस अवसर पर श्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि आधार, लाखों लोगों, विशेषकर पिरामिड के निचले स्तर पर मौजूद लोगों के जीवन में मूलभूत बदलाव लाया है ।इसने सरकार द्वारा प्रशासित किए जाने वाले कार्यक्रमों के तरीके में महत्वपूर्ण बदलाव ला दिया है। श्री वैष्णव ने तीन ऐसे विचारों का उल्लेख किया, जिन पर इस दौरान चर्चा की जा सकती है। उन्होंने वैश्विक संदर्भ में,तेजी से डिजिटाइज्ड हो रहे पहचान के अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर खड़े किए जा रहे प्रश्नों पर सवालिया निशान लगाया। दूसरा विचार, आधार सेवा के संबंध में प्रौद्योगिकियों और हार्डवेयर प्रणालियों का निर्माण कर उसको और ज्यादा सुगम बनानाथा। आधार के संबंध में निजता और कानूनी ढांचे के बारे में चर्चा करते हुए श्री वैष्णव ने कहा कि आज कानूनी ढांचा आधार कानून, उच्चतम न्यायलय के फैसले के साथ निर्धारित हो चुका है तथा निजी डेटा विधेयक के माध्यम से इसे और ज्यादा मजबूती प्रदान की जाएगी।
इस अवसर पर अपने संबोधन में इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में सचिव श्री अजय साहनी ने कहा कि आधार ने बड़ी संख्या में ऐसे लोगों को पहचान दी है, जिनकी पहले कोई पहचान नहीं थी। आधार ने यह साबित किया है कि वास्तविक पहचान की तुलना में डिजिटल पहचान का उपयोग कई तरीकों से किया जा सकता है।इसका उपयोग कई प्रकार की सेवाओं में किया जा रहा है और इसने वित्तीय समावेशन, ब्रॉडबैंड और दूरसंचार सेवाओं, नागरिकों के बैंक खाते में प्रत्यक्ष लाभ अंतरणको पारदर्शी तरीके से करने में मदद की है।
उद्घाटन समारोह के दौरान अपने वर्चुअल संदेश में यूआईडीएआई के पूर्व अध्यक्ष श्री नंदन नीलेकणि ने आधार से संबंधित पहलुओं पर अपने विचार और संदेश साझा किए। श्री नीलेकणी ने भविष्य के दृष्टिकोण से चर्चा करते हुए ऐसे तीन विचारों पर प्रकाश डाला, जिन पर चर्चा की जा सकती है। इनमें विद्युत ग्रिड प्रणाली के परिवर्तन में आधार की भूमिका, जिसके लिए बिजली वितरण कंपनियों का स्वस्थ होना आवश्यक है, ताकि बिजली सब्सिडी लाभार्थियों के बैंक खातों में सीधे जा सके; जैव विविधता और वनों के संरक्षण के लिए वनवासियों को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण; और सामाजिक सुरक्षा प्रणालियों की पोर्टेबिलिटी शामिल है।
यूआईडीएआई के सीईओ डॉ. सौरभ गर्ग ने बताया कि आधार 2.0 कार्यशाला यूआईडीएआई का एक आत्मनिरीक्षण-सह-अन्वेषणपूर्ण प्रयास है, ताकि सरकार द्वारा शुरू किए गए प्रमुख सुधारों और योजनाओं के संदर्भ में डिजिटल पहचान की पहुंच का विश्लेषण किया जा सके। इसका उद्देश्य सामाजिक के साथ ही साथ वित्तीय, दोनों तरह से सार्वभौमिक समावेशन प्राप्त करने के लिए डिजिटल पहचान से जुड़े भविष्य के विभिन्नपहलुओं पर गौर करना भी है।
यह तीन दिवसीय कार्यशाला विचारों और सूचनाओं के आदान-प्रदान, गहन चर्चाओं को बढ़ावा देने तथा दुनिया भर में डिजिटल पहचान के गिर्दहो रहे विकास और पहलों के बारे में विभिन्न हितधारकों के बीच अनुभव साझा करने का एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान करेगी। इन हितधारकों में निम्नलिखित शामिल हैं :
इस कार्यशाला का सीधा प्रसारण यूआईडीएआई के यूट्यूब, ट्विटर और फेसबुक हैंडल्स पर किया जाएगा।
‘आधार 2.0’ की कार्यशाला के बारे में :
