भारत निर्वाचन आयोग ने गोवा, मणिपुर, पंजाब, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की विधानसभाओं के लिए होने वाले आगामी चुनावों के लिए तैनात किए जाने वाले पर्यवेक्षकों के लिए आज एक ब्रीफिंग बैठक का आयोजन किया। इन विधानसभा चुनावों के कार्यक्रम की घोषणा 8 जनवरी 2022 को की गई थी। 1400 से अधिक अधिकारियों ने सत्र में भाग लिया, जिसमें 140 अधिकारी विज्ञान भवन, नई दिल्ली में प्रत्यक्ष रूप से शामिल हुए और बाकी अधिकारी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों से ऑनलाइन माध्यम से शामिल हुए। देश भर में आईएएस, आईपीएस, आईआरएस और अन्य लेखा सेवाओं से लिए गए अधिकारियों को सामान्य, पुलिस और व्यय पर्यवेक्षकों के रूप में तैनात किया गया है।
पर्यवेक्षकों को संबोधित करते हुए, मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री सुशील चंद्रा ने कहा कि चुनाव के दौरान पर्यवेक्षक भारत निर्वाचन आयोग की आंख और कान होते हैं और स्वतंत्र, निष्पक्ष, पारदर्शी और सुरक्षित चुनाव कराने के लिए विभिन्न मुद्दों पर पूरी तरह से नजर रखनी चाहिए। श्री चंद्रा ने पर्यवेक्षकों को सभी चुनावी प्रक्रियाओं से अपडेट रहने की सलाह दी, जिसमें वरिष्ठ नागरिकों, विकलांग मतदाताओं और कोविड-19 संदिग्धों या पीड़ित व्यक्तियों की श्रेणी के अनुपस्थित मतदाताओं के लिए डाक मतपत्र सुविधा प्रदान करना; आदर्श आचार संहिता और चुनाव आयोग के अन्य दिशानिर्देशों में किसी भी चूक के लिए सतर्क रहना; मौजूदा कोविड दिशानिर्देशों के साथ-साथ मतगणना प्रक्रियाओं को भी सख्ती से लागू करना शामिल हैं।
धनबल के दुरुपयोग या किसी भी प्रकार के प्रलोभन के प्रति आयोग की शून्य-सहिष्णुता पर जोर देते हुए, सीईसी ने व्यय पर्यवेक्षकों से अपने कौशल को तेज करने और प्रलोभन के नए तरीकों से निपटने में अभिनव कदम उठाने का आग्रह किया। उन्होंने पर्यवेक्षकों से कहा कि वे नागरिकों को किसी भी तरह के उल्लंघन के मामलों की रिपोर्ट करने के लिए सक्षम बनाने के लिए सीविजिल ऐप का उचित प्रचार सुनिश्चित करें ताकि फ्लाइंग स्क्वॉड, निगरानी टीमों द्वारा त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके। सीईसी ने अपने संबोधन के दौरान निर्देश दिया कि तीनों पर्यवेक्षकों (सामान्य, पुलिस और व्यय) को प्रवर्तन एजेंसियों के साथ समन्वय में काम करना चाहिए। उन्होंने पर्यवेक्षकों से वरिष्ठ नागरिकों, विकलांग व्यक्तियों और महिला मतदाताओं की सुविधा के लिए सुनिश्चित न्यूनतम सुविधाओं की जांच करने के लिए अधिक से अधिक मतदान केंद्रों का दौरा करने को कहा।
चुनाव आयुक्त श्री राजीव कुमार ने अपने संबोधन के दौरान इस बात पर प्रकाश डाला कि प्रेक्षक प्रणाली अब अच्छी तरह से स्थापित हो गई है और यह क्षेत्र के पदाधिकारियों के मार्गदर्शन के लिए चुनाव आयोग का एक विस्तृत और मजबूत इंटरफेस है। उन्होंने कहा कि पर्यवेक्षक चुनाव के संचालन में एक प्रमुख भूमिका निभाते हैं और इस प्रकार मतदाताओं, उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों के लिए उनके सुझावों और शिकायत निवारण में व्यक्तिगत रूप से भाग लेने के लिए सुलभ और संपर्क में रहने की आवश्यकता है। श्री कुमार ने आगाह किया कि मतदान कर्मियों की मानवीय भूलों की छिटपुट घटनाओं, मतदान सामग्री वितरण केंद्रों पर कोविड प्रोटोकॉल का पालन न होने से एक अलग समस्या पैदा हो सकती है और ये चीजें चुनाव के सुचारू संचालन को पटरी से उतार सकते हैं। उन्होंने पर्यवेक्षकों से सतर्क रहने और किसी भी गंभीर घटना की सूचना तत्काल आयोग को देने को कहा। उन्होंने पर्यवेक्षकों को आगाह किया कि वे हमेशा विभिन्न हितधारकों की सख्त और सूक्ष्म जांच के अधीन होते हैं और इस प्रकार चुनाव प्रक्रिया के दौरान उन्हें अपने स्वयं के व्यक्तिगत व्यवहार और आचरण के बारे में सावधान और सजग रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि पर्यवेक्षक आयोग के प्रतिनिधि होते हैं और उन्हें सौंपे गए इस पवित्र और महत्वपूर्ण कर्तव्य को लेकर उन्हें पूरी तरह जागरूक और सजग होना चाहिए।
