“21st टिफिन” उन सभी स्वार्थहीन महिलाओं को नमन है, जिन्होंने दूसरों की अथक सेवा में अपनी पहचान तक खो दी है: विजयगिरि बावा, निर्देशक, इफ्फी 52 भारतीय पैनोरामा फिल्म

21st टिफिन – 52वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) की एक ऐसी फिल्म है, जिसका मुख्य पात्र बेनाम है। इसका कारण साधारण भी है और असाधारण भी। निराले चरित्र-चित्रण के बारे में फिल्म निर्देशक विजयगिरि बावा कहते हैं, “यह मानवीय भावना और रिश्तों की अंतरंग कहानी है। हमने उन सभी महिलाओं के जीवन को पेश करने की कोशिश की है, जिन्होंने दूसरों की सेवा में अपनी पहचान तक खो दी है। यही कारण है कि हमने मुख्य पात्र को कोई नाम नहीं दिया है।” बावा आज 52वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव से अलग गोवा में एक प्रेस-वार्ता को सम्बोधित कर रहे थे। उल्लेखनीय है कि महोत्सव का आयोजन 20 नवंबर से 28 नवंबर, 2021 तक गोवा में हो रहा है। यह फिल्म गुजराती लेखक श्री राम मोरी की साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत पुस्तक पर आधारित है। श्री मोरी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

बेटी, बहन, पत्नी और मां के दर्जे तक पहुंचते-पहुंचते, महिलायें त्याग और बलिदान का प्रतीक होती हैं। हम कितनी बार यह समझकर उनके प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं? फिल्म निर्देशक ने बताया कि 21st टिफिन उन सभी महिलाओं को नमन है, जो दूसरों को खुश रखने के लिये अथक सेवा के दौरान अपनी पहचान तक खो देती हैं।

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फिल्म निर्देशक ने कहा कि उनकी फिल्म में एक प्रौढ़ महिला की कहानी दर्शायी गई है, जो अपने परिवार के लोगों की सेवा करने के साथ-साथ बाहरी लोगों को टिफिन बॉक्स भेजकर उनकी सेवा में व्यस्त रहती है। यह महिला खुद टिफिन सर्विस चलाती है, तथा साथ ही एक पत्नी, मां, बेटी, बहन और मित्र के विभिन्न कर्तव्यों को भी पूरा करती रहती है।

आगे चलकर यह बात सामने आती है, कि इस दौरान वह अपना जरा भी खयाल नहीं करती। उसकी बेटी नीतू को एहसास होता है कि उसकी मां अपनी सभी भूमिकायें कितनी खूबी से निभा रही हैं, लेकिन उनके व्यवहार में कुछ तो गड़बड़ है। हालात उस समय बदलते हैं, जब ध्रुव नाम का एक लड़का उस महिला के पास उसकी टिफिन सर्विस का 21वां ग्राहक बनकर आता है। वह लड़का उसका प्रशंसक बन जाता है। अपने काम की इस अचानक होने वाली सराहना से महिला की वेदना दूर हो जाती है। बावा कहते हैं कि गुजरात को प्रायः व्यापार और कारोबार के लिये जाना जाता है, लेकिन राज्य में बहुत अच्छे कलाकार भी हैं। वे कहते हैं, “हमारी कला और कलाकारों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर बहुत कम प्रतिनिधित्व मिला है।”

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उन्होंने इस बात पर खुशी जाहिर की कि उनकी फिल्म को इफ्फी में इंडियन पैनोरामा में फीचर फिल्म वर्ग में रखा गया। उन्होंने कहा, “मैं बहुत खुश हूं कि मेरी फिल्म को इस प्रतिष्ठित उत्सव में जगह मिली। मैं अपनी फिल्म का चयन करने के लिये ज्यूरी का शुक्रगुजार हूं।”

उन्होंने कहा कि फिल्म को सिंक-साउंड (सभी ध्वनियों में समरूपता) पद्धित से फिल्माया गया है, जिसमें डबिंग और पैचवर्क नहीं है। इसे कोविड-19 महामारी की चुनौतियों के बीच आठ दिनों के भीतर ही बना लिया गया था।

विजयगिरि बावा गुजराती सिनेमा के जाने-माने फिल्मकार हैं। उनकी पुरस्कृत फिल्मों ‘प्रेमजीः राइज ऑफ ए वॉरियर’ (2016) और ‘मोन्टू नी बिट्टू’ (2019) शामिल हैं।

‘Godavari’ shows the old #Nashik city with many old ‘Wada’ (Marathi) – old traditional housesThe film is set in this backdrop where a person comes to know about his death and he tries to settle things for his family and their future- Director Nikhil Mahajan at #IFFI52 pic.twitter.com/APG1Evme5q

अन्य कलाकार और फिल्म निर्माण दल

निर्माताः विजयगिरि फिल्म्स

पटकथाः राम मोरी, विजयगिरि बावा

डीओपीः पार्थ चौहान

संपादनः आलोक मेहता, विजयगिरि बावा

कलाकारः नीलम पांचाल, रौनक कामदार, नेत्री

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एमजी/एएम/एकेपी