कार्यशाला श्रृंखला का थीम‘आधार 2.0- डिजिटल पहचान और स्मार्ट गवर्नेंस के अगले युग का आरंभ’आधार को नवोन्मेषी डिजिटल समाधान प्रदान करने के एक मंच और पद्धति के रूप में एक भरोसेमंद आईडी मानते हुए उस पर विचार करना है। यह थीम आधार की ऐसी रणनीतियों पर भी ध्यान केंद्रित करता है, जो इसकी सेवा प्रदान करने की क्षमता को मजबूत और सरल बना सकती है। इसके अलावा यह कार्यशाला डिजिटल आईडी के विकास और परिवर्तन के बारे में भी जानकारी प्रदान करती है। यह कार्यशाला अधिक समावेशी प्रणालियों के पुनर्निर्माण पर ध्यान केंद्रित करने का एक अवसर भी है, जो भविष्य के आघातों और सुरक्षा के प्रति समाज को समग्र रूप से अधिक लचीला बनाती है।
विभिन्न विषयों पर विचार-विमर्श के लिए इस कार्यशाला को आठ सत्रों में विभाजित किया गया है, जिनका विवरण इस प्रकार है: –
इससत्रका प्रमुख निष्कर्ष यह है कि निवासियों को बाधा रहित अनुभव प्रदान करने के लिए आधार नामांकन और अद्यतन सर्विस डिलिवरी में परिवर्तन किए जाने की आवश्यकता है; फोकस क्षेत्रों के संबंध में नामांकन में सुधार और एसडब्लयूआईके (समाज कल्याण, नवाचार और ज्ञान) के नियमों के आलोक में ऑन-लाइन और ऑफलाइन दोनों तरह मोड में आधार कैसे स्वयं को पहचान सत्यापन के मुख्य प्रवर्तकों में से एक के रूप में जारी रख सकता है।
जनता के लिए डिजिटल समर्थता और सशक्तिकरण के अगले चरण की शुरुआत कैसे करें, इस बारे में चर्चा उन अनुप्रयोगों के सृजन और विकास से प्रेरित होगी जो सरकारी सेवाओं को लोगों-व्यक्तियों और अन्य इकाइयों के करीब ले जाते हैं : पहचान, जवाबदेही और पारदर्शिता के नए डिजिटीकृत मॉडल के साथ गवर्नेंस।
चर्चा इस बात पर केंद्रित होगी – ई-जीओवी; ई-कॉमर्स तथा ई-बैंकिंग और विशेष रूप से वित्त के संबंध में आधार क्या प्रदान कर सकता है।
सत्र यह सुनिश्चित करने का सबसे अच्छा तरीका तलाशेगा कि सभी आधार इकोसिस्टम साझेदार सर्वोत्तम सुरक्षा पद्धतियों का भी पालन करें। आधार नामांकन और प्रमाणीकरण में धोखाधड़ी को रोकने, उसका पता लगाने और मुकदमा चलाने के तरीके पर विचार-विमर्श किया जाएगा।
डिजिटल पहचान के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानक बनाने के फ्रेमवर्क के रूप मेंआधार,अंतर्राष्ट्रीय डिजिटल पहचान मानकों और सीमाओं के पार पारस्परिकता का एक रोडमैप है । इस सत्र में सुरक्षा और निजता सुनिश्चित करने तथा देशों के बीच डेटा साझा करने के फ्रेमवर्क के बारे में भी चर्चा होगी।
इस कानूनी सत्र में पहचान संबंधी सेवाएं प्रदान करते समय डेटा सुरक्षा और निजता के बारे में मौजूदा कानूनी ढांचे के आकलन पर मंथन किया जाएगा। साथ हीयदि कोई नीतिगत खामियां यातकनीकी खामियां हों, तो उनमें सुधार की संभावनाओं का भी लगाया जा सकता है।
इस सत्र में स्मार्ट फोन के उपयोग की परिपाटी और दूरसंचार के क्षेत्र में होने वाले प्रमुख विकास, सभी के लिए बायोमेट्रिक्स – स्मार्टफोन के माध्यम से चेहरे के प्रमाणीकरण का लाभ कैसे उठाया जा सकता है? और फिंगर प्रिंट कैप्चर ऑथेंटिकेशन के लिए स्मार्ट फोन का उपयोग – चुनौतियां और आगे का रास्ता- जैसे विषयों के ईद-गिर्द चर्चा की जाएगी। चर्चा में वॉयस ऑथेंटिकेशन, आधार के उपयोग के लिए एफआईडीओ मानकों का इस्तेमाल–सार्वजनिक सेवाओं हेतु पासवर्ड रहित प्रमाणन के लिए प्लेटफॉर्म तथा आधार प्रौद्योगिकयों के अनुकूलन और इसे जनता के लिए उपलब्ध कराने के विचार पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
बायोमेट्रिक्स के संबंध में हाल में हुई प्रगति तथा कृत्रिम आसूचना और विशेषकर डीप लर्निंग का उपयोग करते हुए उनके सुधार पर चर्चा होगी। हम ब्लॉकचेन-बेस्ड टेक्नीक्स और अनुप्रयोगों के साथ-साथ आधार के प्रभाव और बैंकिंग क्षेत्र में इन नई प्रौद्योगिकियों पर भी गौर करेंगे।
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एमजी/एएम/आरके