चुनाव आयुक्त श्री अनूप चंद्र पाण्डे ने यह स्वीकार करते हुए कि कोविड-19 के बीच चुनाव कराना बहुत ही चुनौतीपूर्ण काम है, उन्होंने नामित पर्यवेक्षकों से यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया कि सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के लिए समान अवसर बनाए रखा जाए। उन्होंने मतदाताओं के लिए मतदान केंद्रों पर परेशानी मुक्त और मतदाता अनुकूल उपाय सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग स्वतंत्र, निष्पक्ष, पारदर्शी, समावेशी और सुरक्षित चुनाव सुनिश्चित करने में समय की कसौटी पर खरा उतरा है और पर्यवेक्षकों के रूप में तैनात अनुभवी अधिकारियों को क्षेत्र अधिकारियों के मार्गदर्शक और सलाहकार के रूप में कार्य करना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि पर्यवेक्षकों को शांतिपूर्ण और भय-मुक्त चुनाव सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की तैनाती में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। अपने संबोधन के दौरान, उन्होंने पिछले विधानसभा चुनावों में कम मतदान वाले बूथों की पहचान सहित मतदान में वृद्धि के लिए आयोग द्वारा की गई विभिन्न पहलों पर प्रकाश डाला। वर्तमान समय में ऑनलाइन प्रचार की बढ़ी हुई भूमिका पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर गलत सूचना फैलाने और नफरत भरे प्रचार अभियानों को नियंत्रित करने की आवश्यकता का उल्लेख किया।
आधे दिन के लंबे सत्र के दौरान, भारत निर्वाचन आयोग के महासचिव श्री उमेश सिन्हा ने पर्यवेक्षकों को चुनाव योजना, सुरक्षा प्रबंधन और स्वीप पहलुओं पर जानकारी दी। अपने संबोधन के दौरान, उन्होंने लोकपाल के रूप में पर्यवेक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी प्रकाश डाला, जिन्हें वास्तविक समय में चुनाव आयोग को मुद्दों के बारे में सूचना देनी चाहिए और साथ ही क्षेत्र में अपने स्वयं के तटस्थ, नैतिक और सौहार्दपूर्ण आचरण को सुनिश्चित करना चाहिए। श्री सिन्हा, जो भारत निर्वाचन आयोग में गोवा राज्य के चुनाव प्रभारी भी हैं, ने अधिकारियों को राज्य विशिष्ट मुद्दों के बारे में जानकारी दी। वरिष्ठ उप चुनाव आयुक्त, श्री चंद्रभूषण कुमार ने पर्यवेक्षकों को कानूनी और एमसीसी से संबंधित मुद्दों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के लिए राज्य विशिष्ट विवरणों पर भी प्रकाश डाला। उप चुनाव आयुक्त श्री नितेश व्यास ने पर्यवेक्षकों को ईवीएम-वीवीपीएटी प्रबंधन के बारे में जानकारी दी, जिसमें उन्होंने पर्यवेक्षकों के लिए महत्वपूर्ण जांच चौकियों और मतदाता सूची के मुद्दों पर प्रकाश डाला। उन्होंने पर्यवेक्षकों को पंजाब और मणिपुर के लिए राज्य विशिष्ट मुद्दों पर भी जानकारी दी। उप चुनाव आयुक्त श्री टी. श्रीकांत ने आयोग के विभिन्न आईटी अनुप्रयोगों और पहलों के बारे में अधिकारियों को जानकारी दी। आयोग की महानिदेशक (मीडिया) सुश्री शेफाली शरण ने अधिकारियों को मीडिया प्रमाणन और निगरानी समितियों, पेड न्यूज और सोशल मीडिया सहित मीडिया से संबंधित पहलुओं पर जानकारी दी। कर्मचारियों के प्रशिक्षण और व्यय निगरानी पर ब्रीफिंग सत्र भी आयोजित किए गए।
***
एमजी/एएम/केसीवी