आज़ादी का अमृत महोत्सव- प्रगतिशील भारत और उसकी जनता,संस्कृति तथा उपलब्धियों के गौरवशाली इतिहास के 75 वर्षों को स्मरण करने और उसका जश्न मनाने की दिशा में भारत सरकार की पहल है। आज़ादी के 75 वर्ष के जश्न का “आज़ादी का अमृत महोत्सव” और देश भर में फसल कटाई के विविध त्योहारों के साथ संयोजन, भारत की सामाजिक- सांस्कृतिक,राजनीतिक और आर्थिक पहचान के बारे में प्रगतिशीलता के मूर्त रूप को रेखांकित करता है। रंगोली की रंग-बिरंगी उमंग और पतंग की जीवंत उड़ान ने आज की सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के दौरान अपनी छटा बिखेरी। संस्कृति राज्य मंत्री श्रीमती मीनाक्षी लेखी और कपड़ा राज्य मंत्री श्रीमती दर्शना विक्रम जरदोश ने इस अवसर की शोभा बढ़ायी। संस्कृति सचिव श्री गोविंद मोहन और कपड़ा सचिव श्री उपेन्द्र प्रसाद सिंह भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
रंगोली के रंगों और हमारी जीवंत संस्कृति की प्रतीक पतंग की उड़ानों का प्रतिनिधित्व करने वाले “उमंग” और “उड़ान” का आयोजन 18 राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में 70 से अधिक स्थानों पर किया गया। चाहे गुजरात और राजस्थान में उत्तरायण हो, पंजाब में लोहड़ी, दक्षिणी क्षेत्रों में पोंगल, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में मकर संक्रांति, उत्सव की खुशबू वही रहती है। ये त्योहार सही मायनों में एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना का प्रतिनिधित्व करते हैं जो चहुं ओर हमारी संस्कृति में समाविष्ट है।
कपड़ा राज्य मंत्री श्रीमती दर्शना विक्रम जरदोश ने फसल कटाई का त्योहार मनाते हुए प्रकृति के महत्व, उसकी उत्पादकता और भारत की जनता के साथ उसके रिश्ते का उल्लेख किया।
संस्कृति राज्य मंत्री श्रीमती मीनाक्षी लेखी ने देश भर में इस त्योहार और इसकी संस्कृति का उत्सव मनाने वाले सभी लोगों की इस बात के लिए सराहना की कि उन्होंने इस दौरान महामारी से बचाव के नियमों का पालन जारी रखा। यह उत्सव भारत को एक प्रगतिशील समाज बनाने में योगदान देने वाले लोगों के प्रति श्रद्धांजलि का प्रतीक भी है।
संस्कृति सचिव श्री गोविंद मोहन ने फसल कटाई के इन त्योहारों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि ये त्योहार देश में कृषि और उसकी पैदावार की जीवन शक्ति हैं और ये किस तरह भारतीय समाज के इस महत्वपूर्ण अंग का जश्न मनाते हैं।
कपड़ा सचिव श्री उपेंद्र प्रसाद सिंह ने फसल कटाई के त्योहारों के जश्न की खूबसूरती में कला और हस्तशिल्प के महत्व का उल्लेख किया। ये हस्तशिल्प न केवल हमारी संस्कृति के प्रतिनिधि हैं, बल्कि भारत में आजीविका के महत्वपूर्ण साधन भी हैं।
स्थानीय कारीगरों और पतंग उड़ाने वालों के साथ दिलचस्प बातचीत ने कला के उस रूप की सुंदरता पर प्रकाश डाला, जिसे पूरे देश में एक त्योहार के रूप में मनाया जाता है। चटख रंगों की पतंगों, चर्खियों और उनके रंगीन मांजे ने भारतीय आसमान में एक खूबसूरत चित्र उकेर दिया, जो सीमाओं से पार जाकर सभी तक पहुंचने का प्रतीक है। गुजरात के अहमदाबाद से लेकर मध्य प्रदेश के खंडवा या उत्तर प्रदेश के लखनऊ से लेकर तेलंगाना के हैदराबाद तक, लोगों ने प्रकृति के सबसे महत्वपूर्ण उपहार का जश्न मनाते हुए अपनी कहानियां साझा कीं। इनके अलावा, राजस्थान के जोधपुर और बिहार के पटना के भी लोग उनके समारोह में शामिल हुए। उन्होंने अपने विचार प्रकट करने का अवसर प्रदान करने के लिए संस्कृति मंत्रालय का भी आभार व्यक्त किया। ये स्थानीय विशिष्टताएं हमारे देश में मौजूद “एकता और अनेकता” की खूबसूरत तस्वीर प्रस्तुत करती हैं।
जनजातीय समुदायों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने इस अवसर को जीवंत और संगीतमय बना दिया। इस उत्सव के दौरान न केवल आज़ाद भारत की 75 वर्षों की यात्रा के महत्वपूर्ण हिस्से पर रोशनी डाली गई, बल्कि धरती माता की उत्पादकता और एक प्रगतिशील समाज के रूप में भारत की निरंतरता के बीच संबंधों को भी प्रदर्शित किया।
इस कार्यक्रम का समापन “न्यू इंडिया” की प्रस्तुति के साथ हुआ जो इसकी संस्कृति का जश्न मनाते हुए आगे बढ़ती है। पतंगों की तरह ऊंची उड़ान भरने और अपने पांव अपनी परंपराओं और मूल्यों में गहराई में समाहित रखने का संयोजन ।
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एमजी/एएम/आरके